Indo-Pak 1971 War: इस एक लाइन के खत को पढ़कर पाक सेना ने कर दिया था सरेंडर, खत ले जाने वाले कैप्टन निर्भय ने बताई सरेंडर की पूरी कहानी
पाकिस्तानी सेना के जनरल नियाजी तक वह खत ले जाने वाले रिटायर्ड लेफ्टीनेंट जनरल निर्भय शर्मा (Lieutenant general Nirbhay sharma) ने खत से लेकर सरेंडर (Surrender) करने तक के उस पूरे वाक्य को न्यूज18 में प्रकाशित किया गया है।
भारतीय सेना चारों तरफ से ढाका को घेरे खड़ी थी.
वह बताते हैं कि उस एक लाइन के खत में लेफ्टीनेंट जनरल नियाज़ी के लिए लेफ्टीनेंट जनरल नागरा का यह मैसेज था, ‘My dear Abdullah, I am here. The game is up, I suggest you give yourself up to me and I will take care of you.’
- हम जब एक ब्रिज के पास पहुंचे तो हमारे ऊपर गोलियां दागी जाने लगीं. तब मैंने अपनी पूरी ताकत से चीखते हुए फायरिंग रोकने के लिए कहा. फायरिंग तो रुक गई, लेकिन उन्होंने हमारे हथियार छीन लिए. वो पाक सेना का एक जूनियर कमीशंड अफसर था. मैंने उसे चेतावनी भरे लहाजे में कहा कि अगर हमे हाथ भी लगाया तो उसके नतीजे ठीक नहीं होंगे.
- भारतीय सेना ने ढाका को चारों ओर से घेर लिया है और उनका जनरल नियाज़ी सरेंडर करने को तैयार है.’ वह कहते हैं, ‘मैंने उसे उसके सीनियर को बुलाने के लिए कहा. तभी वहां उसका एक कैप्टन आ गया. मैंने उसे पूरी बातों के साथ खत के बारे में भी बताया. तब वो हमे अपने एक कमांडर के पास ले गया जिसने हमसे खत लिया और हमे कुछ देर रुकने के लिए कहा. करीब आधा घंटे बाद मेजर जनरल मोहम्मद जमशेद हमारे सामने आए और जीप में बैठकर हमारे साथ चल दिए. जमशेद मेरे और मेजर सेठी के बीच में बैठे हुए थे. जमशेद खाकी ड्रेस में थे.’
निर्भय शर्मा बताते हैं कि एक पाकिस्तानी जीप हमारे पीछे चल रही थी. हम वापस अपने ठिकाने पर जा रहे थे. एक बार फिर से हमारे ऊपर फायरिंग होने लगी. मेजर सेठी को पैर में गोली लगी और एक गोली तेजेंदर को भी लगी और वो वहीं शहीद हो गया. कुछ देर बाद हम अपने ठिकाने पर पहुंच चुके थे. जनरल नागरा कर्नल पन्नू के साथ वहीं थे. इस तरह से मेजर जनरल मोहम्मद जमशेद ने अपनी पिस्तौल जनरल नागरा को सौंप कर सरेंडर कर दिया.’