Birthday : कहां हैं देश के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा, जो कभी थे हर भारतीय के हीरो
80 के दशक की शुरुआत में भारत में अमिताभ बच्चन से ज्यादा जिस भारतीय का नाम लोगों की जुबान पर था, वो थे राकेश शर्मा, जो पहले अंतरिक्ष यात्री के तौर पर स्पेस में जाने वाले थे. वो स्पेस में गए और 07 दिनों तक रहे. अब राकेश कहां हैं और क्या कर रहे हैं.
नई दिल्ली। 80 के दशक की शुरुआत भारतीयों के बीच दो नामों की खूब चर्चा होती थी, वो थे राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा. दोनों एयरफोर्स के जाबांज और अनुभवी पायलट थे. दोनों को उस अभियान के छांटकर आखिर दो में रखा गया था, जिनमें कोई एक अंतरिक्ष में जाने वाला था. इस पूरे आपरेशन को लेकर पूरा भारत रोमांचित था. 80 के दशक में तब ये हर भारतीय के लिए फख्र की बात थी. आमतौर पर लोगों की बातचीत का हिस्सा वो हुआ करते थे तो अखबारों और पत्रिकाओं में उनसे संबंधित कुछ ना कुछ छपता ही रहता था.
अब उस बात 36 साल से ज्यादा बीत चुके हैं. एक जमाना बीत चुका है. आखिरी तौर पर राकेश शर्मा को वो पहले भारतीय नागरिक के रूप में अंतरिक्ष में जाने के लिए छांटा गया. फिर वो करीब दो साल के लिए कड़ी ट्रेनिंग पर मास्को चले गए. जिस दौरान वो मास्को के यूरी गागरिन अंतरिक्ष केंद्र में अंतरिक्ष में रहने की कड़ी ट्रेनिंग ले रहे थे.
उसी दौरान उनके साथ दुखद हादसा हो गया. भारत में उनकी 06 साल की बेटी मानसी का निधन हो गया. लेकिन वो जिस हालत में थे, उसमें पीछे नहीं लौट सकते थे. आखिर पूरे देश की नजर उन पर थी. अपने दुख को भूलकर उन्होंने वो किया, जिसका देश इंतजार कर रहा था.
तब रुक गईं देश की धड़कनें
03 अप्रैल 1984 को देश की धड़कनें तब रुक गईं जबकि वो सोयुज टी-11 विमान से तीन अन्य सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्ष के लिए रवाना हो गए. वो अंतरिक्ष पहुंचे. 07 दिन 21 घंटे और 40 मिनट अंतरिक्ष में सेल्यूत 7 स्पेस स्टेशन में बिताने के बाद भारत लौटे.
अंतरिक्ष में रोज योगा
अंतरिक्ष में वो रोज 10 मिनट योगा करते और फिर अपने रिसर्च संबंधी कामों में जुट जाते. जब वो वापस लौटे तो मास्को में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई. भारत में तो वो हर किसी की नजर में हीरो बन चुके थे.
भारतीय नागरिक के रूप में राकेश शर्मा अब भी अंतरिक्ष में जाने वाले पहले शख्स हैं.
इंदिरा गांधी के उस सवाल के जवाब पर पूरा देश झूम उठा
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे सवाल पूछा, आपको अंतरिक्ष से भारत कैसा लगा तो उन्होंने जवाब दिया, “सारे जहां से अच्छा”. उनके इस जवाब से ना केवल इंदिरा जी गदगद हुईं बल्कि पूरा देश खुश हो गया. जब वो वापस स्वदेश लौटे तो उनका जमकर स्वागत हुआ.
1987 में वायुसेना से रिटायर
हालांकि उनकी इस अंतरिक्ष यात्रा का कितना फायदा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को मिला, ये कभी जाहिर नहीं हो पाया. अंतरिक्ष में जाने से पहले वो भारतीय वायुसेना के स्कवाड्रन लीडर थे. वापस लौटने के बाद वो वापस एयरफोर्स में अपने काम में जुट गए. उसके बाद उन्हें एक प्रोमोशन और मिला. राकेश जब 1987 में रिटायर हुए तो विंग कमांडर बन चुके थे.
नई पारी में निभाई ये भूमिका
अब उनकी नई पारी शुरू हो रही थी. वो नासिक में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में चीफ टेस्ट पायलट बन गए. इसके बाद 1992 में बेंगलुरु में एचएएल में इसी रोल में चले गए. हम जिस तेजस लडाकू विमान को उड़ते और सफलता की कहानियां हासिल करते सुन रहे हैं.उसकी टेस्ट उड़ानों के साथ वो काफी सक्रिय तरीके से जुड़े हुए थे.
72वां जन्मदिन मना रहे हैं
हालांकि अपने इस रोल से भी राकेश वर्ष 2001 में इस काम से रिटायर हो गए. आज वो अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं. राकेश का जन्म पटियाला में 13 जनवरी 1949 को हुआ था. हालांकि उनकी पढ़ाई लिखाई और कालेज हैदराबाद में हुआ. वो शहर जहां भारतीय वायुसेना का बड़ा बेस है. रोज आसमान में उनके विमान परीक्षण उड़ानों पर निकलते हैं और आसमान में उनकी आवाज गरजती है.
राकेश शर्मा सोवियत अंतरिक्ष स्टेशन सेल्यूत में 07 दिनों तक रहे.
तब वो अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे
राकेश एनडीए के जरिए भारतीयु वायुसेना का हिस्सा बने थे. जब वो अंतरिक्ष में गए थे, तब कोई भी भारतीय वहां तक नहीं पहुंचा था. अब भी भारतीय नागरिक के तौर पर वो अकेले हैं. हालांकि विदेश में रहने वाले भारतीयों में कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स को ये श्रेय बाद में मिला तो अब राजा चारी को मिलने वाला है. हालांकि उनके बाद कोई भारतीय नागरिक अंतरिक्ष में फिर नहीं जा सका.
घर-घर में पहचाने जाते थे राकेश शर्मा
वायुसेना के एक पायलट के तौर पर नौकरी करते हुए राकेश शर्मा ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका सफर एयरफोर्स से अंतरिक्ष तक पहुंच जाएगा. फिर वो भारत में घर घर में जाने-पहचाने जाने लगेंगे. दरअसल अंतरिक्ष में जाने वाले भारतीय को चुनने के लिए वायुसेना ने बड़ी संख्या में भारतीय पायलटों का कड़ा टेस्ट लिया था. जिसमें आखिरकार वही अकेले चुने गए.
वाकई वो हीरो बन गए थे
राकेश शर्मा की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के बाद उन्हें कई पुरस्कार मिले. भारत में उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया तो वहीं सोवियत यूनियन ने उन्हें ‘हीरो ऑफ सोवियत यूनियन’ पुरस्कार से सम्मानित किया था. ये पुरस्कार सोवियत यूनियन के भंग होने के पहले तक वहां की सरकार देती थी. इस पुरस्कार के बाद राकेश शर्मा के साथ ‘हीरो’ शब्द चिपक गया.
80 के दशक की शुरुआत में सोवियत यूनियन अपना एक स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा था. सोवियत की तरफ से इंदिरा गांधी को प्रस्ताव दिया गया कि वो भी इस मिशन में दो भारतीयों को भेज सकती हैं. इसी के तहत राकेश शर्मा को चुना गया था. उनके साथ रवीश मल्होत्रा का भी चयन हुआ था लेकिन वो बैक अप में थे. वो अंतरिक्ष यात्रा पर नहीं गए थे.
राकेश शर्मा इन दिनों तमिलनाडु के खूबसूरत हिल स्टेशन कुन्नूर में रहते हैं.
अब क्या कर रहे हैं राकेश
राकेश का लंबा समय बेंगलुरु में गुजरा. खबरों के अनुसार अब वो तमिलनाडु के खूबसूरत हिल टाउन कुनूर में रहते हैं. हालांकि वो बेंगलुरु की एक कंपनी कैडिला लैब्स में नान एग्जीक्यूटिव चेयरमैन भी हैं. कंपनी खासतौर पर इंश्योरेंस सेक्टर की कंपनियों के लिए इंटैलिजेंस आटोमेशन प्रोवाइड करने का काम करती है.
राकेश के एक बेटा और एक बेटी है. बेटा कपिल फिल्म जगत में डायरेक्टर है तो बेटी मीडिया में आर्ट डिविजन में. राकेश खाली समय गोल्फ खेलने और म्युजिक सुनने में भी गुजारते हैं.