‘हत्या के बाद महात्मा गांधी के शव का पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया जैसे तीन सवालों की फिर से हो जांच-सुब्रण्यम स्वामी

बीजेपी (BJP) नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से दावा किया है कि गोली लगने के करीब 35 मिनट बाद तक वह जिंदा थे.

नई दिल्ली. अपने बयानों के चलते हमेशा सुखिर्यों में रहने वाले बीजेपी (BJP) नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की हत्या पर सवाल उठाए हैं. स्वामी ने महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े कई सवाल पूछते हुए इस घटना की फिर से जांच कराए जाने की मांग की है. बीजेपी नेता ने कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से दावा किया कि गोली लगने के करीब 35 मिनट बाद तक वह जिंदा थे.

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बीजेपी के राज्यसभा सांसद ने अपने ट्वीट में एक किताब हवाला देते हुए कहा है, ‘एपी के अंतरराष्ट्रीय पत्रकार ने कहा था कि उसने शाम को 5:05 मिनट पर 4 गोली चलने की आवाज सुनी थी. जबकि कोर्ट में सरकारी वकील ने बताया था कि गोडसे ने 2 गोलियां चलाई थीं. उसी एपीआई पत्रकार ने बताया था कि महात्मा गांधी को बिरला हाउस में 5:40 बजे मृत घोषित किया गया. महात्मा गांधी 35 मिनट तक जिंदा थे.

बीजेपी नेता ने इसके बाद एक और ट्वीट किया और महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े तीन सवाल पूछे. उन्होंने पूछा, ‘हत्या के बाद महात्मा गांधी के शव का पोस्टमार्टम या उसकी जांच क्यों नहीं कराई गई? आभा और मनु जो प्रत्‍यक्ष गवाह थीं उनसे कोर्ट में पूछताछ क्यों नहीं की गई? नाथूराम गोडसे की रिवाल्‍वर में कितने खाली चेंबर थे? हमें इस पूरी घटना की फिर से जांच करने की जरूरत है.’

गौरतलब है कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने दिल्ली के बिड़ला भवन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गोली मार दी थी. जिस समय इस घटना को अंजाम दिया गया था उस वक्त महात्मा गांधी सांध्यकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे.

 


इससे पहले भी उठ चुका है सवाल

अक्तूबर 2017 में इस बाबत एक लेख प्रकाशित हुआ था इसमें सवाल उठाया गया था कि महात्मा गांधी का हत्यारा कोई दूसरा भी था? मुंबई के डॉ. पंकज फडनीस ने कई बिंदुओं के आधार पर महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच कराने के लिए याचिका दायर की । आधुनिक ‘अभिनव भारत’ के संस्थापक और रिसर्चर डॉ. पंकज फडनीस का मानना है कि इस मामले में बहुत कुछ छुपाया गया है। उनका कहना है कि साल 1966 में गठित न्यायमूर्ति जे एल कपूर जांच आयोग, महात्मा गान्धी की हत्या की पूरी साजिश का पर्दाफाश करने में चूक गया था।

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डॉ. पंकज फडनीस TOI

 

अपनी याचिका में फडनीस ने ‘तीन बुलेट सिद्धांत’ पर सवाल खड़े किए हैं, जिसके आधार पर विभिन्न न्यायालयों ने आरोपियों को दोषी ठहराया था। इस हत्या में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को 15 नवंबर, 1949 को फांसी पर लटका दिया गया था और विनायक दामोदर सावरकर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था।  याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि गांधी पर गोली चलाने वाला गोडसे के अलावा कोई अन्य व्यक्ति भी था, जिसके बारे में जानने के लिए इस केस की दोबारा सुनवाई जरूरी है।

जैसा की हम जानते हैं कि नाथूराम विनायक गोडसे ने महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली में बहुत नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस जांच में सामने आया था कि गांधी पर तीन गोलियां चलाई गई थीं। पंकज फडनीस ने इसी पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि वहां उस वक्त कोई और भी मौजूद था, जिसने गांधी पर चौथी गोली चलाई थी।
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महात्मा गांधी की हत्या पर 20 से ज्यादा सालों तक रिसर्च करने वाले फडनीस ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स आफ इंडिया  से बातचित में यह भी दावा किया है कि उनके पास इस मामले से सबंधित जो भी सबूत हैं वो फोर्स 136 (द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा लेनेवाली ब्रिटेन की एक यूनिट) के भी हत्या में शामिल होने की ओर इशारा करते हैं। उनका कहना है कि यह इतिहास की सबसे बड़ी लीपापोती है।
तो क्या चौथी गोली भी थी, जिसे नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और ने चलाया था?

फडनीस कहते हैं कि उनका शोध और उन दिनों की खबरें बताती हैं कि गांधी को चार गोलियां मारी गई थीं। गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को जिस पिस्तौल से महात्मा गांधी को गोली मारी थी, उसमें सात गोलियों की जगह थी और बाकी की चार बिना चली गोलियां पुलिस ने बरामद की थीं। ऐसे में यह तय है कि उस पिस्तौल से सिर्फ तीन गोलियां ही चलीं। उन्होंने याचिका में कहा कि ऐसे में गोडसे की पिस्तौल से चौथी गोली चले होने की कोई संभावना नहीं है।यह दूसरे हत्यारे की बंदूक से आई।

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फडनीस की इस जनहित याचिका को मुंबई हाईकोर्ट खारिज कर चुका है, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट का कहना था कि इस केस से संबंधित सभी तथ्य निचली अदालत में रिकॉर्ड हो चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट तक उनकी जांच हो चुकी है।

अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच के लिये दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ सवाल खड़े किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुत साल पहले सुनाए गए इस फैसले में कानूनी आधार पर कुछ नहीं किया जा सकता है। इसके साथ अदालत ने यह भी पूछा कि क्या इस मामले को दोबारा खोलना कानूनन सही और समझदारी भरा कदम होगा। इन सवालों के जवाब खोजने के लिये कोर्ट ने पूर्व सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ वकील अमरेंदर सरन को कोर्ट की सहायता के लिये एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है।

याचिकाकर्ता को लॉ ऑफ लिमिटेशन के तहत किसी मामले को अदालत में चुनौती देने की समय-सीमा के बारे में भी बताया। फडनीस ने इस पर कहा कि वह इस कानून के बारे में जानते हैं। इस केस में दोषी ठहराए गए लोगों ने फैसले के खिलाफ 1948 में ईस्ट पंजाब हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बाद मामला प्रिवी काउंसिल में गया जिसने उसे यह कहकर लौटा दिया कि स्वतंत्र भारत का सुप्रीम कोर्ट 1950 में अस्तित्व में आ जाएगा। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने कभी इस मामले की सुनवाई नहीं की। उनका कहना है कि अभी भी कुछ ऐसा जो साफ़ नहीं है। सच्चाई का पता लगाने के लिए केस को दोबारा खोला जाना जरूरी है। 

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