क्या गर्मियों में खत्म हो जाएगा कोरोना? जानें एक्सपर्ट्स की राय
शोधकर्ताओं का मानना है कि गर्मी का प्रभाव कोरोना के तेज फैलाव में गतिरोध उत्पन्न कर सकता है. हालांकि कई शोधों के बाद भी दुनिया के वैज्ञानिक किसी सर्वमान्य तथ्य पर नहीं पहुंचे हैं.
कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की शुरुआत के साथ एक धारणा लोगों के बीच तेजी से फैली थी कि गर्मी बढ़ने के साथ ही इस महामारी का अंत हो जाएगा. माना जा रहा था फरवरी और मार्च सामान्य फ्लू के भी सीजन होते हैं, ऐसे में अप्रैल-मई जैसे गर्मी के महीनों में कोरोना का स्वत: अंत हो जाएगा. इस धारणा को पुष्ट करने में सोशल मीडिया और व्हाट्सअप संदशों ने और मजबूत भूमिका निभाई. लेकिन अब जबकि अप्रैल का पहला सप्ताह बीत चुका है और कोरोना वायरस फैलता जा रहा है तो आम लोगों में निराशा भी है. लेकिन कई शोधों ने इशारा किया है कि गर्मी का प्रभाव कोरोना पर पड़ सकता है.
ठंडी जगहों पर ज्यादा घातक
ऐसे कुछ प्रमाण मिले हैं कि कोरोना वायरस का ज्यादा घातक असर दुनिया के अपेक्षाकृत ठंडे और सूखे इलाके में हो रहा है. एक अध्ययन का मानना है कि 10 मार्च तक उन्हीं इलाकों में इस वायरस का कम्यूनिटी ट्रांसमिशन हुआ जो अपेक्षाकृत ठंडे थे. चीन में हुए एक और अध्ययन में देश के करीब 100 शहरों पर रिसर्च की गई है. इस अध्ययन में कहा गया है कि जिन इलाकों में तापमान और ह्यूमिडिटी ज्यादा थी, वहां संक्रमण की दर धीमी थी. चीन का वुहान शहर भी ठंडा शहर माना जाता है. इसी शहर से कोरोना महामारी पूरी दुनिया में फैली है.
बड़े आउटब्रेक पर लगी रोक
एक अन्य अध्ययन का कहना है कि यह सही है कि कोरोना वायरस दुनियाभर में फैल चुका है लेकिन बड़ी संख्या में आउटब्रेक ठंडी जगहों पर ही हो रहा है. लेकिन लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन के शोधकर्ताओं का कहना है कि ये वायरस अब विश्व स्वास्थ्य संगठऩ के दायरे में आने वाले हर क्षेत्र में फैल चुका है. इनमें गर्म, ठंडे, ह्यूमिड सभी क्षेत्र शामिल हैं. ऐसे में कोई एक निष्कर्ष निकालना आसान नहीं है.
क्या कोरोना वायरस सीजनल है?
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन की एक रिसर्च टीम के मुताबिक ऐसे कुछ प्रमाण मिले हैं जिनके मुताबिक कोरोना वायरस के दूसरे प्रकार मुख्य रूप से सर्दियों के मौसम ही फैले. रिसर्चर्स ने ब्रिटेन के करीब 2 हजार लोगों पर रिसर्च के दौरान पाया कि कोरोना वायरस का चरम भी ठंडी और सामान्य फ्लू के सीजन में ही था. गर्मी का मौसम बढ़ने के साथ ही नए मामलों में कमी आई है. हालांकि शोधकर्ता पूरे विश्वास के साथ ये नहीं कह पा रहे हैं कि ये वायरस गर्मी के मौसम में समाप्त हो जाएगा.
क्या कोविड-19 भी दूसरे कोरोना वायरस की तरह ही व्यवहार करेगा
कोविड-19 भी ठीक उसी तरह फैल रहा है जैसे पहले के कोरोना वायरस फैलते रहे हैं. लेकिन आखिर क्या अंतर है कि इससे होने वाली मौतों की संख्या ज्यादा है. यूनिवर्सिटी ऑफ साउथंप्टन के हेड डॉ. माइकल का कहना है कि कोविड-19 के फैलने की रफ्तार अन्य वायरस से तेज है. गर्मी का इस वायरस पर प्रभाव जानने के लिए हमें इंतजार करना होगा.
सार्स तलाशने वाले एक्सपर्ट की राय
न्यूज18 समूह को दिए इंटरव्यू में सार्स वायरस की तलाश करने वाले हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने भी माना था कि कोरोना पर गर्मी का प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने कहा था कि ये वायरस हीट सेंसिटिव है और गर्मी के मौसम में इसके फैलाव में कमी आ सकती है.
हॉन्गकॉन्ग यूनिर्सिटी में पैथोलॉजी के प्रोफेसर जॉन निकोल्स ने सलाह दी थी कि भारत को दूसरे देशों की गलतियों और चुनौतियों से सीखना चाहिए. जॉन वो प्रोफेसर हैं जो 2003 में सार्स का वायरस तलाशने वाली टीम का हिस्सा थे. जॉन निकोलस ने CNBC-TV18 को दिए इंटरव्यू में कोरोना को लेकर अन्य पेचीदिगियों पर अपनी राय रखी थी. प्रोफेसर जॉन निकोलस का कहना है कि इस बात के क्लियर लैब एविडेंस हैं कि कोरोना वायरस गर्मी को लेकर संवेदनशील है. उनके मुताबिक जिन जगहों पर बहुत गर्मी है वहां पर कोरोना का सामुदायिक संक्रमण होने का रिस्क कम होता है.