मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर, जड़ी-बूटियों से कोरोना का इलाज का दावा
कोरोना वायरस (Coronavirus) के इलाज के लिये ‘काबसुरा काशयम’ नाम से बाजार में उपलब्ध एक अन्य पारंपरिक औषधि का जिक्र करते हुए कोर्ट ने जानना चाहा कि सरकारों ने इस पर शोध में दिलचस्पी क्यों नहीं दिखाई.
चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) में एक याचिका दायर कर कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण का इलाज करने के लिये जड़ी-बूटी से बनी एक औषधि विकसित करने का दावा किया गया है. याचिका में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और आयुष मंत्रालय को पक्षकार बनाया है.
न्यायमूर्ति एन किरूबाकरण और न्यायमूर्ति आर हेमलता की खंडपीठ ने बुधवार को इस सिलसिले में एक अंतरिम आदेश दिया. पीठ ने यह टिप्पणी भी की कि केंद्र और राज्य सरकारें देश में अनुसंधानकर्ताओं और चिकित्सकों को इस महामारी का टीका विकसित करने के लिये प्रोत्साहित नहीं कर रही हैं.
कोरोना वायरस के इलाज का दावा
उल्लेखनीय है कि सेवानिवृत्त स्वास्थ्य निरीक्षक एवं याचिकाकर्ता एस मधेश्वरन ने इस याचिका में तमिलनाडु सरकार को उन्हें तकनीकी विशेषज्ञ समिति के समक्ष पेश होने की इजाजत देने के लिये निर्देश देने का अनुरोध किया है, ताकि वह एक हर्बल औषधि के बारे में विस्तार से बता सकें. उनका दावा है कि इस औषधि का उपयोग महामारी की रोकथाम और उपचार में किया जा सकता है.
याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसने विशेषज्ञ समिति के समक्ष पेश होने की अनुमति के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री और कई अन्य को प्रतिवेदन दिए. लेकिन इनका कोई जवाब नहीं मिलने पर वह अदालत की शरण में आया है. जनहित याचिका सुनवाई के लिए अपने समक्ष आने पर पीठ ने कहा कि क्या किसी खतरनाक रोग के खिलाफ हमारे अनुसंधानकर्ताओं द्वारा कोई टीका विकसित करने का कोई इतिहास है?
पीठ ने यह भी कहा कि जब विदेशों में वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता कोई टीका विकसित करते हैं तभी जाकर हम उनका उपयोग करते हैं. अदालत ने कहा कि अनुसंधानकर्ताओं, वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को टीका ईजाद करने के लिये कोष का आवंटन नहीं किया जाता है. आयुर्वेद के विशेषज्ञों द्वारा डेंगू के इलाज के लिये विकसित किये गये ‘नीलावेंबु काशयम’ का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि इस पर आगे कोई शोध नहीं किया गया.
कोर्ट ने पूछा- सरकारों ने क्यों नहीं दिखाई दिलचस्पी
कोरोना वायरस के इलाज के लिये ‘काबसुरा काशयम’ नाम से बाजार में उपलब्ध एक अन्य पारंपरिक औषधि का जिक्र करते हुए न्यायाधीशों ने जानना चाहा कि सरकारों ने इस पर शोध में दिलचस्पी क्यों नहीं दिखाई. पीठ ने कहा कि वह सभी पक्षों को सुनने के बाद एक विस्तृत आदेश जारी करेगी.