कोरोना वायरस से घबराने की जरूरत नहीं, भारत आसानी से जीत लेगा ये जंग: पद्म भूषण डॉ. रेड्डी
डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी (Dr D Nageshwar Reddy) मौजूदा समय में एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के चेयरमैन हैं. उन्होंने कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को लेकर दो अहम बातें बताई, जो भारत के पक्ष में जाती हैं.
हैदराबाद. देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर जारी है. हर दिन संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अब तक 32 लोगों की इस वायरस के संक्रमण से मौत भी हो चुकी है. इन सबके बीच जाने-माने मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी (Dr D Nageshwar Reddy) ने राहत भरी खबर दी है. डॉ. रेड्डी ने कहा कि बेशक कोरोना वायरस (COVID-19) के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन इससे पैनिक होने की जरूरत नहीं है. भारत इस वायरस के खिलाफ जारी जंग आसानी से जीत सकता है.
अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए गए एक इंटरव्यू में डॉ. नागेश्वर रेड्डी ने ये बातें कही. पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. रेड्डी ने कहा, ‘कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है. इसके लिए लॉकडाउन लगाया लगाया गया है, लेकिन ये लॉकडाउन 4 हफ्ते से ज्यादा नहीं होना चाहिए.’ बता दें कि देश में 24 मार्च की रात 12 बजे से 21 दिनों का लॉकडाउन है. आज इसका सातवां दिन है.
डॉ. रेड्डी मौजूदा समय में एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के चेयरमैन हैं. उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर दो अहम बातें बताई, जो भारत के पक्ष में जाती हैं. डॉ. नागेश्वर रेड्डी के मुताबिक, कोरोना वायरस दिसंबर में चीन के वुहान शहर से पैदा हुआ और यहीं से फैलना शुरू हुआ. चीन से होकर ये इटली, अमेरिका समेत यूरोप के अन्य देशों में फैला. करीब दो से तीन हफ्ते के अंदर ये वायरस भारत में आया. कोरोना एक आरएनए वायरस है.
चार देशों में है इस वायरस की सीक्वेंसिंग
डॉ. नागेश्वर रेड्डी के मुताबिक, कोरोना वायरस चमगादड़ों से इंसानों में फैला. लेकिन, निश्चित तौर पर जब ये वायरस इटली, अमेरिका या भारत में फैला होगा, तो इसके जीनोटाइप्स अलग हुए होंगे. पूरे वायरस की सीक्वेंसिंग चार देशों में की गई है. पहला अमेरिका, दूसरा इटली, तीसरा चीन और आखिरी देश भारत है.
भारत के लिए अच्छी खबर कैसे?
डॉ. रेड्डी आगे बताते हैं कि स्टडी में ये भी पता चला है कि इटली के मुकाबले भारत में इस वायरस के अलग जीनोम हैं. भारत के लिए ये अच्छी खबर इसलिए है, क्योंकि भारत में आए वायरस के जीनोम के स्पाइक एक सिंगल म्यूटेशन वाले हैं. स्पाइक प्रोटीन वह क्षेत्र है, जो मानव कोशिका से जुड़ा होता है. सिंगल म्यूटेशन होने पर ये वायरस एक हफ्ते में कमजोर पड़ जाता है. ऐसे में भारत के लिए कोरोना से जंग जीतना ज्यादा मुश्किल नहीं है.
इटली में मिले वायरस में क्या है?
डॉ. रेड्डी ने इटली में मिले कोरोना वायरस पर भी बात की. उन्होंने बताया कि इटली के वायरस में थ्री म्यूटेशन मिले हैं, जो इसे घातक बनाते हैं. इटली में इस वायरस के तेजी से फैलने के और दूसरे कारण भी हैं. इटली एक वृद्ध देश हैं. यानी यहां की आबादी का ज्यादातर हिस्सा 70-80 साल या ऊपर का है.
इन लोगों में बढ़ती उम्र के साथ-साथ इम्यूनिटी कम होती जाती है. स्मोकिंग, शराब पीना, शुगर, ब्लड प्रेशर भी इसके कारण हो सकते हैं. इसलिए इटली में मरने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है. वहीं, भारत, अमेरिका और चीन में इस वायरस से मृत्यु दर 2 फीसदी ही है.
डॉ. रेड्डी ने कहा कि इसलिए मेरी राय में भारत में जो कोरोना वायरस फैला है, वो ज्यादा घातक नहीं है, इसलिए मौतों की संख्या भी कम है और ज्यादा लोग ठीक हो रहे हैं. ऐसे में भारत ये लड़ाई जरूर जीतेगा.