बठिंडा सेंट्रल जेल में तैनात हैड वार्डन कैदियों को पहुंचा रहा था नशीली चीजे, गिरफ्तार

-जेल में इससे पहले भी सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों को नशा व मोबाइल पहुंचाने के आरोप में किया जा चुका है गिरफ्तार

0 990,342

बठिंडा. केंद्रीय जेल बठिंडा में बंद कैदियों व हवालातियों को नशा व दूसरे साजों सामान की सप्लाई वहां तैनात वार्डन की तरफ से की जा रही थी। उक्त वार्डन के पास स्पैशल सेल के इंचार्ज की जिम्मेवारी भी थी। जेल में यह पहला मामला नहीं है जब सुरक्षा में लगे कर्मी ही सुरक्षा में सेध लगा रहे थे बल्कि इससे पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें जेल प्रबंधन से लेकर सुरक्षा कर्मियों पर कैदियों को नशा, मोबाइल व अन्य साजों सामान पहुंचाने के आरोप लगे हैं व इसमें बकायदा मामले भी दर्ज किए गए। मानसा जेल में कुछ समय पहले कैदियों को मोबाइल, मनपसंद बैरक और नशा करने की छूट देने की एवज में 25 हजार की रिश्वत लेने के मामले में जेल सुपरिटेंडेंट दविंदर सिंह रंधावा को गिरफ्तार किया था। विजिलेंस ब्यूरो बठिंडा रेंज ने 17 मई 2018 को मानसा जेल से रंधावा को उस समय गिरफ्तार किया जब वह ड्यूटी पर जेल में थे।

Security beefed up at Central Jail

विजिलेंस ने उनकी कोठी में भी सर्च किया। वही 17 दिसंबर 2017 को विजिलेंस ब्यूरो टीम ने मानसा जेल के वेलफेयर अफसर सिकंदर सिंह और कैदी पवन कुमार को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। वे लोग एक अन्य कैदी गौरव के भाई रविंदर से रिश्वत ले रहे थे। उनके कब्जे से 50 हजार की नकदी और 86200 रुपए का चेक बरामद हुआ था। विजिलेंस ब्यूरो ने इस मामले में मानसा जेल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट गुरजीत सिंह बराड़ को भी केस में नामजद किया था। जेल सुपरिटेंडेंट रंधावा ने ही उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी पवन को जेल से बाहर रिश्वत के पैसे लेने भेजा था। कैदी ने खुलासा किया है कि वह रिश्वत के पैसे जेल सुपरिटेंडेंट दविंदर रंधावा और डिप्टी सुपरिटेंडेंट गुरजीत बराड़ को देता था।

कैदी गौरव को नशा तस्करी में 12 साल की कैद हुई थी। मौड़ मंडी निवासी कैदी पवन कुमार उस कैंटीन का इंचार्ज था। हत्या के एक मामले में वह 20 साल की सजा काट रहा है। अन्य कैदियों के परिजन कैदी गौरव के अकाउंट में पैसे डाल देते थे, ताकि गौरव उन कैदियों को उनकी जरूरत का सामान मुहैया करवा सके। जब जेल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट गुरजीत सिंह बराड़ को इस बात का पता चला तो उसने गौरव को अपने ऑफिस में बुला लिया। उसने गौरव को धमकाया और मारपीट की। बराड़ ने उससे कहा कि कैदियों से लिए गए 86 हजार रुपए और उसके अलावा एक लाख रुपये देने पर उसकी जान छूटेगी। उसने गौरव से पैसे वसूलने के लिए वेलफेयर अफसर सिकंदर सिंह और कैदी पवन की ड्यूटी लगा दी। दहशत में आया गौरव पैसों के इंतजाम के लिए लगातार अपने घर फोन कर रहा था। इससे तंग आकर रविंदर ने शनिवार को विजिलेंस के पास शिकायत कर दी।

रंधावा ने ही कैदी पवन को जेल से बाहर रिश्वत के पैसे लेने के लिए भेजा था

विजिलेंस के एसपी भुपिंदर सिंह ने बताया था कि जेल में कैदियों से रिश्वत लेने का हिसाब-किताब डिप्टी जेल सुपरिटेंडेंट गुरजीत बराड़ की निगरानी में सहायक सुपरिटेंडेंट सिकंदर सिंह जो कैंटीन इंचार्ज था वही करता रहा। कैंटीन से मिले दो आरजी रजिस्टरों में रिश्वत लेने का हिसाब किताब है। जेल अधिकारी कैदियों को जेल में सुविधाएं मोबाइल, नशा, मनपसंद बैरक आदि के लिए 10 से लेकर 25 हजार रुपए तक की रिश्वत ली जाती थी। ये भी खुलासा हुआ कि बाहर सहायक सुपरिटेंडेंट सिकंदर सिंह के साथ रिश्वत लेने गया कैदी पवन कुमार को जेल से बाहर भेजने के लिए जेल सुपरिटेंडेंट ने ही दरबान को आदेश दिए थे।

हैड वार्डन से मिला प्रतिबंधित साजो सामान 

फिलहाल जेल से मोबाइल फोन बरामद होने का सिलसिला भी रुका ही नहीं रहा था कि जेल की स्पेशल सैल में तैनात हैड वार्डन से सिगरेट, जर्दे की पुड़ी व एक लैटर बरामद हुआ है, जोकि स्पेशल सैल में तैनात कैदियों व गैगस्टरों को देता था। थाना नेहियांवाला पुलिस ने जेल सुपरिटेंडेंट की शिकायत पर आरोपित हैड वार्डन के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया, जिसे बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि आरोपित हैड वार्डन बोलने में असमर्थ है, जिसके चलते पुलिस उसे ज्यादा पूछताछ नहीं कर पाई।थाना नेहियांवाला पुलिस को भेजी शिकायत में जेल सुपरिटेंडेंट विपिनजीत सिंह ने बताया कि आरोपित रविंदर सिंह बठिंडा केंद्रीय जेल की स्पेशल जेल का हैड वार्डन तैनात है। जिसपर जेल अधिकारियों को पूर्व कई दिनों से शक था कि वह जेल के बाहर से कुछ सामान लाकर स्पेशल जेल में बंद कैदियों से पैसे लेकर सामान पहुंचाता है। जिसके चलते पूर्व दस दिनों से उसपर लगातार नजर रखी जा रही थी। बीती 12 जुलाई को जब शक यकीन में बदल गया, तो जेल के सुरक्षा कर्मियों की तरफ से ड्यूटी जाने से पहले जब उसकी तलाशी ली गई, तो उसके पास से 9 सिगरेट, एक लैटर, एक जुर्दे की पुड़ी बरामद हुई। जिसे मौके पर गिरफ्तार कर थाना नेहियांवाला पुलिस के हवाले किया गया। मामले के जांच अधिकारी एसआई तरनदीप सिंह ने बताया कि आरोपित जेल वार्डन रविंदर सिंह बोलने में असमर्थ है, जिसके चलते उसे पूछताछ की गई थी, लेकिन उसने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया, लेकिन पुलिस अपने स्तर पर इसकी जांच कर रही है कि वह कितने समय से जेल के अंदर सामान पहुंच रहा था। फिलहाल आरोपित को जमानत पर रिहा कर दिया गया है।

नवंबर 219 में सीआरपीएफ को सौंपा था सुरक्षा का जिम्मा

Central Jail gets CRPF security

पंजाब की जेल में बंद गैगस्टरों व कैदियों से आए दिन मिल रहे मोबाइल फोन व नशा के मामलों को देखते हुए प्रदेश की जेलों की सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ को सौंप दिया गया था। इसके तहत बीती 27 नवंबर 2019 को बठिंडा सेंट्रल जेल में भी सीआरपीएफ की एक कंपनी तैनात कर दी गई थी। 135 जवानों वाली इस कंपनी के 64 जवानों को जेल के विभिन्न एरिया में तैनात किया गया था। बठिंडा जेल में पंजाब के कई नामी गैंगस्टर भी बंद है। उक्त हाई सिक्योरिटी जोन की सुरक्षा का जिम्मा भी सीआरपीएफ टीम के हवाले है। इसके अलावा जेल के मुख्य गेट, मुलाकात वाली जगह के अलावा कैदी वार्ड, स्पेशल सेल और गैंगस्टरों की बैरक के बाहर भी सीआरपीएफ की तैनाती की बात कही गई थी, जबकि बाकी के जवानों की समय-समय पर जेल परिसर में गश्त करने पर भी डयूटी लगाई है।

Inmate attacked in Bathinda jail, hurt - punjab$bhatinda ...

वहीं हवालातियों की बैरक के अलावा जेल के टावरों पर और बाहर पंजाब पुलिस व होमगार्ड के कर्मचारी तैनात हैं। जेल में अंदर आने व जाने वाले हर कैदी की तलाशी भी सीआरपीएफ जवानों द्वारा ली जाती है। इसके बावजूद जेल से बरामद हुए उक्त मोबाइल किसने और कैसे पहुंचाया ये रहस्य बना हुआ है। बठिंडा जेल में बंद कैदियों व हवालातियों से पिछले एक साल में 60 से ज्यादा मामले नशा व मोबाइल फोन मिलने के सामने आ चुके हैं। जिसे देखते हुए जेलों की सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ के हाथों में देने का फैसला लिया गया था जिसके पीछे का सबसे बड़ा कारण पंजाब पुलिस से भरोसा उठ जाना है। पिछले कुछ समय से जेलों में बंद गैंगस्टरों व कैदियों से मोबाइल फोन व नशा मिलने का मुख्य कारण जेलों की सुरक्षा में तैनात पुलिस की मिलीभगत होने का राजफाश होना है। बीते दिनों बठिंडा पुलिस ने पंजाब पुलिस के एएसआई व हवलदार पर बीस हजार रुपए रिश्वत लेकर जेल में बंद गैंगस्टर को मोबाइल फोन पहुंचाने का मामला पकड़ा था। जिसके बाद दोनों को बर्खास्त कर दिया गया था। इसके अलावा बठिंडा ही नहीं प्रदेश की अन्य जेलों में कई ऐसे मामले सामने आए, जिसमें मोबाइल व नशा पहुंचाने में पुलिस का हाथ था।

जेल में 35 कुख्यात गैंगस्टर जबकि 1800 से ज्यादा कैदी व हवालाती हैं बंद

बठिंडा सेंट्रल जेल कई विवादों को लेकर चर्चा में रहती है। मार्च 2019 में इंटेलिजेंस ने जेल में छापामारी के दौरान राशन में आई आटे की बोरियों से 80 के करीब बीड़ी के बंडल और 20 के करीब नए मोबाइल मिले थे। यहां पर बंद गैंगस्टरों व कैदियों के बीच झड़प के कई मामले भी सामने आए हैं, जबकि जेल में बंद गैंगस्टरों द्वारा मोबाइल के जरिए फिरौती मांगने, अपनी सोशल मीडिया अपडेट करने के कई मामले सामने आ चुके हैं। बठिंडा जेल में मौजूदा समय में 35 कुख्यात गैंगस्टर बंद है, जबकि 1800 से ज्यादा कैदी व हवालाती में बंद है। जेलों में वर्जित वस्तुएं पकड़े जाने की सूरत में जेल मैनुअल में बाकायदा सजा का भी प्रावधान है। लेकिन जेल प्रशासन जेल मैनुअल अनुसार कार्रवाई करने की जगह पुलिस को पत्र लिख कर पल्ला झाड़ लेता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.