कृषि बिलों पर एनडीए में टूट:अकाली दल ने एनडीए का 22 साल का साथ छोड़ा, हरसिमरत के इस्तीफे के 9 दिन बाद पार्टी गठबंधन से अलग हुई

इससे पहले शिरोमणी अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने शनिवार को मांग की कि पंजाब सरकार तत्काल एक अध्यादेश लेकर आए जिसमें पूरे राज्य को कृषि बाजार घोषित किया जाए ताकि केंद्र के कृषि विधेयकों को यहां लागू करने से रोका जा सके.

नई दिल्ली. शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने एनडीए (NDA) का दामन छोड़ दिया है. अकाली दल के अध्‍यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने खुद यह जानकारी दी है. उन्‍होंने कहा कि कृषि से संबंधित अध्‍यादेशों को लाने वाली एनडीए का हम हिस्‍सा नहीं हो सकते. सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि एनडीए के अलग होने का फैसला सर्वसम्‍मति से लिया गया है.

इससे पहले शिरोमणी अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने शनिवार को मांग की कि पंजाब सरकार तत्काल एक अध्यादेश लेकर आए जिसमें पूरे राज्य को कृषि बाजार घोषित किया जाए ताकि केंद्र के कृषि विधेयकों को यहां लागू करने से रोका जा सके. शिअद ने एक वक्तव्य में कहा, ‘अकाली फोबिया से दिनरात ग्रस्त रहने और अपने विरोधियों पर दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाने में व्यस्त रहने के बजाए मुख्यमंत्री कैप्टन अमिरंदर सिंह किसानों की रक्षा के लिए कदम उठाएं.’ बादल ने कहा, ‘केंद्र के नए कानूनों को पंजाब में लागू करने का एकमात्र तरीका यह है कि पूरे राज्य को कृषि उत्पाद की मंडी घोषित कर दिया जाए.’ उन्होंने कहा कि कोई भी इलाका जिसे मंडी घोषित किया गया है वह नए कानून के दायरे से बाहर है. उन्होंने कहा कि इससे ‘बड़े कॉर्पोरेट शार्क’ प्रदेश में प्रवेश नहीं कर पाएंगे.

कृषि बिलों की वजह से एनडीए में फूट पड़ गई है। शिरोमणि अकाली दल एनडीए से अलग हो गया है। 9 दिन पहले हरसिमरत कौर ने मोदी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। अकाली दल ने लोकसभा और राज्यसभा में इन बिलों का विरोध किया था। भाजपा और अकाली दल पिछले 22 साल से साथ थे।

अकाली दल पर क्या दबाव था

  • पार्टी में फूट से जूझ रहे अकाली दल के लिए मोदी सरकार के कृषि विधेयक गले की फांस बन गए थे, क्योंकि पार्टी को लग रहा था कि अगर वह इनके लिए हामी भरती तो पंजाब के बड़े वोट बैंक यानी किसानों से उसे हाथ धोना पड़ता।
  • पंजाब के कृषि प्रधान क्षेत्र मालवा में अकाली दल की पकड़ है। अकाली दल को 2022 के विधानसभा चुनाव दिखाई दे रहे हैं। 2017 से पहले अकाली दल की राज्य में लगातार दो बार सरकार रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 117 सीटों में से अकाली दल को महज 15 सीटें मिली थीं। ऐसे में 2022 के चुनाव से पहले अकाली दल किसानों के एक बड़े वोट बैंक को अपने खिलाफ नहीं करना चाहता।

इन 3 विधेयकों का विरोध हो रहा

  • फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल।
  • फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज बिल।
  • एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल।

1998 से अकाली दल एनडीए में था
1998 में जब लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी ने एनडीए बनाने का फैसला किया था, तो उस वक्त जॉर्ज फर्नांडीज की समता पार्टी, जयललिता की अन्नाद्रमुक, प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाला अकाली दल और बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना ने इसे सबसे पहले ज्वॉइन किया था। समता पार्टी का बाद में नाम बदलकर जदयू हो गया। जदयू द्रमुक एनडीए से एक बार अलग होकर वापसी कर चुकी है। शिवसेना अब कांग्रेस के साथ है। अकाली दल ही ऐसी पार्टी थी, जिसने अब तक एनडीए का साथ नहीं छोड़ा था।

Leave A Reply

Your email address will not be published.