नई दिल्ली. केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों (New Farm Law) के विरोध में किसान पिछले तीन हफ्ते से दिल्ली की सीमा पर लगातार आंदोलन (Farmers Agitation) कर रहे हैं. अब तक सरकार और किसानों के बीच बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. किसान नए काननू अपने खिलाफ मान रहे हैं. जबकि सरकार का कहना है कि नए कानूनों से कृषि के क्षेत्र में नई क्रांति आ सकती है और इसका फायदा किसानों को मिलेगा. सवाल उठता है कि क्या वाकई में किसान नए कानून से खुश नहीं है? नए कृषि कानूनों को लेकर न्यूज़ 18 नेटवर्क ने पिछले हफ्ते एक सर्वे किया था. इसके तहत नए कानूनों को लेकर लोगों की राय जानने की कोशिश की गई. सर्वे के नतीजों के मुताबिक करीब 70 फीसदी लोग नए कृषि कानूनों के समर्थन में हैं और इनका मानना है कि इससे किसानों का फायदा होगा. जबकि 54 प्रतिशत लोगों का मानना है कि किसानों का आंदोलन राजनीति से प्रेरित है.
इस सर्वें में हमने कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी, देश के लगभग हर कोने से लोगों की राय जानने की कोशिश की. इसके तहत देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लोगों से सवाल पूछे गए. इसके तहत नए कानूनों को लेकर लोगों की राय जानने की कोशिश की गई. इसमें 2412 लोगों ने हिस्सा लिया. इस सर्वे के तहत लोगों से कृषि कानून को लेकर कुल 12 सवाल पूछे गए.
क्या है लोगों की राय?
ज्यादातर लोगों का कहना है कि ये कानून देश और किसानों के हक में है और इससे आने वाले दिनों में किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव आएगा. साथ ही लोग ये भी चाहते हैं कि किसानों का आंदोलन तुरंत खत्म हो.
आइए विस्तार से एक नज़र डालते हैं कि इस सर्वे के नतीजों पर:-
1.56.59% लोगों का मानना है कि इस आंदोलन को खत्म किया जाए.
2. 53.6% लोग नए कृषि कानूनों के समर्थन में हैं. 30.6% लोग इस कानून के समर्थन में नहीं हैं. जबकि 15.8% इसको लेकर कुछ कहने की हालत में नहीं हैं.
3. 48.71% लोगों का मानना है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का ये आंदोलन राजनीति से प्रेरित है.
4. 32.59 फीसदी लोगों का कहना है कि ये आंदोलन राजनीति से प्रेरित नहीं है. जबकि 18.70 लोग पक्के तौर पर ये कहने की हालत में नहीं हैं कि ये राजनीति से प्रेरित है या नहीं.
5. 52.69% लोगों का मानना है कि प्रदर्शनकारी किसानों को कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने पर जोर नहीं देना चाहिए और समझौता करना चाहिए.
6. 60.90% का मानना है कि नए कृषि सुधार कानूनों के तहत किसानों को बेहतर कीमत मिल सकती है.
7. 73.05% भारतीय कृषि में सुधार और आधुनिकीकरण का समर्थन करते हैं.
8. 69.65% लोगों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है कि अब किसानों को APMC मंडी के बाहर अपने अनाज बेचने का विकल्प होगा.
सर्वे में पूछे गए सवाल और जवाब के लिए दिए गए विकल्प इस प्रकार रहे-
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क्या आप भारतीय कृषि में सुधार और आधुनिकीकरण का समर्थन करते हैं?हां, ये वक्त की जरूरत है/नहीं, ये आवश्यक नहीं है
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क्या आप उन कानूनों का समर्थन करते हैं जो सरकार कहती है कि भारतीय कृषि का आधुनिकीकरण करेंगे और किसानों को लाभान्वित करेंगे?हां बिल्कुल/नहीं मैं कह नहीं सकता
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क्या आप जानते हैं कि इस कानून के तहत किसानों को सरकार द्वारा संचालित एपीएमसी मंडी के बाहर अपने अनाज बेचने की छूट है?हां, मैं जागरूक हूं/नहीं, मुझे जानकारी नहीं थी
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क्या आप इस बात का समर्थन करते हैं कि किसानों को अपनी उपज मंडियों के बाहर बेचने का विकल्प होना चाहिए?हां, ये उनका अधिकार है/नहीं, मौजूदा व्यवस्था ठीक है
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क्या आपको लगता है कि नए कानूनों से किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त करने का विकल्प होगा?हां/नहीं
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क्या आप प्रधानमंत्री के इस आश्वासन से वाकिफ हैं कि चावल, गेहूं और 20 से अधिक अनाजों के लिए मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली (MSP) जारी रहेगी?हां, मुझे पता है/नहीं, ये मेरे लिए खबर है
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क्या आप सरकार द्वारा लिखित आश्वासन के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं कि MSP प्रणाली जारी रहेगी?हां, मैं इसका समर्थन करता हूं/नहीं, मैं समर्थन नहीं करता/मैं कुछ कह नहीं सकता
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जो लोग दिल्ली के बाहर तीन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं वो कहते हैं कि वो किसी चीज़ के लिए समझौता नहीं करेंगे. क्या आप आप उनके स्टैंड का समर्थन करते हैं?हां, मैं इसका समर्थन करता हूं/नहीं, उन्हें समझौता करना चाहिए
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प्रदर्शनकारियों की एक मांग यह है कि सरकार को पराली को जलाने पर प्रतिबंध लगाने वाले अध्यादेश को वापस लेना चाहिए जिससे दिल्ली और उत्तर भारत में प्रदूषण फैलता है. क्या ये मांग जायज है?हां, दिल्ली में प्रदूषण मायने नहीं रखता/नहीं, ये मांग अनुचित है
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क्या आप जानते हैं कि कई विपक्षी नेता, जब वे सत्ता में थे, तब भी इसी तरह के कानूनों का समर्थन किया था?हां/नहीं
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क्या आपको लगता है कि कृषि कानूनों का विरोध राजनीति से प्रेरित है?हां/नहीं/कह नहीं सकते
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क्या समय आ गया है कि इस विरोध प्रदर्शन को बंद किया जाए?हां, प्रदर्शनकारियों को समझौता करना चाहिए और घर जाना चाहिए/नहीं, विरोध जारी रहना चाहिए