साजिश के तार:5 दिन पहले दिल्ली में गिरफ्तार चीनी नागरिक ने दलाई लामा के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए पैसे लुटाए, दिल्ली में फर्जी नाम से रह रहा था

आयकर विभाग ने पिछले हफ्ते मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में एक चीनी नागरिक को गिरफ्तार किया था दिल्ली पुलिस के मुताबिक, वह जासूसी का भी आरोपी और फिलहाल जमानत पर है

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नई दिल्ली. 11 अगस्त को दिल्ली में गिरफ्तार किए गए चीनी नागरिक लुओ सांग पर नए खुलासे हुए हैं। चार्ली पेंग के फर्जी नाम से मजनू का टीला इलाके में रहने वाला पेंग तिब्बती लामाओं को पैसे देकर उनसे दलाई लामा के बारे में जानकारी हासिल कर रहा था। आयकर विभाग ने सांग को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था।

दिल्ली पुलिस के मुताबिक- सांग सितंबर 2018 में भी गिरफ्तार किया गया था। तब उस पर जासूसी का आरोप लगा था। इस मामले में फिलहाल वो जमानत पर है।

फर्जी नाम से रह रहा था
लुओ सांग ने असली नाम छिपाया और एक फर्जी नाम रखा- चार्ली पेंग। सूत्रों के मुताबिक, सांग ने मजनू का टीला में रहने वाले कई लोगों को दो से तीन लाख रुपए नगद दिए थे। पुलिस अब इन लोगों का पता लगा रही है। पेंग सितंबर 2018 में एक जासूसी केस में गिरफ्तार हुआ था। बाद में जमानत मिल गई।

2014 में भारत आया
जांच में खुलासा हुआ है कि लुओ सांग 2014 में नेपाल के रास्ते भारत में घुसा। मिजोरम में लड़की से शादी की। फिर फर्जी पासपोर्ट बनवाया। बदले नाम से आधार और पैन कार्ड भी बनवा लिया। आयकर विभाग ने जांच एजेंसियों को बताया कि तिब्बती भिक्षुओं को दी जाने वाली घूस या पैसा सांग ने अपने लोगों के जरिए भेजी थी। सांग और उसके सहयोगी चीनी ऐप वी चैट बातचीत करते थे।

मनी लॉन्ड्रिंग में मदद करने वाले सीए की पहचान हुई
आयकर विभाग ने दिल्ली के एक चार्टर्ड एकाउंटेंट की भी पहचान कर ली है। ये मनी लॉन्ड्रिंग में सांग की मदद कर रहा था। सीए को फिलहाल, गिरफ्तार नहीं किया गया है। इससे पूछताछ जारी है। वह 40 से ज्यादा बैंक अकाउंट ऑपरेट कर रहा था। इन बैंक खातों के जरिए 300 करोड़ रुपए का लेनदेन किया गया है।

इसमें कुछ चीनी कंपनियां हैं। लेनदेन हॉन्गकॉन्ग के रास्ते हुआ। आयकर विभाग को शक है रि कुछ बैंक कर्मचारी इसमें शामिल हो सकते हैं।

आयकर विभाग ने पिछले हफ्ते छापा मारा था
आईटी विभाग ने पाया है कि बड़ी चीनी कंपनियां छोटी चीनी कंपनियों के लिए फर्जी पर्चेज ऑर्डर जारी कर रही थीं। पिछले हफ्ते दिल्ली और एनसीआर रीजन में छापे मारे की गई थी। इस दौरान आयकर विभाग ने पाया कि लुओ सांग और दूसरे चीनी नागरिकों ने चाइनीज शेल कंपनियों के नाम पर 40 खाते खोले और एक हजार करोड़ से ज्यादा की लॉन्ड्रिंग की।

क्यों अहम है वो हवाला नेटवर्क, जो चीनी जासूस की वजह से चर्चा में है

दिल्ली (Delhi) से ऑपरेट करने वाले एक चीनी हवाला कारोबारी (Hawala Trader) चार्ली पेंग को हाल में पकड़ा गया, तो छानबीन में कम से कम 1000 करोड़ के अवैध वित्तीय लेनदेन की खबरें सामने आईं. आयकर विभाग (IT Department) और ईडी जैसी जांच एजेंसियां पेंग और उसके हवाला नेटवर्क को लेकर जांच पड़ताल कर रही हैं. क्या होता है हवाला नेटवर्क? यह कैसे काम करता है? और क्यों अब भी इसकी ज़रूरत पेश आती है? ये भी जानिए कि क्यों इस ​तरह का वित्तीय लेनदेन कानूनी नहीं माना जाता.

एक किस्म की गैरकानूनी बैंकिंग है हवाला
हवाला शब्द का अर्थ ‘भरोसे’ से लिया जाता है. भारत में किसी समय में इसे हुण्डी के नाम से भी जाना जाता था और दुनिया के कई देशों में अब भी इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इसे वर्तमान समय में ‘अंडरग्राउंड बैंकिंग’ या ‘अवैध बैंकिंग’ का नाम भी दिया जाता है. ये सिस्टम ऐसा है, जिसमें कैश एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर नहीं होता, लेकिन एक ग्राहक एक जगह से अपना पैसा दूसरी जगह किसी को भी भेज सकता है.वास्तव में कैश को बगैर ट्रांसफर किए, ट्रांज़ैक्शन किया जाना इस कारोबार की खासियत है. इस पूरे नेटवर्क में कई हवालादार या हवाला डीलर होते हैं.

से समझें कि आप मुंबई में हैं और अपने किसी दोस्त को यूएई में एक रकम भेजना चाहते हैं. तो, ऐसे में हवाला ​नेटवर्क के ज़रिए आप सबसे पहले मुंबई के एक हवाला ब्रोकर के पास जाएंगे. जो रकम आप यूएई भेजना चाहते हैं, वो रकम उस ब्रोकर को देंगे. बदले में, ब्रोकर आपको एक कोड देगा. ये सीक्रेट कोड लेकर आपका दोस्त यूएई के हवाला ब्रोकर के पास जाएगा. कोड बताते ही आपके दोस्त को आपकी भेजी रकम मिल जाएगी, बस इसमें से कुछ कमीशन वो यूएई का ब्रोकर काट लेगा.

इस करंसी में दो, उस करंसी में लो!
इस नेटवर्क के ज़रिए करंसी एक्सचेंज भी हो जाता है यानी यहां से आप रुपये में रकम देते हैं और दूसरे देश में वहां की करंसी के हिसाब से रकम का भुगतान हो जाता है. तो, ऐसे काम करता है हवाला नेटवर्क. और पिछले कुछ अरसे से मोबाइल फोन पर भुगतान की सुविधा से ये और भी आसान होता जा रहा है. हालांकि कई देशों में डेबिट या क्रेडिट कार्ड और बैंकिंग के ज़रिए एक सीमा तक ही और केवल लोकल बैंकिंग की सुविधाएं हैं. फिर भी, हवाला कारोबारी इस तकनीक के इस्तेमाल के और उपाय खोज रहे हैं.

दूसरी तरफ, हवाला नेटवर्क में अब भी हिसाब किताब रखा जाता है और भेजी गई या डिलीवर की गई रकम की पूरी किताब तैयार की जाती है, ताकि डीलिंग बराबर चलती रहे.

हवाला की ज़रूरत आखिर क्यों?
गैरकानूनी होने के बावजूद लोग अब भी हवाला के ज़रिए रकम के लेन देन में क्यों रुचि लेते हैं? या क्यों इसकी ज़रूरत होती है? इसके पीछे कुछ बड़े कारण हैं.
1. हवाला के ज़रिए रकम भेजने में कानूनी ढंग से रकम भेजने से कम कमीशन देना पड़ता है.
2. इस नेटवर्क के ज़रिए लेन देन में कोई आईडी या इनकम संबंधी दस्तावेज़ों की ज़रूरत नहीं होती.
3. हवाला के ज़रिए होने वाले लेन देन में न तो असली पहचान और न ही रकम के स्रोत को लेकर कोई पूछताछ होती है.
4. यानी अपनी नाजायज़ संपत्ति या ब्लैक मनी को इस नेटवर्क के ज़रिए आसानी से कहीं और ट्रांसफर किया जा सकता है.

अवैध क्यों है हवाला कारोबार?
बैंकिंग और फाइनेंस की कई औपचारिक और कानूनी प्रणालियों के आ जाने के बाद दशकों पहले हवाला कारोबार को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया क्योंकि इस कारोबार में रकम, रकम भेजने वाले, रकम पाने वाले के बारे में ज़रूरी और ज़्यादा जानकारियां जुटाना टेढ़ी खीर रहा. ये भी हुआ कि इस कारोबार में चूंकि कोई दस्तावेज़ी हिसाब नहीं होता इसलिए रकम का दुरुपयोग आतंकवाद या गैरकानूनी धंधों के लिए भी होता है.

भारत समेत दुनिया के कई देशों में हवाला गैरकानूनी घोषित किया जा चुका है. भारत में फेमा यानी फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट 2000 और पीएमएलए यानी प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉंड्रिंग एक्ट 2002 जैसे दो प्रमुख कानूनों के तहत इस नेटवर्क और कारोबार को गैरकानूनी माना जा चुका है.

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