राजधानी दिल्ली में कई जगहों पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुईं, जिनकी वजह से राजधानी के कई इलाकों में हंगामा हो गया. हिंसा का यह दौर लगभग पूरे दिन चला. माना जा रहा है कि इस हिंसा की वजह से किसानों का आंदोलन कमजोर पड़ गया है. वहीं, सरकार भी 26 जनवरी को हुई इन घटनाओं को लेकर किसानों से जल्द ही सवाल करेगी.
बुधवार को दिल्ली पुलिस ने बताया कि बीते दिन रैली के दौरान हिंसा को लेकर 22 एफआईआर दर्ज की गईं हैं. वहीं, इंद्रप्रस्थ पुलिस ने भी अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. इन प्रदर्शनकारियों में ट्रैक्टर चढ़ने की वजह से जान गंवाने वाले किसान का नाम भी शामिल है. यह जानकारी पुलिस की तरफ से मिली है. इन घटनाओं के बाद अब सरकार और प्रशासन भी एक्शन मोड में नजर आ रहा है.
आंदोलन में शामिल ज्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के हैं. ये सभी तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं. हालांकि, इन मुद्दों को लेकर सरकार और किसानों के बीच 10 बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है. वहीं, सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर किसान डेढ़ साल वाले प्रस्ताव पर बात करने के लिए आगे आते हैं, तो ही चर्चा होगी.
हाल ही में न्यूज18 की तरफ से किए गए सर्वे में पता चला है कि ज्यादातर भारतीय तीनों कानूनों का समर्थन कर रहे हैं और चाहते हैं कि किसानों का यह आंदोलन खत्म हो. यह सर्वे 22 राज्यों में किया गया था, जिसमें 2400 से ज्यादा लोग शामिल हुए थे. इनमें से ज्यादातर लोगों का यह कहना है कि तीनों कानून किसानों के लिए फायदेमंद साबित होंगे. सर्वे से मिले डेटा में पता चला है कि कई कृषि प्रधान राज्यों में नए कानूनों का समर्थन ज्यादा था. खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में काफी समर्थन है.