इसरो ने टाला GSAT-1 का प्रक्षेपण, रक्षा और आपदा प्रबंधन के लिए बहुत काम का है यह उपग्रह

इसरो (ISRO) ने एक बयान में कहा, ‘‘ पांच मार्च 2020 को निर्धारित जीएसएलवी-एफ 10 के जरिये जीसैट-1 (GSAT-1) का प्रक्षेपण तकनीकी कारणों (Technical Reasons) के चलते स्थगित कर दिया गया है. प्रक्षेपण (launching) की नई तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी. ’’

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बेंगलुरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो-ISRO) ने बुधवार को बताया कि जीएसएलवी-एफ 10 (GSLV F-10) के जरिये जीसैट-1 (GSAT-1) का प्रक्षेपण तकनीकी कारणों के चलते स्थगित कर दिया गया है. यह पहले आगामी पांच मार्च को होने वाला था. इसरो ने एक बयान में कहा, ‘‘ पांच मार्च 2020 को निर्धारित जीएसएलवी-एफ 10 के जरिये जीसैट-1 का प्रक्षेपण तकनीकी कारणों (Technical Reasons) के चलते स्थगित कर दिया गया है. प्रक्षेपण (launching) की नई तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी. ’’

2,268 किलो वजनी है यह अत्याधुनिक पर्यवेक्षण उपग्रह
अंतरिक्ष एजेंसी के मुख्यालय ने हालांकि इस पर विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी. इस उपग्रह को गुरुवार शाम पांच बजकर 43 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा (Sriharikota, Andhra Pradesh) स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाना था.


एजेंसी के अनुसार जीसैट-1 का वजन 2,268 किलोग्राम है और यह एक अत्याधुनिक पर्यवेक्षण उपग्रह (Modern Observation Satellite) है.

भारत की रक्षा प्रणाली और आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूत करेगा जीसैट-1
जीसैट-1 एक महत्वपूर्ण उपग्रह है. यह उपग्रह देश की रक्षा प्रणाली और आपदा प्रबंधन (Satish Dhawan Space Centre) के लिए महत्वपूर्ण है. इस रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट को पहली बार ऑर्बिट में भेजा जाना है.जीसैट सैटेलाइट की लॉन्चिंग से पहले सतीश धवन स्पेस रिसर्च सेंटर (Satish Dhawan Space Centre) इसकी तैयारियों में जुटा हुआ था. नेल्लोर जेले के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसकी लॉन्चिंग की जानी थी.

GSLV रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली यह 14वीं उड़ान होती. इसे जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (Geostationary Orbit) में स्थापित किया जाना है. इससे भारतीय उपमहाद्वीप (Indian Subcontinent) पर, बादल होने पर भी थोड़े-थोड़े अंतराल पर अच्छे से नजर बनाए रखी जा सकती है.

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