अनुच्छेद 370 / राजनाथ ने कहा- कश्मीर में नजरबंद अब्दुल्ला और मुफ्ती की जल्द रिहाई की प्रार्थना करूंगा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- राजनीति महज वोटों के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण करने के लिए करनी चाहिए ‘उम्मीद करता हूं कि फारूक और उमर अब्दुल्ला और महबूबा रिहा होने के बाद जम्मू-कश्मीर की स्थिति सामान्य करने में योगदान देंगे’
नई दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि वे जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के जल्द रिहाई के लिए प्रार्थना करेंगे। मैं उम्मीद करता हूं कि वे रिहा होने के बाद जम्मू-कश्मीर की स्थिति सामान्य करने में योगदान देंगे। पिछले साल यहां अनुच्छेद-370 हटने के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत घाटी के कई नेता नजरबंद हैं।
Defence Minister Rajnath Singh said that he is praying for the early release of three former chief ministers of Jammu & Kashmir from their detention (IANS TV interview on 22/02/2020).
Sincerely hope he will continuously pray for some of his colleagues in the Govt of India. pic.twitter.com/M5tsCsjg7t— JijoyMatts' (@jijoy_matt) February 23, 2020
मोदी सरकार द्वारा 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटा दिया गया था। इसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया। इसी समय से एहतियात के तौर पर जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था।
हालांकि, ज्यादातर नेताओं को रिहा कर दिया गया है। फारूक को सितंबर में पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था। उमर और महबूबा को भी हाल ही में इसी कानून के तहत हिरासत में लिया गया है।
कश्मीर के हितों को देखते हुए कई कदम उठाए गए: सिंह
न्यूज एजेंसी आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में शनिवार को राजनाथ ने कहा- कश्मीर में अब शांति का माहौल है। वहां स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। सुधार के साथ-साथ इन फैसलों (नजरबंदी से राजनेताओं की रिहाई) को भी अंतिम रूप दिया जाएगा। सरकार ने किसी पर अत्याचार नहीं किया है। सरकार के फैसले का बचाव करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि कश्मीर के हितों को देखते हुए कुछ कदम उठाए गए हैं। हर किसी को इसका स्वागत करना चाहिए।
भाजपा की विचारधारा का जिक्र करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि सांप्रदायिक राजनीति का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने इस धारणा को खारिज किया कि मोदी सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। उन्होंने अपनी दो रैलियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मैंने पहले भी अपनी मेरठ और मेंगलुरु की रैलियों में कहा है कि मुसलमान भारत का नागरिक और हमारा भाई है। वह हमारे जिगर का टुकड़ा है।’’
‘जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव का सवाल ही नहीं’
सिंह ने कहा- मोदी की अगुवाई में सरकार ने शुरुआत से ही मुस्लिम नागरिकों के अंदर डर हटाने और उनमें आत्मविश्वास भरने की कोशिश की है। कुछ ताकतें हैं, जो उन्हें गुमराह कर रही हैं। लेकिन भाजपा किसी भी स्थिति में भारत के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं जा सकती। मोदी ने शुरुआत से ही ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा दिया है। जाति, धर्म और रंग के आधार पर भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं उठता। हम इसके बारे में सोच भी नहीं सकते।
कुछ लोग केवल वोट बैंक के बारे में ही सोचते हैं: सिंह
सांप्रदायिक राजनीति के लिए निहित स्वार्थ को जिम्मेदार ठहराते हुए सिंह ने कहा- कुछ ताकतें हैं, जो केवल वोट बैंक के बारे में ही सोचती हैं। राजनीति महज वोटों के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण करने के लिए करनी चाहिए। जो हिंदुत्व की विचारधारा में विश्वास करते हैं, वे भी पहचान के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते, क्योंकि हिंदुत्व का मतलब ही वसुधैव कुटुंबकम (दुनिया एक परिवार) है।