Kisan Aandolan: किसानों ने साध लिया मौन, बैठक से उठकर चले गए मंत्री! जानें कहां अटकी किसान नेताओं और सरकार के बीच बात

Kisan Aandolan: किसान सगंठनों और केंद्र सरकार के बीच शनिवार को हुई पांचवें दौर की बैठक भी बेनतीजा ही खत्म हो गई. इस मसले पर अब 9 दिसंबर को अगली बैठक बुलाई गई है. सूत्रों से खबर मिली है केंद्र सरकार ने किसानों की कुछ मांगों को मानने का भरोसा जताया है.

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नई दिल्ली. किसान आंदोलन (Kisan Aandolan) को लेकर केंद्र सरकार (Central Government) और किसानों (Farmers) के बीच चल रहा गतिरोध दूर होता नहीं दिखाई दे रहा है. किसान सगंठनों और केंद्र सरकार के बीच शनिवार को हुई पांचवें दौर की बैठक भी बेनतीजा ही खत्म हो गई. इस मसले पर अब 9 दिसंबर को अगली बैठक बुलाई गई है. सूत्रों से खबर मिली है केंद्र सरकार ने किसानों की कुछ मांगों को मानने का भरोसा जताया है. इसके बावजूद किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि वे नए कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने से कम कुछ भी स्‍वीकार नहीं करेंगे.

किसान नेता कृषि कानून को रद्द करने की मांग सरकार से ठोस जवाब की मांग कर रहे थे. उनका कहना था कि सरकार हां या न में सीधा जवाब दे. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया कि शनिवार को हुई बैठक के दोनों केंद्र और किसानों के बीच तल्‍खी इतनी बढ़ गई कि डेढ़ घंटे तक कोई बातचीत हीं नहीं हुई. किसान संगठनों की ओर से बताया गया कि उनकी बात सुनने के बाद मंत्री वहां से उठकर चले गए और जब लौटे तो उन्होंने 8 दिसंबर को अगली बैठक करने की बात कही. इस पर किसानों ने कहा, ऐसा संभव नहीं हो सकता है क्‍योंकि 8 दिसंबर को उन्‍होंने भारत बंद बुलाया है. अब छठे दौर की बातचीत 9 दिसंबर को होगी.

जमहूरी किसान सभा के महासचिव कुलवंत सिंह संधू ने कहा, केंद्र सरकार के मूड को देखने के बाद ऐसा लगता है कि सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है और मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने सरकार को दो टूक कहा कि हमें ये कानून चाहिए ही नहीं क्‍योंकि ये किसान और जनता के खिलाफ है. संधू ने कहा कि सरकार की ओर से कहा गया है किसान युवाओं और बुजुर्गों को प्रदर्शन से वापस जाने के लिए कहें. सरकार की इस तरह की अपील से लगता है कि उन पर दबाव बढ़ रहा है और वह कानून में संशोधन को तैयार हैं.

किसानों के आंदोलन से ट्रैफिक हुआ बेहाल
किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर ट्रैफिक सिस्टम पर पड़ा है. हरियाणा और उत्‍तर प्रदेश से सटे बॉर्डर पर पिछले 10 दिन से हजारों किसान जमा हैं. शनिवार को गाजियाबाद और दिल्‍ली को जोड़ने वाले दो हाइवे भी बंद कर दिए जाने के बाद दिक्कत और भी ज्यादा बढ़ गई है. किसानों की मांग पर कार्रवाई नहीं हो रही है इसके कारण किसान अब और भी रास्तों को रोकने लगे हैं.किसान अब दिल्‍ली-मेरठ एक्‍सप्रेसवे पर भी जमा हो गए हैं. इसके बार सप्लाई चेन भी पूरी तरह से कटने लगी है.

 

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