नई दिल्ली. वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने रविवार को कहा कि पार्टी को लोगों में कांग्रेस के ‘डांवाडोल’ होने की बढ़ रही धारणा को दूर करने के लिए अपने नेतृत्व का मुद्दा शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर हल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक अध्यक्ष को लेकर अनिश्चितता का समाधान करना पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है.
थरूर ने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में यह भी कहा कि यह राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह कांग्रेस प्रमुख (Congress President) के रूप में लौटना चाहते हैं या नहीं, लेकिन यदि वह अपना पिछला रुख नहीं बदलते हैं तो ऐसे में पार्टी के लिए ‘सक्रिय और पूर्णकालिक नेतृत्व’ तलाशने की जरूरत है ताकि पार्टी आगे बढ़ सके जैसा कि राष्ट्र अपेक्षा करता है.
चुनाव से सामने आएगी ऊर्जावान टीम
पिछले सप्ताह कांग्रेस कार्यसमिति (Congress Working Committee) के चुनाव की फिर मांग कर चुके तिरुवनंतपुरम (Tiruvanathpuram) के सांसद ने कहा कि पार्टी का निर्णय लेने वाली इस शीर्ष समिति के कुछ सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया से एक ऐसी ऊर्जावान नेतृत्व टीम सामने आएगी जिसके पास संगठन की चुनौतियों का हल करने के लिए मिलकर काम करने का अधिकार होगा. उन्होंने कहा कि भाजपा की “विभाजनकारी नीतियों” का कांग्रेस एक अपरिहार्य राष्ट्रीय विकल्प है.
उन्होंने कहा, “हम जैसे कई लोगों के लिए तत्काल चिंता का विषय यह है कि ऐसा लगता है कि लोगों में यह धारणा बढ़ती जा रही है कि बतौर राजनीतिक निकाय हम डांवाडोल हैं.” थरूर ने कहा, “इसकी वजह से स्वभाविक रूप से कुछ मतदाता अन्य राजनीतिक विकल्पों पर सोचने लगते हैं और सबसे हाल का इसका उदाहरण दिल्ली में देखा गया जहां मतदाता आप (Aam Aadmi Party) के साथ चले गए और कुछ हद तक भाजपा (BJP) के खेमे में भी चले गए. कांग्रेस (Congress) शून्य रही.” उन्होंने कहा, “यही वह स्थिति है जहां हमें लोगों की धारणा, मीडिया के रुख को तत्काल दूर करने की जरूरत है क्योंकि मीडिया बार-बार हमें मैदान से खारिज कर दे रहा है.”
नेतृत्व का मुद्दा हल करना जरूरी
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “लेकिन ऐसा करने के लिए हमें वर्तमान नेतृत्व मुद्दा हल करने की जरूरत है. हमें अंतरिम के विपरीत दीर्घकालिक कांग्रेस अध्यक्ष और कार्य समिति की ‘निर्वाचित सदस्यता’ के साथ शुरुआत करने की जरूरत है.” थरूर ने कहा कि वह पार्टी में इन पदों के लिए स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव के पैरोकार हैं क्योंकि ऐसी प्रक्रिया से उनकी (निर्वाचित व्यक्तियों की) विश्वसनीयता एवं वैधता खूब बढे़गी.
उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के रूप में शानदार अंतरिम हल ढूढ़ा लेकिन पार्टी अनिश्चितकाल तक एक ऐसे अध्यक्ष पर निर्भर और बोझ बनकर नहीं रह सकती है जिन्होंने दो साल से भी कम समय पहले ही यह पद छोड़ दिया था, ऐसा करना न तो उनके लिए और न ही मतदाताओं के लिए उचित होगा.