यह कोरोना के खिलाफ विश्वयुद्ध, निजी अस्पतालों की फीस पर कैप लगे: सुप्रीम कोर्ट

न्यायालय (Supreme Court) ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कोरोना वायरस (Covid-19) का इलाज (Treatment) का खर्च आम जनता की सीमा से बाहर है. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन द्वारा ज्यादा से ज्यादा प्रावधान करने या निजी अस्पतालों द्वारा लिये जा रहे शुल्क की सीमा निर्धारित करने का सुझाव दिया है.

0 1,000,171

नई दिल्ली. कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) की तुलना विश्वयुद्ध (World-war) से करते हुये उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने शुक्रवार को कहा कि इस पर काबू पाने के लिये दिशा निर्देशों और निर्धारित प्रक्रिया पर अमल करने में प्राधिकारियों की कोताही के कारण यह जंगल की आग की तरह फैल गया है. न्यायालय ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कोरोना वायरस का इलाज का खर्च आम जनता की सीमा से बाहर है.

शुल्क की सीमा निर्धारित करने का सुझाव

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन द्वारा ज्यादा से ज्यादा प्रावधान करने या निजी अस्पतालों द्वारा लिये जा रहे शुल्क की सीमा निर्धारित करने का सुझाव दिया है. न्यायालय ने कहा कि राज्यों को बहुत ही सतर्कता के साथ काम करना होगा और उन्हें केन्द्र के साथ परस्पर सद्भाव के साथ काम करना चाहिए और दूसरी बातों की बजाये उनकी पहली प्राथमिकता नागरिकों की सुरक्षा तथा स्वास्थ्य होना चाहिए.

निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ ‘कठोर और सख्त कार्रवाई’ हो
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि दिशा निर्देशों और निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ ‘कठोर और सख्त कार्रवाई’ की जानी चाहिए क्योंकि उन्हें दूसरों के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

पीठ ने स्वास्थ्य के अधिकार को मौलिक अधिकार इंगित करते हुये कहा कि इसमें वहन करने योग्य उपचार भी शामिल है. पीठ ने कहा कि इलाज बहुत मंहगा हो गया है और यह आम आदमी के वहन करने की सीमा में नहीं है.

आपदा प्रबंधन कानून के अधिकारों का जिक्र
पीठ ने कहा, ‘अगर कोई कोविड-19 के संक्रमण को हरा देता है तो भी वह इसके मंहगे इलाज की वजह से आर्थिक रूप से टूट जाता है. इसलिए राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को ज्यादा से ज्यादा प्रावधान करने होंगे या फिर निजी अस्पतालों द्वारा लिये जाने वाले शुल्क की अधिकतम सीमा निर्धारित की जाये. आपदा प्रबंधन कानून के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों से ऐसा किया जा सकता है.’

न्यायालय ने कहा, ‘इस अप्रत्याशित स्तर की महामारी से दुनिया में हर व्यक्ति किसी न किसी तरह से ग्रस्त है. यह कोविड-19 के खिलाफ विश्व युद्ध है. इसलिए कोविड-19 के खिलाफ विश्व युद्ध टालने के लिये सरकार और जनता की साझेदारी करनी होगी.’

पीठ ने पिछले आठ महीने से कोविड-19 महामारी का मुकाबला कर रहे चिकित्सकों और नर्सों सहित पहली कतार के स्वास्यकर्मियों की स्थिति का भी जिक्र किया और कहा कि वे लगातार काम करते रहने के कारण शारीरिक और मानसिक रूप से थक चुके हैं और उन्हें भी बीच बीच में आराम देने के लिये कोई तरीका निकालने की आवश्यकता है.

Leave A Reply

Your email address will not be published.