तमिलनाडु के जिस महाबलीपुरम में पहुंचने वाले हैं चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग, उसका चीन कनेक्शन क्या है?

मोदी-जिनपिंग के बीच मुलाकात में सबसे ज्यादा जोर कारोबार पर रहेगा. दोनों देशों के बीच 6 लाख 9 हजार करोड़ रुपये का कारोबार है. जिसमें भारत 4 लाख 92 हजार करोड़ रुपये का आयात और 1.17 लाख करोड़ रुपये का निर्यात करता है. साल 2014 से अब तक दोनों देशों के बीच कारोबार में 38% का इजाफा हुआ है.

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महाबलीपुरमचीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कल तमिलनाडु के महाबलीपुरम आएंगे. यहां वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. एतिहासिक विरासत की वजह से ही महाबलीपुरम को पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के लिए चुना गया. एक जमाने में जब यहां पल्लव वंश का राज था तो महाबलीपुरम व्यापार का केंद्र हुआ करता था.

ऐतिहासिक मंदिरों को भी देखेंगे मोदी-जिनपिंग

सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग इसी ममलापुरम में आया था. तब यहां पल्लव वंश का शासन हुआ करता था. ये वही पल्लव वंश है, जिसके राजाओं ने समुद्र तट पर प्रसिद्ध मंदिर बनाए, जो अब एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. कल पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग इन मंदिरों को भी देखेंगे.

 

महाबलीपुरम में मिले थे पहली-दूसरी सदी के चीनी मिट्टी के बर्तन-सिक्के

 

इसके अलावा चीन में बौद्धधर्म ले जाने वाले बोधिधर्म गुवांगझोउ से तमिलनाडु आए थे. चीन और महाबलीपुरम के बीच रिश्ते की गवाही तब भी मिली थी, जब यहां से पहली और दूसरी सदी के चीनी मिट्टी के बर्तन और चीन के सिक्के भी मिले थे. अब यही महाबलीपुरम आज के दौर में भारत-चीन के बीच रिश्ते की नई कहानी लिखने जा रहा है.

 

पिछले साल वुहान में हुई थी दोनों नेताओं की अनौपचारिक बैठक

 

बता दें कि दोनों देशों के नेता पहली अनौपचारिक बैठक के लिए पिछले साल वुहान में मिले थे, तब डोकलाम को लेकर तनाव के हालात बने हुए थे. हालांकि मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर कोई बड़ा गतिरोध पैदा नहीं हुआ था. मोदी-जिनपिंग के बीच मुलाकात में सबसे ज्यादा जोर कारोबार पर रहेगा.

 

चीन और भारत के बीच कारोबार

 

दोनों देशों के बीच 6 लाख 9 हजार करोड़ रुपये का कारोबार है.  जिसमें भारत 4 लाख 92 हजार करोड़ रुपये का आयात और 1.17 लाख करोड़ रुपये का निर्यात करता है. साल 2014 से अब तक दोनों देशों के बीच कारोबार में 38% का इजाफा हुआ है. भारत में 60 फीसद स्मार्ट फोन, 50 फीसद इलेक्ट्रॉनिक सामान और 80 फीसद खिलौने चीन की कंपनियों के ही बने होते हैं.

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