वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा खास डिवाइस, जो इंसानी दिमाग की तरह करता है काम

वैज्ञानिकों ने ऐसा सूक्ष्म डिवाइस (Minute device) बनाया है जो इंसानी दिमाग (human Brain) की तरह बहुत ही कम ऊर्जा का उपयोग कर संकेतों का आदान प्रदान कर सकता है.

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नई दिल्ली:  जब इंसान ने कम्प्यूटर (Computer) बनाया था तब कहा गया था कि वह एक कृत्रिम मस्तिष्क है. लेकिन इसके बाद आज तक उसने कई गुना बेहतर और ताकतवर कम्प्यूटर बना लिया है, लेकिन यह नहीं माना जा सका है कि कोई कम्प्यूटर मानव मस्तिष्क की तरह है. अब वैज्ञानिकों ने ऐसा सूक्ष्म डिवाइस  बनाया है जो बहुत ही कम ऊर्जा का उपयोग कर संकेतों का आदान प्रदान कर सकता है.

क्या खास बात है इस डिवाइस की
कम्प्यूटर शोधकर्ताओं ने जो डिवाइस बनाया है वह दिमाग की तरह बहुत ही कम वोल्टेज स्तर पर काम कर सकता है. नेचर कम्यूनिकेशन्स में प्रकाशित  शोध के अनुसार मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने खास बिजली के तंतु का प्रयोग कर एक इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी डिवाइस बनाया है. इसे मेमरीस्टर नाम दिया है.

जैविक नैनोवायर्स का उपयोग किया है

इस खास डिवाइस में वैज्ञानिकों ने प्रोटीन नौनोवायर्स का उपयोग किया जिसे बैक्टीरियम जियोबैक्टर से विकसित किया है. उन्हेंने पाया कि इससे वे बहुत ही कम शक्ति वाली चीज बना सकते हैं जो न्यूरोन और मांसपेशी में सूचना प्रवाह के जोड़ की तरह काम कर सकती है.

लोगों को उम्मीद नहीं होगी इस तरह के काम की
शोध में शामिल कम्प्यूटर इंजीनियर जुन याओ ने कहा, “शायद लोगों को उम्मीद भी नहीं होगी कि हम ऐसा डिवाइस बना सकते हैं जो मस्तिष्क के मानव निर्मित जैविक विकल्प की तरह इतनी कम शक्ति का उपयोग कर सकेगा. अब हमारे पास बहुत ही निम्न शक्ति की कम्प्यूटिंग क्षमताएं आ गई है.”

बहुत ही अहम खोज है यह
यह एक अहम खोज हैं जो जैविक वोल्टेज की दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक्स की बहुत सी संभावनाएं खोल सकती है. इन नौनोवायर्स की जांच के लिए वैज्ञानिकों ने एक मानवीय बाल से सौ गुना कम के धातु के तंतु से ऑन-ऑफ पद्धति वाले संकेतों का प्रयोग किया. यह धनात्मक-ऋणात्मक आवेश (Positive negative charge) के क्रम ने वैसा ही असर दिखाया जैसा की हमारा मस्तिष्क सीखने में दिखाता है. संकेत समझने में दिखाता है.

इंसानी दिमाग की तरह है यह डिवाइस
अगर इसकी आम कंप्यूटर से तुलना की जाए तो इस डिवाइस के पास सीखने की क्षमता सॉफ्टवेयर आधारित नहीं है. इसके अलावा इतने महीन स्तर पर इसका काम कर पाना इसे इंसानी दिमाग की तरह बना देता है. या फिर यह कहना गलत न होगा कि यह डिवाइस इंसानी दिमाग की ही तरह काम करता है.

बहुत फायदे हैं इस तकनीक के
इन जैविक नौनोवायर्स के कृत्रिम सिलिकॉन नैनोवायर्स के मुकाबले बहुत से फायदे हैं. ये बहुत ही कम ऊर्जा पर काम तो करती ही हैं, ये पानी और शरीर के द्रव्यों में भी स्थिर रहते हैं इसका मतलब यह है कि इनका उपयोग हृदय की निगारनी करने वाले डिवाइस में हो सकता है.

एक दिन न्यूरॉन्स से बात कर सकेंगे हम

कम्प्यूटर के इंसानी दिमाग की तरह काम करने में कई चुनौतियां हैं. इनमें से एक उसके बहुत ही कम ऊर्जा का उपयोग कर अपने संचार तंत्र का उपयोग कर पाना है. यह डिवाइस इसी चुनौती का जवाब माना जा रहा है. डॉ यू की टीम अब नौनोवायर्स की केमिस्ट्री, बायोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स का पूरी तरह से अध्ययन करेगी.  उन्हें उम्मीद है कि इससे एक दिन वे हमारे न्यूरॉन्स से भी बात करने में सक्षम हो जाएंगे.

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