नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में चीन और पाकिस्तान (China and Pakistan) जैसे देशों के दोबारा चुने जाने पर विवाद खड़ा हो गया है. कई मानवाधिकार संगठनों ने इसका विरोध किया है. अजीब है कि पाकिस्तान को परिषद में जगह बनाने के लिए अच्छे वोट मिले. चीन, रूस, क्यूबा और पाकिस्तान जैसे देशों के चयन पर एक बार फिर अमेरिका ने परिषद की आलोचना की है और कहा है कि इसी वजह से उसने परिषद छोड़ी थी.
अमेरिकी विदेश मंत्री की आलोचना
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ट्वीट किया-संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चीन, रूस और क्यूबा जैसे देशों का चुना जाना अमेरिका के परिषद छोड़ने के निर्णय को सही ठहराता है. माइस पोम्पियो का कहना है कि अमेरिका ने 2018 में परिषद छोड़ा और मानवाधिकार की रक्षा के लिए अन्य जगहों का इस्तेमाल किया. इस साल संयुक्त राष्ट्र की आमसभा में हमने यही किया.
The election of China, Russia, and Cuba to the UN Human Rights Council validates the U.S. decision to withdraw from the Council in 2018 and use other venues to protect and promote universal human rights. At #UNGA this year, we did just that.
— Secretary Pompeo (@SecPompeo) October 13, 2020
सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं अमेरिकी प्रतिबद्धता’
माइक पोम्पियो ने कहा कि मानवाधिकारों के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं है. उन्होंने कहा कि हमने मानवाधिकारों का अतिक्रमण करने वालों को जिनजियांग, म्यांमार, ईरान और अन्य जगहों पर न सिर्फ पहचाना है बल्कि उन्हें दंडित भी किया है.
एक्टिविस्ट्स ने बताया काला दिन
कई मानवाधिकार संगठनों ने भी इसका विरोध किया है. पाकिस्तान और चीन के मानवाधिकार को लेकर रिकॉर्ड्स की तरफ भी इन संगठनों ने ध्यान दिलाया है. मानवाधिकार मामलों के वकील हिलेल नेयुअर ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के लिए आज के दिन को काला दिन बताया है.