बाबरी विध्वंस: आडवाणी, जोशी और उमा भारती के मामलों में फैसले के लिए SC दी नई डेडलाइन
पीठ (bench) ने 19 अगस्त को अपने आदेश में कहा, “विद्वान विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव की रिपोर्ट को पढ़कर, और यह देखते हुए कि कार्यवाहियां (proceedings) अंत की ओर पहुंच रही हैं, हम एक महीने का समय देते हैं. जिसका मतलब है, 30 सितंबर, 2020 तक का समय कार्यवाही पूरी करके निर्णय देने के लिए दिया जाता है."
पीठ (bench) ने 19 अगस्त को अपने आदेश में कहा, “विद्वान विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव की रिपोर्ट को पढ़कर, और यह देखते हुए कि कार्यवाहियां (proceedings) अंत की ओर पहुंच रही हैं, हम एक महीने का समय देते हैं. जिसका मतलब है, 30 सितंबर, 2020 तक का समय कार्यवाही पूरी करके निर्णय देने के लिए दिया जाता है.” इस संबंध में आखिरी आदेश मई में आया था, जब पीठ ने सीबीआई अदालत (CBI Court) को विशेष न्यायाधीश के एक ऐसे ही अनुरोध पर ध्यान देने के बाद 31 अगस्त, 2020 तक निर्णय देने का निर्देश दिया था.
पिछले महीनें कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बयान रिकॉर्ड करने कहा था
पीठ ने कहा था कि न्यायाधीश को मुकदमे में सबूतों को पूरा करने के लिए वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग का लाभ लेना चाहिए और निर्धारित समय के भीतर मामले को समाप्त कर देना चाहिए. शीर्ष अदालत ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए हैं कि मुकदमे को तय समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए.
पिछले महीने, विशेष अदालत ने दिग्गज भाजपा नेताओं आडवाणी और जोशी के बयान दर्ज करने के लिए वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग का इस्तेमाल किया. सभी ने अभियोजन पक्ष के आरोपों से इनकार किया था और कहा कि उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया जा रहा है. उन्होंने विध्वंस में किसी भी भूमिका से इनकार किया है, और कहा कि उन्होंने ऐसे किसी भी कार्य में भाग नहीं लिया है जो राष्ट्र की एकता और अखंडता को प्रभावित कर सकता है.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता कल्याण सिंह को राजस्थान के राज्यपाल के उनके कार्यकाल के सितंबर, 2019 में खत्म होने के बाद इस मुकदमे में एक आरोपी बनाया गया था.
तीन अन्य हाई-प्रोफाइल अभियुक्तों- गिरिराज किशोर, विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया की मृत्यु मुकदमे की सुनवाई के दौरान हो गई है, इसलिए उनके खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई.