कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट इलाकों की पहचान के लिए बदले जांच के तरीके, जानिए 5 बड़ी बातें

जिन इलाकों को क्लस्टर (Cluster- नियंत्रित क्षेत्र) घोषित किया गया है या जहां विदेशों से आए या लाए गए अधिक लोग हैं, वहां से बड़ी संख्या में कोरोना वायरस (COVID-19) के मामले सामने आ रहे हैं.

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नई दिल्ली. यह जानने के लिए कि हॉटस्पॉट (Hotspot) घोषित इलाकों में कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण कैसे हो रहा है, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने स्वास्थ्य कर्मियों के लिए नए प्रोटोकॉल (Protocol) की शुरुआत की है. इसके तहत COVID-19 की पहचान के लिए तेजी से एंटीबॉडी आधारित खून की जांच (Antibody based blood samples) की जाएगी.

जिन इलाकों को क्लस्टर (Cluster- नियंत्रित क्षेत्र) घोषित किया गया है या जहां विदेशों से आए या लाए गए अधिक लोग हैं, वहां से बड़ी संख्या में कोरोना वायरस (COVID-19) के मामले सामने आ रहे हैं.

इस टेस्ट में ये पांच बातें सबसे प्रमुख होंगीं-

1. ICMR के अनुसार इंफ्लुएंजा जैसी बीमारियों (ILI) की स्वास्थ्य केंद्र पर जांच की जाएगी. अगर मामलों में बढ़ोत्तरी समझ आती है तो तुरंत मामले अतिरिक्त जांच के लिए सर्विलांस ऑफिसर या चीफ मेडिकल ऑफिसर के सामने लाए जाएंगे. यह इसलिए किया जाएगा कि अगर किसी इलाके में मामले तेजी से बढ़ रहे हों तो तुरंत पता लगाया जा सके क्योंकि रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के नतीजे तुरंत सामने आ जाते हैं.

2. इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों को नई गाइडलाइन जारी की गई है. इसमें रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को भी ग्लव्स, मास्क और हेडकवर के प्रयोग की सलाह दी गई है. यह भी कहा गया है कि उन्हें स्टैंडर्ड नेशनल इंफेक्शन कंट्रोल गाइडलाइन (Standard national infection control guideline) का पालन भी करना होगा. इस दौरान ILI के लक्षण वाले सभी मरीजों को भी 14 दिनों के होम क्वारंटीन की सलाह दी गई है.

3. जारी की गई एडवायजरी के मुताबिक स्वास्थ्य केंद्र पर इंफ्लुएंजा के लक्षण वाले सभी लोगों का लगातार एंटीबॉडी टेस्ट के लिए परीक्षण किया जाएगा. ऐसे में भले ही उनका टेस्ट निगेटिव आए लेकिन जरूरत महसूस हो तो तुरंत ही RT-PCR के जरिए उनके गले और नाक से स्वाब के नमूने लेकर इसे कंफर्म किया जाएगा. लेकिन RT-PCR भी निगेटिव आता है- तो इसका मतलब होगा कि उन्हें कोविड-19 से अलग इंफ्लुएंजा हो सकता है.

अगर RT-PCR पॉजिटिव आता है- तो उन्हें COVID-19 का कंफर्म मामला माना जाएगा और प्रोटोकॉल के हिसाब से कदम उठाए जाएंगे ताकि उन्हें अलग किया जा सके, इलाज दिया जा सके और उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान की जा सके.

4. अगर ILI के लक्षण वाले रोगियों में अगर इंफ्लुएंजा के मरीजों का RT-PCR नहीं किया जाता है तो भी उन्हें होम क्वारंटीन में रखा जाएगा और फिर से 10 दिनों के बाद एंटीबॉडी टेस्टिंग की जाएगी. ऐसे में अगर एंटीबॉडी टेस्ट निगेटिव आता है- तो COVID-19 से अलग इंफ्लुएंजा माना जाएगा.

वहीं एंटीबॉडी टेस्ट (Antibody Test) पॉजिटिव पाया जाता है तो हाल ही में हुए इंफेक्शन की संभावना होगी. ऐसे में उन्हें क्लीनिकल असेसमेंट के बाद, अस्पताल में इलाज के लिए या आइसोलेशन में प्रोटोकॉल के तहत ले जाया जाएगा. प्रोटोकॉल के मुताबिक ही एक्शन लिए जाएंगे और इसके मुताबिक ही संपर्क में आए लोगों की पहचान की जाएगी.

5. अगर लक्षण बुरी हालत में पहुंच जाते हैं तो नजदीकी COVID-19 हॉस्पिटल में भेज दिया जाएगा. अगर घर पर क्वारंटीन संभव नहीं होता तो स्वास्थ्य केंद्र में ऐसा किए जाने पर विचार किया जाएगा. बता दें सूत्रों के मुताबिक सरकार पहले ही 50 लाख रैपिड टेस्ट किट (Rapid Test Kit) के लिए ऑर्डर दे चुकी है.

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