खगोलविदों ने पकड़ीं रहस्यमयी तरंगें, तो क्या एलियन हमें कोई इशारा कर रहे हैं?

सूरज के सबसे करीबी तारे प्रॉक्सिमा सेंचुरी के एक ग्रह से लगातार आधे घंटे के अंतराल पर रहस्यमयी तरंगें (mysterious signals from Proxima Centauri) आ रही हैं. वैज्ञानिकों ने पहले कभी ऐसी आवाज नहीं सुनी.

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एक तरफ साल 2020 कई बुरी वजहों से यादगार हो गया, तो दूसरी ओर अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कई बड़ी सफलताएं मिलीं. चांद से मिट्टी लाना या ग्रहों पर पानी दिखना जैसी बातों के अलावा अब एलियन भी हमसे संपर्क की कोशिश में है. कम से कम फिलहाल तक वैज्ञानिकों का यही मानना है. दरअसल एक तारे प्रॉक्सिमा सेंचुरी (Proxima Centauri) से रहस्यमयी रेडियो तरंगें मिलीं, जिस बारे में वैज्ञानिक यही मान रहे हैं.

प्रॉक्सिमा सेंचुरी नामक तारे से आई तरंगों के बारे में रेडियो खगोलविद फिलहाल यही मान रहे हैं कि उन्होंने पहले कभी ऐसी तरंग महसूस नहीं की थी और ये पारलौकिक (ET) तरंगें ही हैं. प्रॉक्सिमा सेंचुरी सूरज के सबसे करीब का तारा (फिलहाल तक जो हमारी जानकारी है) है, जो धरती से केवल 4.24 प्रकाशवर्ष की दूरी पर है. ये अपने-आप में तीन तारों का समूह का हिस्सा है, जिसे अल्फा-सेंचुरी कहते हैं.

प्रॉक्सिमा के बारे में अब तक हमारे पास थोड़ी-बहुत जानकारी है. इस जानकारी के अनुसार इस तारे पर कम से कम दो ग्रह हैं. इन ग्रहों में से एक पृथ्वी से थोड़ा बड़ा है और काफी चट्टानों वाला ग्रह है. अनुमान है कि इस ग्रह पर तापमान ऐसा होगा कि पानी और जीवन हो सकता है.

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तरंगें तभी दिखती हैं, जब हम प्रोक्सिमा सेंचुरी की ओर ध्यान देते हैं- सांकेतिक फोटो

ग्रह की ओर से आए ये संकेत ऑस्ट्रेलिया के पार्क्स ऑब्जर्वेटरी (Parkes Observatory) ने अप्रैल और मई 2019 के दौरान पकड़े थे. हमारे सहयोगी मीडिया न्यूज18 अंग्रेजी ने ब्रिटिश अखबार द गार्डियन के हवाले से इस बारे में बात की है. वो तरंगें काफी धीमी थीं. खगोलविदों के मुताबिक ये लगभग 982.02 मेगाहर्ट्ज के आसपास रही होंगी. तरंगों को वैज्ञानिक रहस्यमयी इसलिए मान रहे हैं कि आमतौर पर तारे के भीतर बड़े विस्फोट होने या किसी तूफान से भारी तरंगें पैदा होती हैं. वहीं ये तरंगें काफी सूक्ष्म और अलग थीं.

तरंगों पर नजर रख रहीं पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की शोधार्थी सोफिया शेख बताती हैं कि ये तरंगें तभी दिखती हैं, जब हम प्रोक्सिमा सेंचुरी की ओर ध्यान देते हैं. इससे पहले हमने ऐसा कभी नहीं देखा. हालांकि इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता कि असल में क्या है. बर्कले यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को भी यही लग रहा है कि ये तरंग अलग तरह की है. यहां तक कि वे इसे anthropogenic यानी इंसानों की किसी गतिविधि के कारण पैदा होने वाली तरंग तक मान रहे हैं, जो दूसरे ग्रह से आ रही है.

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ये अलग आवाज थी, जो कंप्यूटर या तकनीकी आवाज से एकदम अलग थी- सांकेतिक फोटो

हालांकि ये पक्का नहीं कि दूसरे ग्रह से मिले अजीब संदेश वाकई में मानवजन्य हों, बल्कि ये कोई तकनीकी चीज भी हो सकती है. इससे पहले भी ऐसा हो चुका है और ये Search for extraterrestrial intelligence (SETI) की दुनिया में आम है.

ये कोई सीक्रेट मिलिट्री प्रयोग भी हो सकता है, जैसा पहले भी हुआ है. इसके बाद भी प्रॉक्सिमा से आ रहे इस संकेत को लेकर वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि ये कुछ और ही हो. इसकी कई वजहें भी हैं. जैसे पिछले साल 29 अप्रैल को पहली बार ये आवाज लगभग 30 मिनट के अंतराल पर पांच बार आई. ये अलग आवाज थी, जो कंप्यूटर या तकनीकी आवाज से एकदम अलग थी.

फिलहाल तक ये रिपोर्ट प्रकाशित नहीं हुई है, और तरंगों को देखने वाले शोधार्थी ज्यादा शोध के बाद साल के शुरुआती महीनों में ये कर सकते हैं. वे बार-बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि पृथ्वी से लगभग सवा गुना वजनी ग्रह, जो प्रॉक्सिमा सेंचुरी पर मौजूद है, वहां पानी हो सकता है और पानी का मतलब है जीवन का होना. तो हो सकता है कि वहां से ही हमें जीवन के संकेत रेडियो वेव के जरिए मिल रहे हों.

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