माल्या ने फिर लगाई गुहार-सरकार मेरी विनती भी सुने, पूरा कर्ज वापस ले और केस बंद करे
विजय माल्या (Vijay Mallya) ने 100 फीसदी कर्ज चुकाने के प्रस्ताव को स्वीकार करने और उसके खिलाफ चल रहे मामले को बंद करने को कहा है.
वॉशिंगटन. शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) ने सरकार से 100 फीसदी कर्ज चुकाने के प्रस्ताव को स्वीकार करने और उसके खिलाफ चल रहे मामले को बंद करने को कहा है. विजय माल्या ने एक ट्वीट में कहा कि कोविड 19 राहत पैकेज के लिए सरकार को बधाई. वे जितना चाहे उतनी करेंसी प्रिंट कर सकते है लेकिन मेरे जैसे एक छोटे से कॉन्ट्रीब्यूटर की पेशकश स्वीकार करनी चाहिए जो सरकारी बैंकों के लोन का 100% वापस करना चाह रहा है. आखिर इसे इग्नोर क्यों किया जा रहा है,? कृपया मेरे पैसे बिना शर्त लें औरकेस बंद करें.’
Congratulations to the Government for a Covid 19 relief package. They can print as much currency as they want BUT should a small contributor like me who offers 100% payback of State owned Bank loans be constantly ignored ? Please take my money unconditionally and close.
— Vijay Mallya (@TheVijayMallya) May 14, 2020
माल्या को भारत में भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. वह मार्च 2016 से ब्रिटेन में है. उसे ब्रिटेन में स्कॉटलैंड यार्ड ने 18 अप्रैल 2017 को हिरासत में लिया था.
I have repeatedly offered 100 % payback but sadly to no avail. https://t.co/HmR9f2VWyA
— Vijay Mallya (@TheVijayMallya) April 28, 2020
वह तब से जमानत पर है. ब्रिटेन के गृह विभाग ने भारतीय जांच एजेंसियों की मांग पर उसके प्रत्यर्पण की मंजूरी दे रखी है.
हाईकोर्ट से विजय माल्या को लगा झटका
बीते महीने अप्रैल लंदन के रॉयल कोर्ट आफ जस्टिस में लॉर्ड जस्टिस स्टीफन इर्विन और जस्टिस एलिजाबेथ लाइंग के दो सदस्यीय बेंच ने भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया थी. मनी लॉन्ड्रिंग केस में विजय माल्या ने भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसी साल फरवरी महीने में 64 वर्षीय माल्या ने यह याचिका दायर की थी. भारत में कई बैंकों से माल्या की कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा उधार लिए गए 9,000 करोड़ रुपये के वित्तीय अपराधों के लिए विजय माल्या वांटेड है.
इससे पहले भी माल्या ने 31 मार्च को अपने ट्वीट में कहा था, ‘मैंने बैंकों को लगातार उनके पूरे पैसे चुकाने के लिए ऑफर किया है. न तो बैंक पैसे लेने में तैयार रहे हैं और ना ही प्रवर्तन निदेशालय संपत्तियों को छोड़ने के लिए. काश! इस समय वित्त मंत्री मेरी बात को सुनतीं.’