चेन्नई. कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रसार का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों (Scientists) ने कहा है कि जैसे-जैसे मामले बढ़ते जा रहे हैं, भारत बीमारी के प्रसार को रोकने के एक कठिन दौर में प्रवेश कर चुका है. और ऐसे दौर में दो तस्वीरें सामने आ सकती हैं- या तो चीन जैसी सफलता के साथ यह बीमारी को सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) या और सेल्फ कॉरन्टाइन (Self Quarantine) के साथ रोकने में सफल होगा या बीमारी का ऐसा प्रसार होगा कि देश में स्वास्थ्य का मूलभूत ढांचा दबाव (Health Infrastructure) में आ जाएगा.
News18 ने दो वैज्ञानिकों का इंटरव्यू (Interview) किया. उनमें से एक, जो कि सरकार के साथ अनुमानों और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर मिलकर काम कर रहे हैं, उन्होंने भारत में अगले दो से तीन हफ्तों में भारत में कुल मामलों की संख्या 415 से 1,000 के बीच होने का अनुमान लगाया. उन्होंने कहा कि मामलों की संख्या में दिख रहा यह बड़ा अंतर बीमारी के प्रभाव, उसमें आने वाली कमी, सोशल डिस्टेंसिंग और कॉरन्टाइन (Quarantine) पर निर्भर करेगा.
WHO और अमेरिकी यूनिवर्सिटी के डेटा के जरिए लगाए जा रहे अनुमान
WHO और अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डेटा का प्रयोग करते हुए देश भर के विश्वविद्यालयों में प्रायिकता के मॉडल तैयार किए गए हैं. इन मॉडल्स के जरिए दुनिया के अलग-अलग देशों में वायरस के प्रसार को मापा गया है और इसके अनुसार संभावित मामलों का अनुमान लगाया गया है. सौरिश दास, जो कि चेन्नई मैथमैटिकल इंस्टीट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर हैं, उन्होंने ‘ट्रांसफर लर्निंग’ नाम के एक मेथड का प्रयोग किया है. इसमें इटली, चीन और ऐसे अन्य जबरदस्त प्रसार वाले देशों में बीमारी का प्रसार कैसे हुआ, इसे भारतीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर समानांतर अध्ययन किया जा रहा है.
सबसे बुरी हालत में 15 अप्रैल तक भारत में आ सकते हैं 3,500 मामले
दास ने News18 के एक ई-मेल (E-mail) के जवाब में लिखा, “अगर हम मान लेते हैं कि बीमारी चीन की तरह फैली और हमने एक मजबूत सेल्फ-कॉरन्टाइन की प्रक्रिया को चीन की तरह ही यहां भी लागू कर दिया- तो इसका मतलब यह होगा कि चीन की सफलता को हम भारत में भी दोहरा सकेंगे- अगर ऐसा किया गया तो 15 अप्रैल तक भारत में सिर्फ 415 मामले ही सामने आने का अनुमान है.”
हालांकि दास ने चेतावनी दी, “सबसे बुरी हालत यह हो सकती है कि अगर भारत बीमारी को फैलने से रोकने में नाकाम रहता है तो यह इटली (Italy) के रास्ते पर बढ़ जाएगा. 15 अप्रैल तक 3,500 मामले से ज्यादा सामने आ सकते हैं.”
भारत में R0 करीब 1.7 है
हालांकि विभिन्न देशों से जुटाए गए डेटा को भारतीय परिस्थितियों का ख्याल रखते हुए खासकर भारतीय पैरामीटर जैसे समुदाय का व्यवहार, मौसम आदि की रौशनी में ही आलोचनात्मक परीक्षण किया जा रहा है. एक अन्य वैज्ञानिक, चेन्नई (Chennai) में मैथेमेटिकल साइंसेज के प्रोफेसर सीताभ्र सिन्हा ने कहा, इसके ज्यादा सबूत नहीं है कि भारत के मामले में R0 (एक व्यक्ति से दूसरों को बीमारी फैलने की गणना करने का सूचक) कम रहा है.
अलग-अलग देशों के लिए R0 (यानी एक व्यक्ति से जितने लोगों को यह संक्रमण फैलता है)
जैसा कि आप ऊपर दिए चित्र में देख सकते हैं, जिन 30 जगहों पर सबसे ज्यादा मामले भी दर्ज किए गए हैं, उनमें थोड़ा-बहुत ही अंतर देखने को मिला है. वहीं भारत का R0 (R naught) करीब 1.7 है जो कि अपेक्षाकृत कम मामलों की ओर इशारा करता है. हालांकि हमें अभी साफ नहीं कि यह ऐसा क्यों है.”
मार्च के अंत तक भारत में 1000 तक पहुंच सकते हैं कोरोना के मामले
सिन्हा ने अनुमान लगाया कि 22 मार्च तक देश में मामले 200 का आंकड़ा पार कर जाएंगे. उन्होंने यह अनुमान भी लगाया कि बीमारी (Disease) जैसे फैल रही है, फैलती रही तो यह आंकड़ा मार्च के अंत तक 1000 मामलों तक पहुंच जाएगा.
राष्ट्रीय आपदा टास्क फोर्स (The National Disaster Task Force), प्रोफेसर सिन्हा के संपर्क में है, जिन्होंने भारत के R0 का आंकड़ा और अगले हफ्तों के लिए कुछ दावों को उनके साथ साझा किया है.