केंद्रीय कृषि कानून के खिलाफ पंजाब ने विधेयक पास तो किए लेकिन वैधानिकता कितनी?

ये चार विधेयक (Four Bills) पांच घंटे से अधिक समय की चर्चा के बाद पारित किये गए जिसमें बीजेपी के विधायकों (BJP MLA) ने हिस्सा नहीं लिया. विपक्षी शिरोमणि अकाली दल, आप और लोक इंसाफ के विधायकों ने विधेयकों का समर्थन किया.

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चंडीगढ़. पंजाब विधानसभा (Punjab Legislative Assembly) ने मंगलवार को चार विधेयक (Four Bills) सर्वसम्मति से पारित करने के साथ ही केंद्र के कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव (Resolution) भी पारित किया. ये विधेयक पांच घंटे से अधिक समय की चर्चा के बाद पारित किये गए जिसमें बीजेपी के विधायकों ने हिस्सा नहीं लिया. बीजेपी के विधानसभा में दो विधायक हैं. विपक्षी शिरोमणि अकाली दल, आप और लोक इंसाफ के विधायकों ने विधेयकों का समर्थन किया.

फंस सकता है कानूनी पेच

पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार के विधेयकों के खिलाफ प्रस्ताव के लिए आर्टिकल 254 (2) का सहारा लिया है. लेकिन आर्टिकल 254 (2) के इतिहास की समीक्षा करने पर पता चलता है कि इसके जरिए केंद्रीय कानून को किनारे करने का स्कोप बहुत कम है. एक और ध्यान देने वाली बात यह भी है कि आर्टिकल 254 (2) तहत बनाए गए किसी भी कानून को राष्ट्रपति से अनुमति की आवश्यकता होती है. हालांकि अनुमति न मिलने की स्थिति में सरकार कोर्ट का रास्ता भी अख्तियार कर सकती है. क्योंकि संविधान के अनुसार कृषि संबंधी मामलों को विधानसभा के अधिकारों में शामिल किया गया है. इसके अलावा भी मामले में कई पेच हैं.

पंजाब सरकार ने किया है सजा का प्रावधान
राज्य सरकार के इन विधेयकों में किसी कृषि समझौते के तहत गेहूं या धान की बिक्री या खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर करने सजा और जुर्माने का प्रावधान करता है. इसमें कम से तीन वर्ष की कैद का प्रावधान है. इन प्रावधानों के तहत किसानों को 2.5 एकड़ तक की जमीन की कुर्की से छूट दी गयी है और कृषि उपज की जमाखोरी और कालाबाजारी की रोकथाम के उपाय किए गये हैं.

इससे पहले, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सभी दलों से आग्रह किया था कि वे विधानसभा में उनकी सरकार के ‘ऐतिहासिक विधेयकों’ को सर्वसम्मति से पारित करें.

 पंजाब विधानसभा में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को केंद्र सरकार के कृषि बिलों और प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल के खिलाफ प्रस्ताव (रिजोल्यूशन) पेश किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के तीनों कृषि बिल और प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी बिल किसानों और बिना जमीन वाले मजदूरों के हितों के खिलाफ हैं। केंद्र के बिलों के खिलाफ अमरिंदर सरकार ने अपने 3 बिल पेश किए।

अमरिंदर ने कहा कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के वक्त भी मैंने पद छोड़ दिया था। मैं इस्तीफा देने से नहीं डरता, बल्कि इस्तीफा जेब में लेकर घूमता हूं। सरकार बर्खास्त होने का डर नहीं है, लेकिन किसानों को परेशान नहीं होने दूंगा, न्याय के लिए लडूंगा।

अमरिंदर ने केंद्र के कानूनों पर कहा कि अगर केंद्र सरकार ने अपने कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो नौजवान, किसानों के साथ मिलकर सड़कों पर उतर सकते हैं, जिससे अफरा-तफरी मच सकती है। इस समय चीन और पाकिस्तान एक हैं और वे पंजाब के इस माहौल को खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, इसलिए केंद्र को अपने कृषि कानून रद्द कर देने चाहिए।

पंजाब सरकार ने ये तीन बिल पेश किए

  • फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट बिल
  • द एसेंशियल कमोडिटीज (स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट) बिल
  • द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज (स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट बिल)

संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने खेती-किसानी से जुड़े 3 बिल पेश किए थे। पंजाब समेत कई राज्यों ने इनका विरोध किया था। उनका कहना था कि इन बिलों से किसानों को नुकसान और कॉरपोरेट्स को फायदा होगा। साथ ही आशंका जताई कि केंद्र सरकार धीरे-धीरे समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म कर देगी। शिरोमणि अकाली दल ने तो NDA से नाता ही तोड़ दिया था। केंद्र के तीनों बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 29 सितंबर को कानून बन गए थे।

पंजाब सरकार ने समर्थन मूल्य की गारंटी दी
अब पंजाब सरकार का अपने बिलों को लेकर कहना है कि राज्य में कहीं भी गेहूं और धान को समर्थन मूल्य से कम पर नहीं खरीदा जा सकेगा। किसी कंपनी या व्यापारी के ऐसा करते हुए पाए जाने पर 3 साल की सजा का प्रोविजन जोड़ा गया है।

आप के विधायक सदन में ही धरने पर बैठ गए थे
इससे पहले सोमवार को विधानसभा में हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ। अकाली नेता ट्रैक्टर और आप विधायक काला चोला पहनकर पहुंचे। राज्य सरकार की ओर से केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ लाए जा रहे बिल की कॉपी न मिलने पर विपक्ष ने काफी हंगामा किया। इसके विरोध में आप विधायक रातभर सदन में ही धरने पर बैठे रहे।

स्पीकर ने कहा कि बिल में सभी कानूनी पहलुओं को देखा जा रहा है। सरकार की कोशिश है कि बिल में ऐसा कोई कानूनी पहलू न छूटे जिससे कोर्ट में मुश्किलें पेश आएं।

धरने के दौरान सदन के अंदर सोते हुए आप विधायक।
धरने के दौरान सदन के अंदर सोते हुए आप विधायक।

बिल इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि इसके आधार पर ही यूपीए अन्य गैर भाजपा राज्यों में ऐसे बिल पारित करने को कहेगी। इससे पहले आप विधायक हरपाल चीमा विधायकों के साथ सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते स्पीकर के सामने आए और बिल की कॉपी मांगी। अकाली दल ने भी आप का साथ दिया।जब दोनों दल हंगामा करने से नहीं रुके तो स्पीकर ने कार्यवाही मंगलवार सुबह 10 बजे तक स्थगित कर दी। उधर, कॉपी न मिलने पर आप नेताओं ने सदन के अंदर रातभर धरना दिया।

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