Kisan Andolan: लाल किले पर नहीं, सिर्फ दिल्ली बॉर्डर पर ट्रैक्टर रैली निकालेंगे किसान

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के कमेटी वाले फैसले पर भी किसान संगठन संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों ने लोहड़ी पर कृषि कानून की प्रतियां जलाई और आंदोलन को और तेज करने की अपील की.

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नई दिल्ली. नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) से नाराज किसानों को दिल्ली बॉर्डर (Delhi Borders) पर प्रदर्शन करते हुए 50 दिन होने वाले हैं. 6 हफ्तों से ज्यादा समय गुजरने के बाद भी किसानों और सरकार के बीच किसी एक बात पर सहमति नहीं बन पाई है. किसानों की ओर से किए जा रहे आंदोलन के बीच खबर आ रही है कि किसान अब 26 जनवरी को लाल किले पर ट्रैक्‍टर रैली नहीं निकालेंगे. किसान संगठन की ओर से कहा गया है कि अब किसान दिल्‍ली बॉर्डर पर ही रैली निकालेंगे.

बता दें कि भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल समूह) के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने किसानों को एक खुले पत्र में स्पष्ट किया है कि ट्रैक्टर मार्च केवल हरियाणा-नई दिल्ली सीमा पर होगा. लाल किले पर ट्रैक्‍टर रैली निकालने का किसानों का कोई इरादा नहीं है. राजेवाल ने उन किसानों को भी अलगाववादी तत्वों से दूर रहने को कहा है जो लाल किले में बाहर ट्रैक्टर मार्च निकालने की कोशिश कर रहे थे.बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के कमेटी वाले फैसले पर भी किसान संगठन संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों ने लोहड़ी पर कृषि कानून की प्रतियां जलाई और आंदोलन को और तेज करने की अपील की.

सरकार को बातचीत के 9वें दौर से उम्मीदें
आगामी शुक्रवार को किसान और सरकार 9वीं बार आमने-सामने होंगे. हालांकि, सरकार को इस बार होने वाली बातचीत से काफी ज्यादा उम्मीदें हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि कोई विकल्प मिलेगा और वे मामले के निपटारे की ओर बढ़ेंगे. हालांकि, सरकार भी अपना मत साफ कर चुकी है कि नए कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा. पत्रकारों से बातचीत के दौरान तोमर ने कहा था कि सरकार कानूनों में संशोधन करने के लिए तैयार है, लेकिन कानूनों के वापस लिए जाने का कोई विकल्प नहीं है.

 

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