कोरोना का व्यवहार अनिश्चित, तीसरी लहर की तय तारीख बताना तर्कसंगत नहीं: डॉ. पॉल
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में डॉ. पॉल (Dr. VK Paul) कहा कि कोरोना की अगली लहर कितनी बड़ी होगी, ये कई कारणों पर निर्भर करेगा. जैसे लोगों का कोरोना संबंधी व्यवहार, टेस्टिंग संख्या, कंटेनमेंट रणनीति और वैक्सीनेशन की संख्या महत्वपूर्ण पहलू होंगे. इसके अलावा वायरस का अनिश्चित व्यवहार भी बड़ा कारण हो सकता है.
नई दिल्ली. देश की कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. वीके पॉल (Dr. VK Paul) ने कहा है कि महामारी की अगली लहर का निश्चित समय नहीं बताया जा सकता. उन्होंने कहा कि किसी भी अगली लहर के कोई भी समय निश्चित करना तर्कसंगत नहीं होगा क्योंकि कोरोना का व्यवहार अनिश्चित है. उन्होंने कहा कि महामारी के खिलाफ लगातार प्रभावी कदम उठाते रहने की जरूरत है.
कोरोना के नए डेल्टा प्लस वैरिएंट (Coronavirus Delta Plus Variant) को लेकर चिंताओं के बीच वीके पॉल ने कहा है-अभी तक कोई ऐसा वैज्ञानिक डेटा नहीं है जो साबित करे कि नया वैरिएंट ज्यादा संक्रामक है या फिर वैक्सीन के प्रभाव पर उल्टा असर डालता है.
कई कारणों पर निर्भर करेगा कोरोना की तीसरी लहर का प्रभाव
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में डॉ. पॉल कहा कि कोरोना की अगली लहर कितनी बड़ी होगी, ये कई कारणों पर निर्भर करेगा. जैसे लोगों का कोरोना संबंधी व्यवहार, टेस्टिंग संख्या, कंटेनमेंट रणनीति और वैक्सीनेशन की संख्या महत्वपूर्ण पहलू होंगे. इसके अलावा वायरस का अनिश्चित व्यवहार भी बड़ा कारण हो सकता है.
कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस के विरुद्ध कोवैक्सीन और कोविशीलड की प्रतिरोधक क्षमता के बारे में पॉल ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक आकलन के अनुसार दोनों टीके डेल्टा प्लस समेत कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों के विरुद्ध प्रभावी हैं.
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित टीकों का मार्ग प्रशस्त करने को लेकर चर्चा चल रही है. इस मुद्दे के कई आयाम हैं और हम जल्द से जल्द ऐसा रास्ता खोजने की कोशिश कर रहे हैं, जिस पर सभी की सहमति हो.
पॉल ने कहा, ‘‘हम हर संभव तरीके से इस मामले में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं.’’
भारत बायोटेक के कोवैक्सिन आवेदन मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बारे में पूछे जाने पर, पॉल ने कहा कि प्रक्रिया बहुत अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है.
फेफड़ों पर गंभीर असर का प्रमाण नहीं
इससे पहले टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के कोविड-19 कार्य समूह (एनटीएजीआई) के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा ने कहा था कि कोरोना वायरस के अन्य स्वरूपों की तुलना में ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप का फेफड़ों के उत्तकों से ज्यादा जुड़ाव मिला है लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि इससे गंभीर बीमारी होगी या यह ज्यादा संक्रामक है.
डेल्टा वैरिएंट पर वैक्सीन के असर को लेकर रिसर्च जारी
आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने रविवार को कहा था कि डेल्टा प्लस से पहले मिले अल्फा बीटा, गामा और डेल्टा जैसे वैरिएंट पर कोविशील्ड और कोवैक्सिन कारगर रही हैं. उन्होंने कहा कि हमारी ओर से फिलहाल इसका परीक्षण जारी है कि कोरोना की वैक्सीन इस वैरिएंट पर कितना असर करती हैं. हमें लैबोरेट्री के नतीजों का इंतजार है. इसके रिजल्ट 7 से 10 दिन में आ जाएंगे.