नेपाल के नया राजनीतिक मानचित्र जारी करने के बाद ऐतिहासिक पड़ोसी भारत से छिड़ा सीमा विवाद
इस निर्णय की तारीफ करते हुए नेपाल (Nepal) के पर्यटन मंत्री (Tourism Minister) योगेश भट्टाराई ने ट्वीट करके लिखा, "आज, नेपाल सरकार के मंत्रिपरिषद के फैसले को इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा."
नई दिल्ली. नेपाली कैबिनेट (Nepal cabinet) ने सोमवार को एक ताजा राजनीतिक मानचित्र (political map) को मंजूरी दी जिसमें लिम्पियाधुरा (Limpiyadhura), लिपुलेख (Lipulekh) और कालापानी (Kalapani) को नेपाल के इलाकों के तौर पर दिखाया किया गया.
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने ट्विटर (Twitter) पर लिखा, “भूमि प्रबंधन मंत्रालय (Ministry of Land Management) द्वारा आधिकारिक मानचित्र जल्द ही सार्वजनिक किया जा जायेगा.”
पहली बार नेपाल ने भारत के खिलाफ अपनाया इतना कड़ा रुख
इस निर्णय की तारीफ करते हुए नेपाल (Nepal) के पर्यटन मंत्री (Tourism Minister) योगेश भट्टाराई ने ट्वीट करके लिखा, “आज, नेपाल सरकार के मंत्रिपरिषद के फैसले को इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा.”
यह शायद वर्षों में पहली बार है कि भारत के ऐतिहासिक रूप से जुड़े पड़ोसी और मित्र ने इतने गंभीर टकराव वाला रुख अपनाया है, हालांकि यह मुद्दा पिछले कुछ समय से सिर उठा रहा था.यह कदम रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में कैलाश मानसरोवर मार्ग पर एक लिंक रोड का उद्घाटन करने के 10 दिनों बाद आया है. यह लिंक रोड लिपुलेख के लिए जाती है.
भारत ने खारिज किया दावा, कहा- पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में रोड
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर लिंक रोड पर आपत्ति जताते हुए दावा किया था कि यह नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है. भारत ने यह कहते हुए दावे को खारिज कर दिया कि यह “पूरी तरह से भारत के क्षेत्र में आता है.”
भारत ने कहा है कि सड़क कैलाश मानसरोवर यात्रा के तीर्थयात्रियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पहले से मौजूद मार्ग को रोड में बदला गया है. एक अधिकारी ने कहा, “वर्तमान परियोजना के तहत, एक ही सड़क को तीर्थयात्रियों, स्थानीय लोगों और व्यापारियों की सुविधा और आसानी के लिए अनुकूल बनाया गया है.”
नेपाल के विदेश मंत्री ने मामले पर भारतीय राजदूत को किया था समन
हालांकि, एक दिन बाद, एक दुर्लभ कदम उठाते हुए नेपाल के विदेश मंत्री ने भारत के राजदूत विनय क्वात्रा को बुलाया और भारत द्वारा उद्घाटन किए गए मार्ग पर एक राजनयिक नोट जारी किया.
क्वात्रा ने उसे दोहराया जो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 9 मई को जारी एक बयान में कहा था. उन्होंने कहा, “भारत राजनयिक बातचीत के माध्यम से और नेपाल के साथ हमारे घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों की भावना के जरिए सीमा मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है.”
रक्षामंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया था रोड का उद्घाटन
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में धारचूला से लिपुलेख दर्रे के बीच चीन के साथ लगती सीमा, कैलाश मानसरोवर के प्रवेश द्वार के बीच 80 किलोमीटर लंबी लिंक रोड का उद्घाटन किया था.
उस समय, उन्होंने कहा था कि लिंक रोड के पूरा होने के साथ पहले के दो-तीन सप्ताह की तुलना में एक सप्ताह के भीतर कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू की जा सकती है.
सड़क का यह भी अर्थ है कि अब भूमि पर तीर्थ यात्रा का 84% भारतीय क्षेत्र में और 16% चीन में. जबकि पहले 80% यात्रा विदेशी भूमि में की जाती थी.
सेनाध्यक्ष नरवणे ने किया था चीन के इशारे पर नेपाल के ऐसा करने का इशारा
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में इस कदम को “एकपक्षीय कदम” कहा और कहा कि “यह प्रधानमंत्री स्तर की दोनों देशों के बीच समझ के खिलाफ चलता है जिसमें सीमा के मुद्दों का हल बातचीत के माध्यम से किया जाना है.”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, “भारत और नेपाल ने सभी सीमा मामलों से निपटने के लिए एक तंत्र स्थापित किया है. नेपाल के साथ सीमा परिसीमन अभ्यास जारी है. ”
इस बीच, सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने यह भी संकेत दिया कि नेपाल सड़क के विरोध में चीन (China) के इशारे पर काम कर रहा था.