कृषि कानूनों पर संसद में हंगामे के आसार, विपक्ष के नेताओं ने दिया चर्चा का नोटिस
Farm Laws: कांग्रेस समेत विपक्ष के कई नेताओं ने केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों पर राज्यसभा में चर्चा के लिए सस्पेंशन ऑफ बिजनेस का नोटिस जारी किया है.
नई दिल्ली. केंद्र द्वारा पारित कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में किसानों के प्रदर्शन पिछले दो महीने से भी ज्यादा समय से जारी है. अब इसे लेकर संसद में भी हंगामे के आसार नजर आ रहे हैं. दरअसल कांग्रेस समेत विपक्ष के कई नेताओं ने सोमवार को बजट पेश होने के दौरान कृषि कानूनों का विरोध किया और इस संबंध में राज्यसभा (Rajyasabha) में चर्चा के लिए नोटिस जारी किया है. राज्यसभा में कांग्रेस के विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने किसान कानूनों को लेकर सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस जारी किया है.
आजाद के अलावा कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंदर सिंह हुड्डा, विपक्ष के उप नेता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी किसान कानूनों पर चर्चा के लिए नोटिस जारी किया है. इसके अलावा सीपीआई के सांसद बिनॉय विस्वम और आरजेडी के सासंद मनोज झा ने किसानों के विरोध प्रदर्शन के लिए 2 जनवरी को राज्यों की परिषद में नियम और प्रक्रिया और व्यवसाय के संचालन के नियम 267 के तहत सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस दिया है.
निचले सदन की बैठक के दौरान विपक्ष ने किया हंगामा
इससे पहले शुक्रवार को लोकसभा (Loksabha) में निचले सदन की बैठक के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के वित्त वर्ष 2020-21 का आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज प्रस्तुत करने के दौरान कांग्रेस सांसदों ने विवादों में घिरे तीन नये कृषि कानूनों (Farm Laws) को रद्द करने की मांग करते हुए आसन के समीप आकर नारेबाजी की थी.
वहीं शनिवार को हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को उनकी सरकार की ओर से दिया गया प्रस्ताव ‘‘अब भी बरकरार’’ है तथा बातचीत में सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है.
किसानों के मुद्दे पर खुले मन से आगे बढ़ रही सरकार
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बैठक के बाद बताया कि संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने विश्वास दिलाया कि केंद्र सरकार किसानों के मुद्दे पर खुले मन से आगे बढ़ रही है.’’
जोशी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि केंद्र का रुख वही है जो 22 जनवरी को किसान नेताओं और केंद्र के बीच हुई आखिरी बैठक में था तथा कृषि मंत्री (नरेंद्र तोमर) की ओर से दिया गया प्रस्ताव आज भी बरकरार है. मोदी जी ने वही बात कही जो तोमर जी ने कहा था कि बातचीत में सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है.’’