गवर्नर कॉन्फ्रेंस में PM मोदी बोले- शिक्षा नीति में सरकार का दखल कम होना चाहिए
राज्यपालों के इस सम्मेलन में सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री, राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति और अन्य वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं. सम्मेलन का विषय ‘‘उच्च शिक्षा के बदलाव में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की भूमिका’’ रखा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को तैयार करने में लाखों लोगों से बात की गई, जिनमें छात्र-शिक्षक-अभिभावक सभी शामिल थे. आज हर किसी को ये नीति अपनी लग रही है, जो सुझाव लोग देखना चाहते थे वो दिख रहे हैं.
नई दिल्ली. सरकार की ओर से बीते दिनों ही नई शिक्षा नीति का ऐलान किया गया है, जिसपर अभी भी मंथन जारी है. इस कड़ी में सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovid) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy) पर आयोजित राज्यपालों की कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि देश के लक्ष्यों को शिक्षा नीति और व्यवस्था के जरिए ही पूरा किया जा सकता है. पीएम ने कहा कि शिक्षा नीति में सरकार का दखल कम होना चाहिए.
The #NewEducationPolicy focuses on learning instead of studying and goes ahead of the curriculum to focus on critical thinking. In this policy, we have stressed on passion, practicality and performance: PM Modi at Governor's Conference pic.twitter.com/9rUfKtXuCS
— ANI (@ANI) September 7, 2020
पीएम मोदी ने कहा कि इस नीति को तैयार करने में लाखों लोगों से बात की गई, जिनमें छात्र-शिक्षक-अभिभावक सभी शामिल थे. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हर किसी को ये नीति अपनी लग रही है, जो सुझाव लोग देखना चाहते थे वो दिख रहे हैं. अब देश में नई शिक्षा नीति को लेकर देश में उसके लागू करने के तरीके पर संवाद हो रहा है, ये इसलिए जरूरी है, क्योंकि इससे 21वें सदी के भारत का निर्माण होना है.
पीएम ने कहा, ‘शिक्षा नीति देश की आकांक्षाओं को पूरा करने का बहुत महत्वपूर्ण माध्यम होती है. इससे सभी जुड़े होते हैं. शिक्षा नीति में सरकार का दखल और प्रभाव कम से कम होना चाहिए. शिक्षा नीति से शिक्षक, अभिभावक छात्र जितना जुड़े होंगे, उतना ही यह प्रासंगिक होगी. 5 साल से देशभर के लोगों ने अपने सुझाव दिए. ड्राफ्ट पर 2 लाख से अधिक लोगों ने अपने सुझाव दिए थे. सभी ने इसके निर्माण में अपना योगदान दिया है. व्यापक विविधताओं के मंथन से अमृत निकला है, इसलिए हर तरफ इसका स्वागत हो रहा है.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये एक बहुत बड़ी वजह है राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्वीकारता की. आज दुनिया भविष्य में तेजी से बदलते जॉब, कार्य की प्रकति को लेकर चर्चा कर रही है. ये पॉलिसी देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक ज्ञान और कौशल दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ”देश की आकाक्षाओं को पूरा करने का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है। शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र , राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं। लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए.”
उन्होंने कहा, ”शिक्षा नीति से जितना शिक्षक, अभिये शिक्षा नीति, सरकार की शिक्षा नीति नहीं है। ये देश की शिक्षा नीति है।भावक जुड़े होंगे, छात्र जुड़े होंगे, उतना ही उसकी प्रासंगिकता और व्यापकता, दोनों ही बढ़ती है। देश के लाखों लोगों ने, शहर में रहने वाले, गांव में रहने वाले, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने, इसके लिए अपना फीडबैक दिया था, अपने सुझाव दिए थे.”
पीएम मोदी ने कहा, ”गांव में कोई शिक्षक हो या फिर बड़े-बड़े शिक्षाविद, सबको राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अपनी शिक्षा शिक्षा नीति लग रही है। सभी के मन में एक भावना है कि पहले की शिक्षा नीति में यही सुधार तो मैं होते हुए देखना चाहता था। ये एक बहुत बड़ी वजह है राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्वीकारता की.”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”आज दुनिया भविष्य में तेजी से बदलते Jobs, Nature of Work को लेकर चर्चा कर रही है। ये पॉलिसी देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक ज्ञान और कौशल दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी. नई शिक्षा नीति, स्टडींग के बजाय लर्निंग पर फोकस करती है और करिकुलम से और आगे बढ़करक्रिटिकल थिंकिंग पर ज़ोर देती है। इस पॉलिसी में प्रोसेस से ज्यादा पैशन, प्रैक्टिकैलिटी और परफॉर्मेंस पर बल दिया गया है.”
प्रधानमंत्री ने कहा, ”लंबे समय से ये बातें उठती रही हैं कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्ज़ाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दबे जा रहे हैं। इस पॉलिसी में इस समस्या को प्रभावी तरीके से संबोधित किया गया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हमारे सही मायने में बिना दबाव के, बिना अभाव और बिना प्रभाव के सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों को हमारी शिक्षा व्वयस्था का हिस्सा बनाया गया है.”