सेना प्रमुख जनरल नरवणे का इशारा, लिपुलेख दर्रे में रोड पर नेपाल के विरोध के पीछे चीन का हाथ
भारत द्वारा लिपुलेख-धारचुला मार्ग तैयार किये जाने पर नेपाल (Nepal) द्वारा आपत्ति किये जाने के सवाल पर जनरल नरवणे ने कहा कि पड़ोसी देश की प्रतिक्रिया हैरान करने वाली थी.
‘वो हिस्सा हमारा है’
भारत द्वारा लिपुलेख-धारचुला मार्ग तैयार किये जाने पर नेपाल द्वारा आपत्ति किये जाने के सवाल पर जनरल नरवणे ने कहा कि पड़ोसी देश की प्रतिक्रिया हैरान करने वाली थी. सेना प्रमुख ने कहा, ‘काली नदी के पूरब की तरफ का हिस्सा उनका है. हमने जो सड़क बनाई है वह नदी के पश्चिमी तरफ है. इसमें कोई विवाद नहीं था. मुझे नहीं पता कि वे किसी चीज के लिये विरोध कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘पूर्व में कभी कोई समस्या नहीं हुई है. यह मानने के कारण हैं कि उन्होंने किसी दूसरे के कहने पर यह मामला उठाया है और इसकी काफी संभावना है.’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले हफ्ते उत्तराखंड में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर चीन की सीमा से लगी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी इस सड़क का उद्घाटन किया था. नेपाल ने शनिवार को सड़क के उद्घाटन पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि ‘एकतरफा कार्रवाई’ सीमा से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिये दोनों देशों के बीच बनी सहमति के खिलाफ है.
भारत और चीन के सैनिकों के दो मौकों पर आमने-सामने आने के सवाल पर सेना प्रमुख ने कहा कि दोनों मामले आपस में जुड़े नहीं हैं. उन्होंने कहा, “हम मामले-दर-मामले के आधार पर इनसे निपट रहे हैं. मैंने इन तनातनी में कोई एक जैसा प्रारूप नहीं देखा. दो मोर्चों पर युद्ध की बात पर उन्होंने कहा कि यह एक संभावना है और देश को ऐसे परिदृश्य का सामना करने के लिये तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा, “यह एक संभावना है. ऐसा नहीं है कि हर बार ऐसा होने जा रहा है. हमें जो भी आपदाएं, विभिन्न परिदृश्य सामने आ सकते हैं उन्हें लेकर सतर्क रहना होगा.”