हवा में 66 मिनट के भीतर अपनी आधी ताकत खो देता है कोरोना वायरस
कोरोना के बारे में कहा जा रहा है कि ये इंसानों में इंसानों के जरिेए ड्रॉपलेट के जरिए पहुंचता है. यानी छींक या खांसी की वजह से. इस ड्रॉपलेट का असर हवा में तीन से चार घंटे तक रहता है. लेकिन अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ की स्टडी के मुताबिक ये हवा में ये वायरस 66 मिनट के भीतर अपनी आधी ताकत खो देता है.
कोरोना वायरस (Corona Virus) को लेकर दुनियाभर में शोध चल रहे हैं. चीन में इसकी वैक्सीन (Vaccine) को लेकर क्लीनिकल ट्रायल (Clinical Trial) शुरू हो चुका है. दुनिया के सभी ताकतवर मुल्क इसकी दवा तलाशने में जुटे हुए हैं. ऐसे में कोरोना से बचाव को लेकर एक अमेरिकी विशेषज्ञ ने कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं. डॉ. लियो गैलेंड ने दवाओं को लेकर कई किताबें लिखी हैं और उन्होंने संक्रामक बीमारियों पर भी किताब लिखी है. उनका कहना है कि उन्होंने ये सारी जानकारियां इस वजह से दी हैं क्योंकि इस बीमारी को लेकर कई तरह की भ्रांतियां लोगों के बीच पनप रही हैं.
वुहान से लिए आंकड़ों पर निकाले निष्कर्ष
डॉ. गैलेंड के मुताबिक चीन के वुहान से मिले आंकड़ों के मुताबिक सभी संक्रमित लोगों में से 80 प्रतिशत का मामूली बीमारी हुई थी. 15 प्रतिशत लोग को थोड़ी-बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ा था जैसे खांसी, कफ, बुखार और सांस लेने में तकलीफ. सिर्फ 5 प्रतिशत ही लोग ऐसे थे जिन्हें गंभीर इलाज की आवश्यकता पड़ी.
कोरोना के बारे में कहा जा रहा है कि ये इंसानों में इंसानों के जरिेए ड्रॉपलेट के जरिए पहुंचता है. यानी छींक या खांसी की वजह से. इस ड्रॉपलेट का असर हवा में तीन से चार घंटे तक रहता है. लेकिन अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ की स्टडी के मुताबिक ये हवा में ये वायरस 66 मिनट के भीतर अपनी आधी ताकत खो देता है.
गैलेंड के मुताबिक कोरोना का वायरस इंसान के मल में भी मौजूद होता है. इस वजह से खाने या पानी से भी इसका संक्रमण हो सकता है लेकिन अभी तक इसके मामले सामने नहीं आए हैं. कोरोना वायरस सतह पर भी कई दिनों तक बना रह सकता है लेकिन अभी तक सतह के जरिए इंफेक्शन फैलने के मामले भी सामने नहीं आए हैं.
सामान्य फ्लू से अलग हो सकते हैं लक्षण
गैलेंड ने कहा है कि सामान्य फ्लू से इतर कोरोना वायरस के लक्षणों की शुरुआत थकान, दर्द और गले में खरास या दर्द के साथ शुरू होती है. इसके लक्षण दिखने में 2 से 14 दिनों का वक्त लगता है. औसतन ये लक्षण पांच दिन में दिखाई देते हैं. इसके बाद रिकवरी शुरू हो जाती है. लेकिन रिकवरी पहले स्वस्थ लोगों की ही शुरू होती है. जिन लोगों में पहले से कोई गंभीर बीमारी है या फिर वो उम्रदराज हैं तो फिर इसके लक्षण और गहराते जाते हैं.
गैलेंड ने जोर देकर कहा है कि यही कारण है कि युवा और स्वस्थ लोगों को भी खुद को आइसोलेट रखना चाहिए. क्योंकि संक्रमण की स्थिति में वो तो ठीक हो जाएंगे लेकिन घर में मौजूद कोई बीमार या उम्रदराज व्यक्ति इसकी कीमत चुका सकता है.
क्या दोबारा भी जकड़ सकता है कोरोना?
अभी तक इस बात की तस्दीक भी नहीं हो सकी है कि एक बार होने के बाद कोरोना किसी को दोबारा हो सकता है या नहीं. ऐसे भी मामले सामने आए हैं जब संक्रमित व्यक्ति दोबारा बीमार पड़ गए हैं. ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि उनका इलाज ठीक तरीके से न हुआ या वो पूरी तरीके से स्वस्थ न हुए हों.
सिर्फ खुद को बचाना है उपाय
हावर्ड यूनिवर्सिटी और बोस्टन यूनिवर्सिटी में रिसर्च करने वाले एक डॉक्टर दंपति की लोगों को सलाह है कि इस बीमारी से आपको सिर्फ आइसोलेशन बचा सकता है. आप अपने घरों के भीतर रहकर खुद को और दूसरों को भी इन्फेक्ट होने से बचा सकते हैं.