India-China Standoff: भारतीय पोस्‍ट के पास भाले और बंदूकों से लैस चीनी सैनिकों की तस्‍वीर आई सामने

India-China Standoff: सरकारी सूत्रों के अनुसार, पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में रेजांग-ला रिजलाइन के मुखपारी स्थित एक भारतीय चौकी की ओर सोमवार शाम में बढ़ने का प्रयास करने वाले चीनी सैनिकों ने छड़, भाले, रॉड और धारदार हथियार ले रखे थे. अब भारतीय सीमा के पास की चीनी सैनिकों की एक तस्‍वीर सामने आई है जिसमें वह भाले और बंदूकों के साथ दिख रहे हैं.

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नई दिल्‍ली. लद्दाख (Ladakh) में पैंगोंग झील (Pangong Lake) के दक्षिणी हिस्‍से में भारत के सख्‍त कदम से भड़का चीन अब एक और कायराना कदम उठाने की कोशिश में है. न्‍यूज एजेंसी एएनआई द्वारा जारी की गई एक तस्‍वीर में चीनी सैनिक भाले और बंदूकों से लैस दिखाई दे रहे हैं. यह तस्‍वीर पूर्वी लद्दाख सेक्‍टर में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय सेना के तैनाती वाली जगह के पास की बताई जा रही है. ये तस्‍वीर इस ओर इशारा करती है कि चीनी सेना 15 जून जैसी हिंसक झड़प की घटना को अंजाम देने की कोशिश में है. इस तस्‍वीर में हर चीनी सैनिक के हाथ में भाला स्‍पष्‍ट तौर पर दिख रहा है.

चीनी सैनिकों ने आक्रामक तरीके से भारतीय चौकी की ओर बढ़ने का प्रयास किया: सरकारी सूत्र

पूर्वी लद्दाख में रेजांग-ला रिजलाइन के मुखपारी स्थित एक भारतीय चौकी की ओर सोमवार शाम में बढ़ने का प्रयास करने वाले चीनी सैनिकों ने छड़, भाले, रॉड और धारदार हथियार ले रखे थे. यह बात सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को कही. वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव बढ़ने के बीच सूत्रों ने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के लगभग 50-60 सैनिक शाम छह बजे के आसपास पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट स्थित भारतीय चौकी की ओर बढ़े लेकिन वहां तैनात भारतीय सेना के जवानों ने दृढ़ता से उनका सामना किया, जिससे उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा.

उल्लेखनीय है कि चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़पों के दौरान पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमला किया था, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. सूत्रों ने कहा कि सोमवार शाम में भी चीन के सैनिक छड़, भाले, रॉड और धारदार हथियार ले रखे थे. जब भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को वापस जाने के लिए मजबूर किया, तो उन्होंने भारतीय सैनिकों को भयभीत करने के लिए हवा में 10-15 गोलियां चलाईं. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल के अंतराल के बाद गोली चली है. इससे पहले एलएसी पर गोली चलने की घटना 1975 में हुई थी.

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