J&K: नजरबंद नेताओं की रिहाई के लिए फारूक अब्‍दुल्‍ला एक्टिव, सभी दलों से ही साथ आने की अपील

फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने कहा, 'मैं राज्य के सभी दलों के नेताओं से अपील करता हूं कि केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर के बाहर जेलों में रखे गए सभी लोगों को वापस लाने के लिए एकजुट होकर आह्वान करें.'

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श्रीनगर. नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने रविवार को पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) राज्य के सभी दलों से केंद्र शासित प्रदेश के बाहर जेलों में रखे गए सभी लोगों को ‘मानवीय’ आधार पर वापस लाने के लिए केंद्र सरकार से एकजुट होकर अपील करने को कहा है. वर्तमान लोकसभा सांसद फारूख अब्दुल्ला शुक्रवार को रिहा हुए थे.

अब्दुल्ला ने कहा कि रिहाई के बाद से ही वह राजनीतिक बयान देने से बचते रहे हैं. अब्दुल्ला को शुरू में ऐहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया था. बाद में 15 सितंबर को उन पर जन सुरक्षा कानून की धाराएं लगा दी गईं और उनकी हिरासत अवधि 13 दिसंबर तथा 11 मार्च तक बढ़ा दी गई.

उन्होंने कहा, ‘इससे पहले कि राजनीति हमें विभाजित करे, मैं राज्य के सभी दलों के नेताओं से अपील करता हूं कि केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर के बाहर जेलों में रखे गए सभी लोगों को वापस लाने के लिए एकजुट होकर आह्वान करें.’

सभी दल नजरबंद नेताओं को रिहा कराने में करें मदद
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री 82 वर्षीय अब्दुल्ला ने कहा, ‘ जबकि, हम उन सभी को जल्द से जल्द रिहा देखना चाहते हैं, उन सभी को जम्मू-कश्मीर स्थानांतरित किया जाना चाहिए. यह एक मानवीय मांग है और मुझे आशा है कि अन्य लोग इस मांग को भारत सरकार के सामने रखने में मेरा साथ देंगे.’ अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में पिछले साल 5 अगस्त से देखे गए महत्वपूर्ण बदलावों के मद्देनजर राजनीतिक विचारों के ‘स्वतंत्र और स्पष्ट आदान-प्रदान’ की वकालत की थी.’ हालांकि, हम अब भी ऐसे माहौल से दूर हैं, जहां इस तरह का राजनीतिक संवाद संभव होगा. खासतौर पर ऐसे लोगों की संख्या को ध्यान में रखते हुए जो कि पिछले साल अगस्त में हिरासत में लेने के बाद जम्मू-कश्मीर के बाहर की जेलों में रखे गए.’’

‘कई लोग अपने परिजनों से नहीं मिल पा रहे’
उन्होंने कहा, ‘मुझे घर में नजरबंद किया गया था और मेरा परिवार मुझसे मिल सकता था. कल (शनिवार को), जब मैं अपने बेटे उमर से मिलने गया तो, जिन्हें (उमर) भी जनसुरक्षा कानून के तहत नजरबंद किया गया, मुझे अपने घर से करीब एक किलोमीटर की दूरी तय करके उमर को देखने जाना पड़ा.’ अब्दुल्ला ने कहा, हालांकि, हिरासत में लिए गए कई ऐसे लोग हैं, जिनके परिजन का उनसे मिलना भी आसान नहीं है.

221 दिनों तक नजरबंद रहने के बाद शुक्रवार को रिहा हुए अब्दुल्ला ने कहा कि उनके प्रिय लोगों को कई राज्यों की जेलों में हिरासत में रखा गया है. उन्हें एक महीने में केवल दो बार यात्रा करने का मौका मिलता है, जिसके लिए यात्रा खर्च के साथ ही उन्हें जेलों के आसपास ठहरने के लिए भी भारी रकम खर्च करनी पड़ती है.

‘लोग जान को खतरे में डालकर यात्रा करने पर मजबूर’
कोरोना वायरस के प्रकोप का हवाला देते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि ठीक उसी समय, जब लोगों को यात्रा करने से बचने की सलाह दी जा रही है तो हिरासत में रखे गए लोगों के परिजन को उनसे कुछ ही घंटों की मुलाकात के लिए अपने जीवन को खतरे में डालकर यात्रा करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

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