ICMR ने रैपिड टेस्टिंग पर लगाई 2 दिन की रोक, एक राज्य से मिली थी शिकायत

आईसीएमआर (ICMR) ने कहा कि अभी तक 4 लाख 49 हजार 810 टेस्ट हुए हैं. सोमवार को 35 हजार से ज्यादा टेस्ट किए गए थे.

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नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद/आईसीएमआर (ICMR) ने रैपिड टेस्टिंग किट (COVID-19 Rapid Test) को लेकर राज्यों के लिए एक दिशा निर्देश जारी किया है. आईसीएमआर ने मंगलवार शाम को दैनिक प्रेस वार्ता में कहा कि सभी राज्यों में रैपिड टेस्ट किट बांटी गई. एक राज्य ने टेस्‍ट किट को लेकर शिकायत की थी.

जिसके बाद आईसीएमआर ने टेस्टिंग पर रोक लगा दी है. आईसीएमआर ने राज्‍यों को दो दिन तक रैपिड टेस्‍ट किए इस्‍तेमाल नहीं करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही ये भी कहा है कि दो दिन के बाद निशा निर्देश जारी किया जाएगा. आईसीएमआर ने कहा कि अभी तक 4 लाख 49 हजार 810 टेस्ट हुए हैं. सोमवार को 35 हजार से ज्यादा टेस्ट किए गए थे.

अब तक संक्रमण से 3252 लोग ठीक हुए, रिकवरी रेट 17.5%

यह तस्वीर कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल की है। यहां पर डॉक्टर रेड जोन में रहने वाले एक व्यक्ति का रैपिड ऐटींबॉडी टेस्ट कर रहे हैं। कई राज्यों में रैपिड टेस्ट किट के परिणाम अच्छे नहीं होने की शिकायत मिली है।

कोरोनावायरस की टेस्टिंग को लेकर सरकार ने मंगलवार को सफाई दी। प्रेस कॉन्फ्रेंस इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से बताया गया कि रैपिड टेस्ट किट को लेकर एक राज्य की और से शिकायत मिली थी। दो दिन तक इस किट के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। अब तक देश में 3252 संक्रमित ठीक हो चुके हैं। भारत में रिकवरी रेट 17.48% है।

आईसीएमआर ने यह भी कहा कि अगले दो दिन में आठ इंस्टीट्यूट को फील्ड में भेजेंगे। ये इंस्टीट्यूट फील्ड में इन किट की जांच करेंगे। अगर इनमें खराबी आती है तो इन्हें वापस किया जाएगा। मंगलवार तक 4 लाख 49 हजार 810 सैंपल टेस्ट हुए। पॉजिटिव सैंपल में बहुत वैरिएशन है और इसे अच्छा नहीं कहा जा सकता। सोमवार को 35 हजार 852 टेस्ट किए गए। 29 हजार 776 सैंपल आईसीएमआर की 201 लैब और 6076 टेस्ट 86 प्राइवेट लैब में हुए हैं।

कोविड से लड़ाई में जुटे लोगों डेटा तैयार
गृह मंत्रालय की ओर से बताया गया कि सरकार ने दो पोर्टल भी बनाए हैं। इसमें एक कोविड वॉरियर्स डॉट गीओवी डॉट इन है। इसमें 1 करोड़ 24 लाख वॉलंटियर जुड़ चुके हैं। राज्य और जिला स्तर के को-ऑर्डिनेटर उपलब्ध है। हमने 20 कैटेगरी और 49 सब कैटेगरी शामिल किया है। जिला स्तर का डेटा सभी लोग देख पाएंगे, लेकिन कुछ विवरण सिर्फ अधिकारी देख पाएंगे। 201 सरकारी अस्पतालों, 49 ईसीआईसी के अस्पताल, रेलवे के 50 अस्पताल और 12 पोर्ट के अस्पतालों का विवरण इस पोर्टल पर उपलब्ध कराया गया है।

इसके साथ ही कोरोना वॉरियर्स की ट्रेनिंग के लिए आई जीओटी डॉट जीओवी डॉट इन पोर्टल बनाया गया है। इसे किसी भी प्रकार के उपकरण से एक्सेस किया जा सकता है। इस पर वीडियो और दस्तावेज उपलब्ध हैं। इनमें कोरोना से बचने के लिए कोर्सेस उपलब्ध हैं। अभी यह हिन्दी, अंग्रेजी और मलयालम भाषा में है। दूसरी भाषाओं में भी इसके अनुवाद की कोशिश हो रही है। 1 लाख 31 हजार 40 यूजर्स अब तक इस पर रजिस्टर हो चुके हैं। 40 हजार वॉलिंटियर्स काम कर रहे हैं। 1 लाख 80 हजार एक्स सर्विसमैन को चिन्हित किया गया है इनमें से 6 हजार 603 नियुक्त किए जा चुके हैं। 15 हजार आयुष प्रोफेशनल्स को भी 15 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में नियुक्त किया गया है। 1 लाख से ज्यादा आयुष प्रोफेशन्स और 15 हजार से ज्यादा आयुष स्टूडेंट्स को प्रशिक्षण दिया गया है।

अस्पतालों के लिए स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल बनाया
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल  ने बताया कि अभी तक 18601 पॉजिटिव केस आए हैं। 3252 लोग ठीक भी हुए हैं। इसके साथ ही हमारा रिकवरी रेट 17.48 प्रतिशत हो गया है। सबसे ज्यादा 705 लोग सोमवार को रिकवर हुए। कल से 1336 अतिरिक्त पॉजिटिव केस आए हैं। तीन जिले में 28 दिनों से कोई मामला नहीं आया है। इसमें एक और जिला राजस्थान का प्रतापगढ़ शामिल हो गया है। कुछ ऐसे मामले आए हैं, जिनमें कोविड का इलाज करने वाले अस्पतालों को बंद किया गया है। कोविड का इलाज नहीं करने वाले कुछ अस्पतालों में भी संक्रमित मिले हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने एक स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल तैयार किया है। जिस अस्पताल में इस प्रकार के केस आएंगे वहां पर सावधानी बरतते हुए सभी स्वास्थ्यकर्मियों को सात दिनों तक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में रखा जाएगा।

मजदूरों की आवाजाही के लिए एसओपी जारी
राज्यों के भीतर मजदूरों की आवाजाही के लिए एसओपी जारी किया गया था। मंत्रालय राज्यों के साथ मिलकर लॉकडाउन लागू कराने पर निगरानी कर रही है। राज्यों में कोरोना की स्थिति का जायजा लेने के लिए इंटर मिनिस्ट्रियल 6 टीमें गठित की गई हैं। इनमें वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया है। इनकी विशेषज्ञता को हम राज्यों के साथ साझा करना चाहते हैं। इससे कोरोना से लड़ने में मदद मिली है। कई स्थानों पर सहूलियत देने के बाद अच्छी शुरुआत हुई है। कुछ जगहों पर मनरेगा, ग्रामीण उद्योग और इंट भट्‌ठों पर काम चालू हुआ है। मनरेगा और दूसरे कामों में मजदूरों को लगाया जा रहा है। हमें यह जानकर खुशी हुई है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जागरूक हुए हैं।

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