उत्तराखंड के जंगलों में भयानक आग, अब तक 51.34 हेक्टेयर का नुकसान; Twitter पर ट्रेंड हुआ #PrayForUttarakhand
उत्तराखंड के जंगलों में लगी ( Forest Fire in Uttarakhand) आग ने लोगों को परेशानी में डाल दिया है.
नई दिल्ली. कोरोनो वायरस (Coronavirus) महामारी के बीच उत्तराखंड के जंगलों में लगी (Forest Fire in Uttarakhand) आग ने लोगों को परेशानी में डाल दिया है. सोशल मीडिया पर लोग इसकी चर्चा कर रहे हैं. हर साल बढ़ते तापमान के कारण जंगल में आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं. इस साल अब तक 46 बार जंगलों में आग लग चुकी है.
It saddens me to see these beautiful mountains and forests and the wildlife that finds refuge here under the onslaught of these devastating forest fires for the past 4 days.The govt has to step in with measures to control and provide relief immediately. #PrayForUttarakhand pic.twitter.com/YFuPNm5aLa
— Jitin Prasada जितिन प्रसाद (@JitinPrasada) May 27, 2020
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पहली घटना की सूचना के बाद से जंगल की आग ने 51.34 हेक्टेयर क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया है. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि कुमाऊं क्षेत्र में आग लगने की 21 घटनाएं सामने आईं, जबकि गढ़वाल और आरक्षित वन क्षेत्रों में क्रमश: 16 और 9 मामले दर्ज किए गए.
In past four days, there have been 46 wildfires in Uttarakhand.
Over 50 hectare land has been gutted in fire and almost half of the wildlife is being reported to be in danger. #PrayForUttarakhand #UttarakhandWildfire pic.twitter.com/QE4iDmzYA0
— An Open Letter 😷 (@AnOpenLetter001) May 26, 2020
राज्य में आग से घिरे वनस्पतियों और जीवों के बारे में बताते हुए, कई निवासियों ने हैशटैग #PrayForUttarakhand के साथ वाइल्डफायर के वीडियो और फोटो ट्वीट किए, जो जल्द ही ट्रेंडिंग टॉपिक बन गया.
Uttarakhand Forests burning since days. But no media coverage and outrage because it's not Amazon or Australian Forest Fire!! #PrayForUttarakhand pic.twitter.com/HQCAhdxNtv
— OwwO ಓವೊ ஓவோ (@OwwOWorld) May 27, 2020
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने लिखा- ‘इन खूबसूरत पहाड़ों और जंगलों और वन्यजीवों को जलता देख दुखी हूं, जो बीते 4 दिनों से इसका शिकार हैं. सरकार को नियंत्रण और राहत प्रदान करने के उपायों को अमल में लाना चाहिए.’