कोलकाता. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections 2021) के लिए गुरुवार को दूसरे चरण का मतदान होगा. इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) की बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने संकेत दिए हैं कि पार्टी राज्य में सरकार बनाने की दशा में सीएम किसे बनाएगी, इसका फैसला कर लिया गया है.
भाजपा के पक्ष में ‘मजबूत लहर’ होने का दावा करते हुए घोष ने मंगलवार को विश्वास जताया कि राज्य में अगली सरकार उनकी पार्टी की बनेगी और कहा कि इस स्थिति में जरूरी नहीं कि कोई नवनिर्वाचित विधायक ही मुख्यमंत्री बने. मेदिनीपुर से सांसद घोष ने दावा किया पार्टी के पक्ष में पैदा हुई मजबूत लहर विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान तक रहेगी.
भाजपा ही अपनी जीत को लेकर आश्वस्त – घोष
समाचार एजेंसी PTI के अनुसार घोष ने कहा, ‘पहले चरण के मतदान के बाद सिर्फ भाजपा ही अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है जबकि तृणमूल कांग्रेस और उसके नेता हताश हैं. जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ेगा, भाजपा के पक्ष में बना माहौल और मजबूत होता जाएगा और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हार का एहसास होता चला जाएगा.’ भाजपा ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री बाबूल सुप्रीयो सहित लोकसभा के तीन सदस्यों और एक राज्यसभा सदस्य स्वप्न दासगुप्ता को उम्मीदवार बनाया है लेकिन घोष इनमें शामिल नहीं हैं. पार्टी के जीतने की स्थिति में घोष मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में से एक हैं.
यह पूछे जाने पर कि भाजपा के चुनाव जीतने की स्थिति में क्या नवनिर्वाचित विधायकों में से ही कोई मुख्यमंत्री होगा, उन्होंने कहा, ‘इस बारे में कोई भी फैसला पार्टी ही करेगी लेकिन यह जरूरी नहीं कि नवनिर्वाचत विधायकों में से ही कोई मुख्यमंत्री बने. जब ममताजी मुख्यमंत्री बनी थीं तब वह विधायक नहीं थीं.’
कब से शुरू हुआ घोष का राजनीतिक करियर?
घोष ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रचारक के रूप में सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की थी. वर्ष 2014 में वह भाजपा में शामिल हो गए और राज्य इकाई के महासचिव बने. बाद में वह प्रदेश अध्यक्ष बने. वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव से उन्होंने राजनीतिक पारी का आगाज किया. पश्चिम मेदिनीपुरी की खड़गपुर विधानसभा सीट से उन्होंने चुनाव जीता और यहां से लगातार सात बार विधायक रहे कांग्रेस के ज्ञान सिंह सोहनपाल को पराजित किया.