नई दिल्ली. Covid-19 यानी कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण से मंगलवार तक 3,131 लोगों की मौत हो चुकी है. भारत में पिछले 24 घंटे में वायरस के संक्रमण के 18 मामले सामने आ चुके हैं. ऐसा केरल (Kerala) में सबसे पहले कोरोना के मामले सामने आने के करीब एक महीने बाद हुआ है.
नई बीमारी के टीके बनाने वाली कंपनियों को फंड देने वाली संस्था की बोर्ड मेंबर हैं कांग
57 वर्षीय गगनदीप कांग, ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. यह संस्थान भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आता है. गगनदीप कांग ऐसी पहली भारतीय महिला भी हैं, जिन्हें रॉयल सोसाइटी के फेलो के तौर पर चुना गया. सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि वो फिलहाल कोलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन (CEPI) के बोर्ड में एक सदस्य के तौर पर कार्यरत हैं. यह एक वैश्विक समूह है जो उभरती संक्रामक बीमारियों के लिए टीके के विकास में संस्थाओं के बीच फाइनेंसिंग और समन्वय का काम देखता है. इसकी वेबसाइट के मुताबिक CEPI सार्वजनिक क्षेत्र, प्राइवेट सेक्टर और सिविल सोसाइटी संस्थाओं सभी के साथ काम करती है.
‘टीके बनाने की समयसीमा को एक साल से कम किए जाने पर किया जा रहा काम’
कांग ने कहा है कि CEPI कोरोना वायरस के टीके बनाने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड और अमेरिका-बेस्ड बायोटेक कंपनी मोडेर्ना को फंड उपलब्ध करा रही है, जिन्होंने 6 हफ्तों में एक टीका तैयार कर लिया है. कांग ने इस काम को असाधारण कहा है. उन्होंने कहा है कि इन टीकों का अब क्लीनिकल ट्रायल और जानवरों पर ट्रायल किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि ये दोनों ही टीमें टीका बनाने की एक साल से डेढ़ साल की प्रक्रिया को छोटा बनाने के प्रयासों में जुटी हैं.
कांग ने इंटरव्यू के दौरान यह भी कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कोई भी देश वायरस का प्रसार रोक पाने के लिए पूरे प्रयास कर रहा है. हालांकि उन्होंने कहा कि चीन (China) ने वायरस को रोकने और लोगों में इसका पता लगाने, दोनों ही स्तर पर सबसे अच्छा काम किया है.
वहीं कांग ने यह भी कहा है कि मौसम का वायरस के प्रसार पर बहुत असर पड़ता है और उसी से यह तय होता है कि कोई वायरस किसी वातावरण में जीवित रह सकेगा या नहीं. अधिक तापमान (High Temperature) वायरस के प्रसार को रोकता है. यही वजह है कि सर्दियों में इंफ्लुएंजा ज्यादा होता है. कांग ने यह भी कहा कि बहुत से लोगों का यह कहना है कि यह वायरस भारतीय गर्मियों के दौरान होने वाले अत्यधिक तापमान में जीवित नहीं रह सकेगा.