FM Nirmala Sitharaman Press Conference Live Update: 20 लाख करोड़ के पैकेज की चौथी घोषणा में इन सेक्टरों को राहत दे सकती हैं वित्त मंत्री

FM Nirmala Sitharaman Economic Package India Announcement, Press Conference Live Update: शुक्रवार को वित्त मंत्री ने पशुपालन क्षेत्र के लिए 15000 करोड़ रुपये और मत्‍स्‍य पालन क्षेत्र के लिए 20000 करोड़ रुपये का ऐलान किया था. लाइव अपडेट के लिए इस पेज को रीफ्रेश करते रहें...

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नई दिल्ली. कोरोना महामारी के संकट से उबरने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज शाम 4 बजे 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज के बचे हुए 2 लाख करोड़ रुपए का ब्रेकअप कर सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी। जिसके बाद वित्त मंत्री पिछले तीन दिन से इसका ब्रेकअप दे रही हैं। अब तक 18 लाख करोड़ रुपए का ब्रेकअप दिया जा चुका है।

वित्त मंत्री पिछले तीन दिन के दौरान एमएसएमई, मजदूरों, ठेकेदारों, संविदा कर्मचारियों, मजदूर वर्ग, व्यापक उद्योग, प्रवासी श्रमिकों, मुफ्त खाद्यान्न, किसानों को रियायती लोन, एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर, माइक्रो फूड एंटरप्राइज, मछली पालन, पशुओं के टीकाकरण, औषधीय पौधों, मधुमक्खी पालन जैसे कई सेक्टर के लिए पैकेज दे चुकी हैं। ऐसे में आज वे किस सेक्टर के लिए कितने रुपए का पैकेज देंगी, ये देखना होगा।

18 लाख करोड़ रुपए का हिसाब

पहले पैकेज में 7.35 लाख करोड़ रुपए जारी हुए
जानकारी के मुताबिक पहला पैकेज 25 मार्च को प्रधानमंत्री ने 1,70,000 करोड़ रुपए का जारी किया था। उसके बाद अगले दिन से आरबीआई ने कई चरणों में घोषणा की। यानी प्रधानमंत्री की घोषणा से पहले कुल 7,35,000 करोड़ रुपए के पैकेज जारी किए गए। इसमें 1.70 लाख करोड़ रुपए का प्रधानमंत्री का पैकेज था। जबकि आरबीआई ने बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए 5,65,200 करोड़ रुपए की घोषणा अलग-अलग दिनों में की थी।

दूसरे पैकेज में 5.94 लाख करोड़ रुपए जारी हुए
दूसरा पैकेज वित्तमंत्री ने बुधवार को जारी किया। यह 5,94,250 करोड़ रुपए का पैकेज था। इस पैकेज में एसएमई के लिए लोन, कोलैटरल, डेट और इक्विटी आदि मिलाकर कुल 3,70,000 करोड़ रुपए जारी किए गए थे। इसी तरह ईपीएफ के लिए 9,250 करोड़ रुपए जारी किए गए थे। एनबीएफसी, एचएफसी, एमएफआई यानी गैर बैंकिंग, हाउसिंग फाइनेंस और माइक्रो फाइनेंस के लिए 75,000 करोड़ रुपए की लिक्विडिटी दी गई। डिस्कॉम यानी बिजली कंपनियों के लिए इसी दिन 90,000 करोड़ रुपए की घोषणा की गई। जबकि टीडीएस, टीसीएस के रिडक्शंस पर 5,000 करोड़ रुपए घोषित किए गए।

तीसरे पैकेज में 3.16 लाख करोड़ रुपए जारी हुए
गुरुवार को तीसरे पैकेज में 3,16,000 करोड़ रुपए जारी किए गए। इसमें पीडीएस के लिए 3,500 करोड़ रुपए, मुद्रा योजना के तहत शिशु लोन के लिए 1,500 करोड़ रुपए, स्पेशल क्रेडिट फैसिलिटी स्ट्रीट वेंडर्स के लिए 5,000 करोड़ रुपए, सीएएमपीए के लिए 6,000 करोड़ रुपए, नाबार्ड के लिए 30,000 करोड़ रुपए, क्रेडिट किसान कार्ड के लिए 2 लाख करोड़ रुपए, क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के लिए 70,000 करोड़ रुपए जारी किए गए।

चौथे पैकेज में 1.55 लाख करोड़ रुपए जारी हुए
शुक्रवार को चौथे पैकेज के चरण में 1,55,000 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई। इसमें प्रमुख रूप से एग्रीकल्चर इंफ्रा को मजबूत करने पर जोर दिया गया। इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए की घोषणा की गई। जबकि पशुपालन के लिए 15,000 करोड़ रुपए, टाप टू टोटल के लिए 500 करोड़ रुपए जैसी अन्य घोषणाएं की गई। इस तरह से देखा जाए तो आत्मनिर्भर भारत के लिए घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज से 18 लाख करोड़ रुपए आ चुका है। अब केवल 2 लाख करोड़ रुपए बचा है, जिसकी घोषणा शनिवार को की जा सकती है। यह 20 लाख करोड़ रुपए भारत की जीडीपी का 10 प्रतिशत है।

मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों के लिए 500 करोड़ रुपये का पैकेज दिया जा रहा है. ग्रामीण इलाकों में जो लोग मधुमक्खी पालन करते हैं उन्हें इससे सपोर्ट मिलेगा. 2 लाख मधुमक्खी पालन करने वाले लोगों की आमदनी बढ़ेगी.

शुक्रवार को राहत पैकेज के तीसरे चरण में कृषि इंफ्रा के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के ऐलान किए गए थे. इसके साथ ही एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट में बदलाव, किसानों को बेहतर दाम देने के लिए नए कानून बनाने, फिशरीज के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रावधान और छोटी और मझोली फूड प्रोसेसिंग यूनिट को सब्सिडी देने का ऐलान किया गया था.

 लगातार तीसरे दिन सीतारमण आईं और आत्मनिर्भर भारत अभियान की योजनाएं बताती चली गईं। वित्त मंत्री शुक्रवार को एक घंटा 17 मिनट बोलीं और इस दौरान 11 घोषणाएं कीं। केंद्र में किसान थे। 8 घोषणाएं उन्हीं के बारे में थीं। खासकर खेती-किसानी के इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स के बारे में।

तीन घोषणाएं शासन-प्रशासन से जुड़ी थीं। इन 11 घोषणाओं में से 7 लागू कब होंगी, कुछ साफ नहीं कर गईं। तीन दिनों में, यानी बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को मिलाकर वित्त मंत्री 4 घंटे 21 मिनट बोल चुकी हैं। और इस दौरान 35 घोषणाएं कर चुकी हैं।

मौजूदा हिसाब से लग रहा है कि शनिवार को भी वित्त मंत्री जरूर आएंगी। क्योंकि अब तक 20 लाख करोड़ का हिसाब पूरा नहीं हुआ है। जो प्रधानमंत्री बोल गए थे। दो लाख करोड़ रुपए अब भी बचे हुए हैं। आज की घोषणाओं को फिर उन्हीं 4 बुनियादी आधार पर समझें कि क्या मिलेगा, किसे मिलेगा, कैसे मिलेगा और कब तलक मिल सकेगा…

1. एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड

क्या मिलेगा: फसल कटाई, कोल्ड चेन, स्टोरेज सेंटर जैसी ‘फार्म गेट’ सुविधाएं मजबूत करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए की फाइनेंसिंग की जाएगी।

किसे मिलेगा: एग्रीकल्चरल इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रायमरी एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव सोसायटी और खेती से जुड़े स्टार्ट-अप्स को यह मदद दी जाएगी।
कैसे मिलेगा: यह पैसा शॉर्ट टर्म लोन के जरिए मिलेगा।
कब मिलेगा: सरकार का कहना है कि तुरंत ही यह फंड बना लिया जाएगा।

2. माइक्रो फूड एंटरप्राइज के लिए 10 हजार करोड़ रुपए
क्या मिलेगा:
 लोकल के लिए वोकल के नारे को ध्यान में रखते हुए माइक्रो फूड एंटरप्राइज को 10 हजार करोड़ रुपए की मदद दी जाएगी ताकि वे फूड स्टैंड्‌डर्स का ध्यान रखते हुए ब्रांडिंग और मार्केटिंग कर सकें।
किसे मिलेगा: ऐसी 2 लाख यूनिट्स को इसका फायदा मिलेगा। कश्मीर का केसर हो, उत्तर प्रदेश का आम हो, पूर्वोत्तर का बांस हो, आंध्र प्रदेश की मिर्ची हो या बिहार का मखाना हो, इस तरह के उद्यमों को इसमें मदद मिलेगी।
कैसे मिलेगा: कृषि उपज संस्थाओं, सेल्फ हेल्प ग्रुप्स और सहकारी संस्थाओं के जरिए यह मदद दी जाएगी।
कब मिलेगा: सरकार ने अभी यह साफ नहीं किया है।

3. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए
क्या मिलेगा
: प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के जरिए 20 हजार करोड़ रुपए की मदद मिलेगी। इसमें 11 हजार करोड़ रुपए मछली पालन और 9 हजार करोड़ रुपए बुनियादी सुविधाएं मजबूत करने के लिए मिलेंगे।
किसे मिलेगा: यह योजना मछुआरों के लिए है ताकि उन्हें मछली पालन में मदद मिल सके। द्वीप वाले राज्यों, हिमालयी राज्यों, पूर्वोत्तर और मछली पालन में आगे रहने वाले जिलों को यह मदद मिलेगी।
कैसे मिलेगा: मंडियों, हार्बर और कोल्ड चेन जैसी बुनियादी सुविधाओं पर पैसा खर्च होगा। 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। 1 लाख करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट हो सकेगा।
कब मिलेगा: सरकार को उम्मीद है कि इससे 5 साल में 70 लाख टन ज्यादा मछली पालन हो सकेगा।

4. पशुओं के टीकाकरण के लिए 13 हजार 343 करोड़ रुपए
क्या मिलेगा
: गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअरों काे टीका लगाया जाएगा। इस पर 13 हजार 343 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
किसे मिलेगा: 53 करोड़ पशुओं को ये टीके लगेंगे। इन्हें पालने वालों को सरकार मदद देगी।
कैसे मिलेगा: जिन पशुओं को पाला जाता है, उन्हें मुंह और खुर की बीमारियां न हों, इसके लिए टीके लगाए जाएंगे। अभी तक 1.5 करोड़ गाय-भैंस को यह टीका लगाया जा चुका है।
कब मिलेगा: सरकार ने यह अभी साफ नहीं किया है।

5. पशुपालन सेक्टर में इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 15 हजार करोड़ रुपए
क्या मिलेगा
: पशुपालन सेंटरों के लिए बुनियादी ढांचा बनेगा। इस पर 15 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।
किसे मिलेगा: डेयरी चलाने वालों को। इस पैसे से दूध के लिए प्रोसेसिंग इंडस्ट्री लगेंगी। डेयरी सेक्टर में निजी इन्वेस्टमेंट हो सकेगा।
कैसे मिलेगा: पशुओं को रखने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बनेगा। लोकल मार्केट और एक्सपोर्ट के लिए भी पैसा इस्तेमाल होगा। अगर एक्सपोर्ट करना चाहते हैं तो प्लांट के लिए इंसेंटिव मिलेगा।
कब मिलेगा: सरकार ने यह अभी साफ नहीं किया है।

6. औषधीय पौधों के लिए 4 हजार करोड़ रुपए
क्या मिलेगा
: हर्बल प्रोड्यूस के लिए 4 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।
किसे मिलेगा: मेडिसिनल प्लांट की खेती करने वाले किसानों को फायदा मिलेगा। 10 लाख हेक्टेयर यानी करीब 25 लाख एकड़ में खेती हो पाएगी।
कैसे मिलेगा: यह खेती करने पर किसानों की 5 हजार करोड़ रुपए की आमदनी होगी। क्षेत्रीय मंडियों पर पैसा खर्च होगा। गंगा किनारे भी औषधीय पौधे लगाने की मुहिम चलाई जाएगी। गंगा किनारे ऐसे पौधों का 800 हेक्टेयर का कॉरिडाेर बनाया जाएगा।
कब मिलेगा: अगले दो साल में यह पैसे खर्च होंगे।

7. मधुमक्खी पालने वालों के लिए 500 करोड़ रुपए
क्या मिलेगा
: मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। शहद की सप्लाई बढ़ेगी। किसानों के लिए यह उनकी आमदनी का अतिरिक्त जरिया होगा।
किसे मिलेगा: मधुमक्खी पालने वाले 2 लाख लोगों को इसका फायदा मिलेगा।
कैसे मिलेगा: महिलाओं को इसमें ज्यादा मौका दिया जाएगा। शहद के कलेक्शन, स्टोरेज और मार्केटिंग में मदद मिलेगी।
कब मिलेगा: सरकार ने यह अभी साफ नहीं किया है।

8. TOP यानी टमाटर, आलू, प्याज योजना में अब बाकी सब्जियां और फल भी

क्या मिलेगा: टमाटर, आलू और प्याज के मामले में ऑपरेशन ग्रीन चलता है ताकि किसानों को इसका ठीक पैसा मिले। अब यह योजना फल और सब्जियों पर भी लागू होगी।
किसे मिलेगा: उन किसानों को फायदा मिलेगा, जो आलू, प्याज और टमाटर के अलावा फल और सब्जियां भी उगाते हैं, लेकिन जिन्हें कई बार इनके सही दाम नहीं मिल पाते।
कैसे मिलेगा: इसके लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 50% सब्सिडी ट्रांसपोर्टेशन और 50% सब्सिडी स्टोरेज और कोल्ड स्टोरेज पर दी जाएगी।
कब मिलेगा: छह महीने का पायलट प्रोजेक्ट होगा।

9. आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव होगा
क्या मिलेगा
: खेती में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और किसानों को अच्छे दाम देने के लिए 1955 के आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव किया जाएगा।
किसे मिलेगा: तिलहन, दलहन, आलू, प्याज उगाने वाले किसानों और खाने का तेल बेचने वालों को इसका सीधा फायदा मिलेगा। इन्हें रेगुलेशन के दायरे से बाहर किया जाएगा।
कैसे मिलेगा: इन चीजों के लिए किसानों पर कोई स्टॉक लिमिट नहीं थोपी जाएगी। प्रोसेसर और वैल्यू चेन में शामिल लोगों के लिए स्टॉक लिमिट नहीं होगी। स्टॉक लिमिट सिर्फ राष्ट्रीय आपदा जैसे असाधारण मामलों में ही लागू की जाएगी।
कब मिलेगा: सरकार ने यह नहीं बताया कि कानून में संशोधन कब होगा।

10. एग्रीकल्चर मार्केटिंग रिफॉर्म
क्या मिलेगा
: एक केंद्रीय कानून बनेगा ताकि किसानों के पास अच्छी कीमतों पर उपज बेचने का मौका रहे।
किसे मिलेगा: उन किसानों काे, जो अब तक लाइसेंस रखने वाली एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी में ही अपनी उपज बेच पाते थे।
कैसे मिलेगा: किसान दूसरे राज्यों में जाकर भी बिना रोकटोक कृषि उपज बेच सकेंगे। वे ई-ट्रेडिंग भी कर सकेंगे।
कब मिलेगा: सरकार ने यह अभी साफ नहीं किया है।

11. किसानों के लिए कानून में बदलाव होंगे
किसानों को अभी फसल बोते वक्त यह नहीं पता होता कि उसे इसके कितने दाम मिलेंगे और पूरी उपज बिकेगी या नहीं। सरकार चाहती है कि हर सीजन से पहले किसानों को यह पता रहे कि उसे अपनी उपज का कितना दाम मिलेगा। किसानों को आमदनी की गारंटी देने के लिए सरकार कानून में बदलाव कर ऐसी व्यवस्था बनाएगी जिसके तहत फूड प्रोसेसर, एग्रीगेटर्स, रिटेलर्स और एक्सपोर्टर्स के साथ किसान अपनी उपज का दाम पहले ही तय कर सकेगा। मकसद यह है कि मेहनती किसानों का उत्पीड़न न हो और वे जोखिम रहित खेती कर सकें।

 

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