होम क्वंराटीन लोगों के लिए केंद्र ने राज्यों को दिये खास निर्देश, बताया कैसे रखें इन पर नजर

पश्चिम बंगाल (West Bengal) सहित कई राज्यों ने कहा है कि हल्के लक्षणों वाले रोगियों को अस्पताल के बेड की कमी के कारण होम क्वरांटीन रहना है.

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नई दिल्ली. केंद्र ने गुरुवार को राज्यों से मोबाइल फोन ट्रैकिंग जैसी तकनीक का उपयोग कर उन लोगों पर नज़र रखने के लिए कहा जो होम क्वारंटीन (Home Quarantine) हैं. बीते दिनों केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के साथ राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों, अधिकारियों के साथ की बैठक में यह मुद्दा उठा था.

बैठक में निजी अस्पतालों द्वारा कोविड-19 (Coronavirus) के मरीजों के इलाज में लिये वसूली जा रही ज्यादा रकम, बेड्स की कमी पर भी चर्चा हुई. केंद्र के अधिकारियों ने बताया कि तमिलनाडु और कर्नाटक ने फीस की सीमा तय कर दी है और अन्य राज्यों को भी इस राह पर चलना चाहिए. बैठक में तेलंगाना के प्रतिनिधि ने निजी अस्पतालों का मुद्दा उठाया वहीं पश्चिम बंगाल औऱ महाराष्ट्र के प्रतिनिधियों ने मेट्रो और परिवहन सेवा बंद होने की वजह से हो रही दिक्कतों का मुद्दा उठाया.

महाराष्ट्र के मुख्य सचिव अजय मेहता ने सलाह दी है कि लोकल ट्रेनों को चलाए जाने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने सलाह दी कि दफ्तरों को पूरी क्षमता के साथ ना चलाय जाए बल्कि सिर्फ 15 से 20 फीसदी स्टाफ की अनुमति दी जानी चाहिए.

पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने झु्ग्गियों और सघन आबादी वाले इलाकों में डोर-टू-डोर जांच करने की समस्या का जिक्र किया. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जिन लोगों को होम क्वारंटीन किया गया है उन्हें घर में सीमित रखना बहुत मुश्किल है. पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों ने कहा है कि हल्के लक्षणों वाले रोगियों को अस्पताल के बेड की कमी के कारण होम क्वरांटीन रहना है.

केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने बताया कि कुछ राज्य होम क्वारंटीन के दौरान लोगों को ट्रैक करने के लिए तकनीक और मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब भी लोगों को सेल्फ आइसोलेट के लिए निर्देश दिए जाते हैं, तो अधिकारियों को गाइडेंस नोट भी देना चाहिए. गौबा ने कहा कि कुछ राज्यों में अधिकारी प्रतिदिन दो बार लोगों को फोन कर उनकी स्थिति के बारे में पूछ रहे थे. राज्यों को यह भी बताया गया कि वे अपनी एम्बुलेंस सेवाओं में सुधार करें और यह सुनिश्चित करें कि रोगियों को अस्पताल परिसर के भीतर घंटों नहीं बिताना पड़े.

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