उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर क्यों लगा PSA, इस दस्तावेज में हुआ खुलासा

49 वर्षीय उमर और 60 वर्षीय महबूबा को पिछले साल पांच अगस्त से एहतियातन हिरासत में रखा गया है, जब केंद्र ने जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 (Article 370) के अधिकतर प्रावधानों को हटाने की घोषणा की थी.

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श्रीनगर. पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) और महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (Public Saftey Act) के तहत मामले दर्ज किए जाने के लिए नेशनल कांफ्रेंस नेता की पार्टी की आंतरिक बैठकों की कार्यवाहियों और सोशल मीडिया पर उनके प्रभाव तथा पीडीपी प्रमुख के “अलगाववादी समर्थक” रुख का अधिकारियों ने जिक्र किया है.

49 वर्षीय उमर और 60 वर्षीय महबूबा को पिछले साल पांच अगस्त से एहतियातन हिरासत में रखा गया है, जब केंद्र ने जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 (Article 370) के अधिकतर प्रावधानों को हटाने और इस पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों– लद्दाख (Laddakh) एवं जम्मू कश्मीर– में बांटने की घोषणा की थी. उनके एहतियातन हिरासत की मियाद खत्म होने से महज कुछ ही घंटे पहले उनके खिलाफ छह फरवरी की रात पीएसए (PSA) के तहत मामला दर्ज किया गया.

6 महीने से आगे बढ़ाई जा सकती है हिरासत

नियमों के अनुसार एहतियातन हिरासत को छह महीने से आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब 180 दिन की अवधि पूरा होने से दो सप्ताह पहले गठित कोई सलाहकार बोर्ड इस बारे में सिफारिश करे. हालांकि, इस संबंध में ऐसे किसी बोर्ड का गठन नहीं हुआ और कश्मीर प्रशासन के पास दो ही विकल्प थे या तो उन्हें रिहा किया जाए या पीएसए लगाया जाए.

उमर के खिलाफ तीन पृष्ठ के डॉजियर में जुलाई में नेशनल कांफ्रेंस की आंतरिक बैठक में कही गई उनकी कुछ बातों का जिक्र है जिसमें उन्होंने कथित रूप से कहा था कि सहयोग जुटाने जरूरत है ताकि केंद्र सरकार राज्य के विशेष दर्जे को हटाने की अपनी योजना को पूरा नहीं कर पाए.

सोशल मीडिया की सक्रियता पर भी उठे सवाल


पुलिस ने यह भी कहा कि उमर सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय थे और यह मंच युवाओं को संगठित करने की क्षमता रखता है. उमर केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं.संचार माध्यमों पर पांच अगस्त से प्रतिबंध लागू हैं. बाद में धीरे-धीरे इनमें ढील दी गई. कुछ जगहों पर इंटरनेट काम कर रहे हैं. विशेष निर्देशों के साथ मोबाइल पर 2जी इंटरनेट की सुविधा शुरू हो गई है ताकि सोशल मीडिया साइटों का उपयोग नहीं हो. हालांकि, पुलिस ने डॉजियर में उमर के किसी सोशल मीडिया पोस्ट का विशेष तौर पर जिक्र नहीं किया है.

महबूबा पर इसलिए लगा पीएसए

महबूबा ने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की स्थिति में जम्मू कश्मीर के भारत में विलय को चुनौती दी थी और उनकी इन्हीं टिप्पणियों के लिए उन पर पीएसए लगाया गया..उनके खिलाफ पीएसए के डॉजियर में सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादियों को मार गिराए जाने पर की गई टिप्पणी का भी जिक्र किया गया है. महबूबा की पार्टी पीडीपी जून 2018 तक जम्मू कश्मीर में भाजपा की सहयोगी थी.

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत जम्मू कश्मीर के जमात-ए-इस्लामिया संगठन को केंद्र द्वारा प्रतिबंधित संगठन घोषित किए जाने बाद इस संगठन को उनके समर्थन करने का भी डॉजियर में जिक्र किया गया है.


 

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