सुप्रीम कोर्ट में विजय माल्या की फ़ाइल से दस्तावेज गायब! पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई टली

पिछले महीने विजय माल्या (Vijay Mallya) की याचिका देर से लिस्ट किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से नाराजगी जाहिर की थी.

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई बीस अगस्त तक के लिए टल गई है. कोर्ट को ये फैसला इसलिए लेना पड़ा क्योंकि उनकी फाइल से एक दस्तावेज़ गायब है. ये मामला अवमानना का है. माल्या को 2017 में सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया गया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ जाकर अपनी संपत्ति अपने परिवार के नाम ट्रांसफ़र कर दी थी.

3 साल बाद सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट (supreme Court) में इस मामले की फाइल में विजय माल्या का एक दस्तावेज नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से गुरुवार को सुनवाई नहीं हो सकी. तीन साल पहले माल्या ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी जो सुनवाई के लिए अब लिस्ट हुई. विजय माल्या ने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए अपने बच्चों को पैसे ट्रांसफर किए थे. लिहाजा विजय माल्य को कोर्ट की अवमानना के लिए दोषी पाया गया था. इसके बाद माल्या ने सुप्रीम कोर्ट पर इस फैसले की समीक्षा की मांग की थी और पुनर्विचार याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट नाराज़
पिछले महीने विजय माल्या की याचिका देर से लिस्ट किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से नाराजगी जाहिर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि साल 2017 में दिए गए आदेश के 3 साल बाद अब जाकर ये रिव्‍यू पिट‍िशन सामने आई है. कोर्ट ने रजिस्ट्री से पूछा था कि अब तक ये याचिका उसके सामने क्‍यों नहीं लाई गई. कोर्ट ने रजिस्ट्री से इस मामले पर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा था. इसके साथ ही कोर्ट ने रजिस्ट्री पर मामले की लिस्टिंग में भेदभाव के आरोप लगाने को लेकर एक वकील को फटकार भी लगाई.

बता दें कि माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में है. बारत सरकार उन्हें वापस लाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. इस साल जून में लंदन हाईकोर्ट ने विजय माल्या की भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की इजाज़त देने वाली याचिका खारिज़ कर दी थी. मई में ब्रिटेन की हाईकोर्ट ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर याचिका को खारिज़ कर दिया था. जिसके बाद विजय माल्या के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की अनुमति लेने वाली याचिका के लिए 14 दिनों का समय था.लंदन हाईकोर्ट ने पिछले महीने 20 अप्रैल को फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि विजय माल्या ने भारतीय बैंकों को धोखा दिया है और उसे प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए.

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