ममता ने कहा, हिन्दू धर्म सबके लिए है. यह एक व्यक्ति तक सीमितन नहीं है. यह सभी के लिए है. हमारा धर्म हमें बिना किसी शर्त और भेदभाव के सभी के लिए दरवाजा खोलना सिखाता है. हमारा धर्म विभाजित करना और शासन करना नहीं है. गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना हमारा धर्म होना चाहिए. हमारा धर्म मानवता है और इसके ऊपर कोई धर्म नहीं है. यह हमने स्वामी रामकृष्ण और स्वामी विवेकानंद से सीखा है.’
भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे दुख होता है जब मैं देखती हूं कि ऐसे लोग हैं जो एक नए धर्म का एक अजीब विचार फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. नए धर्म का यह अजीब विचार न केवल लोगों पर अपना दृष्टिकोण हावी करने की कोशिश कर रहा है, बल्कि यह भी जोर दे रहा है कि कौन रहेगा या कौन नहीं रहेगा. नए धर्म का यह अजीब विचार जोर दे रहा है कि हमें क्या मानना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. मुझे लगता है कि केवल एक चीज जिसे हमें मानना चाहिए वह है प्रेम और मानवता. अगर धर्म हमें मानवता, सहिष्णुता और सही मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन नहीं सिखाता है तो यह अधूरा है.’
शिकागो ना जा पाने का कारण बताया
कहा कि ‘मुझे गर्व है कि भारत सेवाश्रम और राम कृष्ण मिशन जैसे संगठन जमीन पर लोगों के लिए काम कर रहे हैं. मुझे गर्व महसूस होता है कि वे जरूरतमंदों और गरीबों के लिए जमीन से काम करते हुए मानवता और भाईचारे का संदेश फैला रहे हैं.’
स्वामी विवेकानंद के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वह शिकागो क्यों नहीं जा सकीं, यह बताते हुए, ममता ने कहा, ‘हालांकि मैं यह नहीं बताना चाहती लेकिन मुझे लगता है कि मुझे आज इसे साझा करना चाहिए. मैं वास्तव में स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण दिवस के अवसर पर शिकागो जाना चाहती थी लेकिन आयोजक ने बाद में निमंत्रण वापस ले लिया. मुझे पता था कि वे उस फैसले को लेने के लिए वह दबाव में थे. लेकिन आज मैं उन लोगों से पूछना चाहूंगी कि क्या वे मुझे राम कृष्ण मिशन या किसी अन्य मिशन पर जाने से रोक सकते हैं.’
सितंबर 2018 में, ममता शिकागो जाना चाहती थी लेकिन वह नहीं जा सकीं क्योंकि आयोजक द्वारा उनसे निमंत्रण वापस ले लिया गया था. तब ममता ने कहा था ‘मैं शिकागो जाना चाहती थी, लेकिन कुछ लोगों द्वारा रची गई साजिश के कारण यह अपवित्र हो सकता था.’