किस तरह से सैटेलाइट हैकिंग दुनिया को युद्ध की आग में झोंक सकती है?
हैकर अगर किसी देश की कोई खास सैटेलाइट हैक (Satellite hacking) कर लें, तो उससे जुड़ी सारी चीजों पर कंट्रोल कर सकते हैं. यहां तक कि शहरों को मिलने वाले पानी के स्त्रोत को जहरीला भी बना सकते हैं.
जानिए, क्या है ASAT
एंटी सैटेलाइट तकनीक वो सिस्टम है, जिससे अंतरिक्ष में ही अपने दुश्मन पर निशाना साधा जा सकता है. जैसे दुश्मन देश के किसी खास काम पर नियंत्रण करने वाली सैटेलाइट को अपने कंट्रोल में करने के बाद उससे अपने अनुसार काम लिया जा सकता है. बता दें कि हर देश में पानी, बिजली से लेकर पढ़ाई तक में सैटेलाइट का इस्तेमाल होता है. अगर ऐसे में कोई देश दूसरे देश की संबंधित सैटेलाइट हैक कर ले तो मामला काफी बिगड़ जाएगा. इससे पानी की आपूर्ति बंद हो सकती है, ट्रांसपोर्ट ठप हो सकता है और दो देशों के बीच लड़ाई भी हो सकती है.
अमेरिका और रूस के अलावा भारत और चीन के पास भी एंटी-सैटेलाइट वेपन हैं- सांकेतिक फोटो (Pixabay)
हैकिंग के कारण ईरान-इजरायल में तल्खी
पानी का सिस्टम हैक करने का आरोप
इजरायल की खुफिया एजेंसी का ये भी आरोप है कि ईरानी हैकर पानी का सप्लाई बंद करने की फिराक में थे, ताकि अप्रैल-मई के दौरान बहुत तेज गर्मी और लू में भी हजारों नागरिक बिना पानी के रहें. हालांकि ईरान को वॉटर सप्लाई सिस्टम हैक करने में सफलता नहीं मिली. इस कोशिश से गुस्साए इजरायल ने ईरान के परमाणु संयंत्र पर हमला बोल उसे तबाह कर दिया.
कैसे काम करता है एंटी-सैट वेपन
इसी तरह से एंटी-सैटेलाइट वेपन भी, जैसा कि नाम से ही समझ में आता है, सैटेलाइट को नष्ट करने का काम करते हैं. अमेरिका और रूस के अलावा भारत और चीन के पास भी एंटी-सैटेलाइट वेपन हैं. भारत ने साल 2019 में ‘मिशन शक्ति’ के तहत ASAT का टेस्ट किया था. इसका सिस्टम ऐसे काम करता है कि जैसे ही मिसाइल वायुमंडर से बार पहुंचती है, एंटी-सैटेलाइट का वो सिरा अलग हो जाता है, जिसे सैटेलाइट को खत्म करना है. फिर ये तेजी से सैटेलाइट से टकरा जाता है. इससे सैटेलाइट पल में तबाह हो जाता है.
फिलहाल तक एंटी-सैटेलाइट वेपन का इस्तेमाल नहीं किया गया, लेकिन सैटेलाइटों की हैकिंग शुरू हो चुकी है. अमेरिका ने रूस और चीन पर ऐसे कई आरोप लगाए हैं. उसका कहना है कि ये दोनों देश उसके सैटेलाइटों को हैक करके उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश में हैं. साल 2008 में नासा के दो सैटेलाइट्स पर हैकर्स ने कंट्रोल हासिल कर लिया था. उसमें चीन की भूमिका की खबरें थीं मगर पुष्टि नहीं हुई.
दो देशों के बीच भी जंग की आशंका
सैटेलाइट विशेषज्ञ इस बात को लेकर भी डरे हुए हैं कि कोई देश दुश्मन देश की सैटेलाइट हैक करके उसे किसी दूसरे देश की सैटेलाइट से टकरा दे तो ऐसे में दो देशों की बेवजह ठन सकती है. साथ ही डाटा चोरी का भी खतरा बना रहता है.
अमेरिका में हुई पहल
इसी खतरे को देखते हुए अमेरिका ने एक नया ही कदम लिया. उसने दुनियाभर के हैकरों की सबसे बड़ी कॉनफ्रेंस डेफकॉन में हैकरों को अपने सैटेलाइट हैक करने के लिए उकसाया. इस बारे में खुद वायुसेना के असिस्टेंट सेक्रेटरी ने न्यौता दिया. यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक असिस्टेंट सेक्रेटरी विल रॉपर ने कहा कि हम हैकर्स की मदद से खुद ये समझना चाहते हैं कि सेफ्टी को कैसे और तगड़ा बनाया जा सके.
बता दें कि अगर अंतरिक्ष में इस तरह की जंग छिड़ जाए तो अमेरिका इसके लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील होगा. इसकी वजह ये है कि फिलहाल सुपर पावर बना हुआ ये देश अपनी सारी खुफिया जानकारियों के लिए सैटेलाइट पर ही निर्भर है. अमेरिका के 1000 उपग्रह अंतरिक्ष में चक्कर काट रहे हैं. गोपनीय जानकारियों के जुटाने और उनके संग्रहण के साथ ही रोजमर्रा की जरूरतों के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और रूस जैसे देश सैटेलाइटों पर निर्भर हैं.