लोन मोरटोरियम मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार, कहा- RBI के पीछ मत छिपिए

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र से कहा कि उसके पास ब्याज से लोन मॉरटोरीअम ( Loan Moratorium) में छूट के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए पर्याप्त अधिकार हैं और यह सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कदम उठाए .

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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को लोन मॉरटोरीअम ( Loan Moratorium) के मुद्दे पर एक सनवाई के दौरान केंद्र सरकार (Modi Government)  को कड़ी फटकार लगाई. अदालत ने कहा कि ‘आरबीआई के पीछे ना छिपें, अपना स्टैंड बताएं.’  जस्टिस अशोक भूषण की  अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘आप अपना रुख स्पष्ट करें. आप कुछ भी नहीं कह सकते हैं. आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कदम उठाना आपकी जिम्मेदारी है. आपके पास पर्याप्त अधिकार हैं.आप केवल आरबीआई पर निर्भर नहीं रह सकते.’ सरकार के खिलाफ अदालत की प्रतिकूल टिप्पणियां सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा मामले में हलफनामे बाद आईं जिसमें कहा गया था बैंकिंग संस्थान भी परेशान हैं. इस हलफनामे के बाद बेंच नाराज हो गई.

जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कहा, ‘यह केवल व्यावसायिक हितों का ध्यान रखने का समय नहीं है, बल्कि आपको लोगों की दुर्दशा पर भी विचार करना चाहिए.’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आपको स्टैंड लेना चाहिए
इस पर SG ने कहा कि ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत सभी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर रही सरकार इस टिप्पणी के बाद कुछ सुधार कर सकती है.’ जिस पर पीठ ने जवाब दिया, ‘फिर आपको स्टैंड लेना चाहिए..यहां दो मुद्दे हैं. क्या कोई ब्याज लगाया जाना चाहिए और क्या ब्याज पर कोई ब्याज लगाया जाना चाहिए.?’
बेंच ने दोहराया कि सरकार अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कोई जवाब दाखिल नहीं कर रही है, बल्कि केवल आरबीआई के जवाब का हवाला दे रही है.  पीठ ने तब केंद्र को अपना हलफनामा दायर करने और मामले में स्पष्ट रुख अपनाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था. बता दें यह मामला उस याचिका से संबंधित है जिसमें आरबीआई अनिवार्य लोन मोरटोरियम के दौरान  छूट की मांग की गई है. इस याचिका में कहा गया है कि लोन मोरटोरियम एक निरर्थक कोशिश हैं क्योंकि बैंक ब्याज पर ब्याज लगा रहे हैं और इससे आम आदमी को कोई लाभ नहीं मिल रहा है.

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