बेंगलुरु. बेंगलुरु (Bengaluru) में अंडरवर्ल्ड डॉन के नाम से पहचाने जाने वाले माफिया डॉन मुथप्पा राय (Mafia Don Muthappa Rai) की शुक्रवार को कैंसर से मौत हो गई. अंतिम सांस लेते वक्त मुथप्पा राय ने कहा वह एक सच्चे देशभक्त हैं. मुथप्पा ने 30 साल तक डॉन के रूप में बेंगलुरु पर राज किया. राय ने अपने कैरियर की शुरुआत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम विजया बैंक में एक अधिकारी के रूप में की थी.
68 साल के राय, कॉमर्स से ग्रेजुएट थे. वह कई दिनों से कैंसर से पीड़ित थे और पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. उन्होंने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी जिसमें अपनी बीमारी के बारे में बताया था.
कोमर्स ग्रेजुएट मुथप्पा की ऐसे बदली जिन्दगी
1980 के दशक में राय बेंगलुरु के अंडरवर्ल्ड के संपर्क में आए और 1990 में बेंगलुरु के तत्कालीन सांसद जयराज के मर्डर के बाद वो रातोंरात माफिया बॉस बन गए.
1990 के दशक में राय दाऊद इब्राहिम के दाहिने हाथ शरद शेट्टी के संपर्क में आए. शरद शेट्टी दुबई में डी कंपनी के मामलों को संभाल रहे थे और क्रिकेट मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी के कारोबार के प्रभारी थे. उन्होंने दुबई में राय को कई दिनों तक अपने यहां रखा. 1994 में, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान पुट्टुर में एक युवा कांग्रेस नेता और मुथप्पा राय का दाहिना हाथ, जयंत राय की उनके ही कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उसके बाद से मुथप्पा बेंगलुरु से ही अपना सारा काम करने लगा था.
मुथप्पा दाऊद इब्राहिम के दाहिने हाथ शरद शेट्टी के संपर्क में आए, जो 1990 के दशक में मैंगलोर बंट के साथी भी थे। शरद शेट्टी दुबई से डी कंपनी के मामलों को संभाल रहे थे और क्रिकेट मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी के कारोबार के प्रभारी थे। उन्होंने दुबई में राय को शरण दी और उनकी देखभाल की।
2000 में शरद शेट्टी को दुबई में गिरफ्तार कर लिया गया जिसके बाद मुथप्पा खाड़ी भाग गए. 2002 में दुबई के अधिकारियों द्वारा बेंगलुरु में मुथप्पा गिरफ्तार किया गया. लेकिन सबूतों के अभाव में सभी आरोपों से बरी कर दिया गया.
2008 में, मुथप्पा ने कन्नड़ संगठन “जया कर्नाटक” से जुड़ गए. मुथप्पा ने खुद को रियल एस्टेट क्षेत्र में एक व्यवसायी बताया. वह 2018 में कर्नाटक एथलेटिक्स एसोसिएशन के चेयरपर्सन भी चुने गए. 2002 में दुबई से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद भारत लौटने पर उनके खिलाफ कोई आपराधिक गतिविधि के आरोप का मामला नहीं था. हालांकि, राजनीतिक मैदान में उतरने की काफी चर्चा रही पर वे राजनीति में उतर नहीं पाए.