भोपाल. पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस सख्त हो गई है. इस एक्ट को लेकर तमाम गाइडलाइन्स (Guidelines) प्रदेश के सभी जिला एसपी को जारी की गई हैं. अब बाल पीड़ित के बयान पुलिस अधिकारी कर्मचारी वर्दी में नहीं बल्कि सादी वर्दी में लेंगे. इसके अलावा बाल पीड़ित या फिर उसके परिजनों को मामले से जुड़ी चार्जशीट की कॉपी देना होगी. इस गाइडलाइन के साथ पीएचक्यू की महिला अपराध शाखा लॉकडाउन के दौरान जन जागरण अभियान भी अपने स्तर पर चला रही है.
प्रदेश में होने वाले बाल अपराधों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी पुलिस मुख्यालय की महिला अपराध शाखा के पास रहती है. यही कारण है कि पुलिस मुख्यालय के निर्देश के बाद लॉकडाउन के बीच महिला अपराध शाखा जो कि प्रदेश भर में सक्रिय है, उसके द्वारा जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत लोगों को बाल अपराध और उनके प्रति होने वाले व्यवहार को लेकर जागरुकता लाई जा रही है. इतना ही नहीं जिलों में थाना स्तर पर भी पुलिसकर्मियों को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं.
लोगों को किया जा रहा जागरूक
इस लॉकडाउन के दौरान महिला अपराध शाखा ने महिलाओं और बच्चों से संबंधित कानूनी अधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है. साथ ही पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए भी महिला-बच्चों से संबंधित अपराधों की रिपोर्ट लिखते समय और विवेचना के दौरान पोक्सो एक्ट के साथ अन्य कानूनी प्रावधानों का बारीकी से पालन करने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं.
सोशल मीडिया पर अभियान
महिला अपराध शाखा लोगों तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही है. सोशल मीडिया के जरिए जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. लॉकडाउन की स्थिति में लोगों के घर जाकर जागरुकता अभियान नहीं चलाया जा सकता, इसलिए जिलों में मौजूद महिला अपराध शाखा सोशल मीडिया के जरिए इस अभियान को चला रहे हैं. पोक्सो कानून में प्रावधान है कि बाल पीड़ित के कथन लेते समय पुलिस अधिकारी को सादा लिबास मे होना चाहिए. पोक्सो कानून के तहत पुलिस द्वारा आरोपी के विरुद्ध पेश किए गए चालान की प्रति न्यायालय से प्राप्त करने का अधिकार बाल पीड़ित या उसके परिजन को होता है, जिससे वह अपने मामले की अच्छे से पैरवी कर सके.