Coronavirus: अमेरिका में 2 साल तक नहीं आ सकेगा कोई पास, जारी रहेगी सोशल डिस्टेंसिंग
कोरोना (corona) की मार झेल रहे अमेरिका (America) के बारे में डराने वाली स्टडी सामने आई है. वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर हालात यही रहे तो साल 2022 तक अमेरिका में सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) जारी रह सकती है.
अमेरिका में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा 6 लाख 14 हजार पार कर चुका है, जबकि मौत के आंकड़े भी 26 हजार से ऊपर हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि यहां सोशल डिस्टेंसिंग आने वाले 2 सालों तक लागू हो सकती है, यानी घरों में रहना और स्कूल-कॉलेज बंद होना. इसे तभी टाला जा सकता है अगर तब तक कोई वैक्सीन आ जाए. हार्वर्ड (Harvard) यूनिवर्सिटी की एक शोध में ये बात सामने आई.
क्या है स्टडी में
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के Harvard T.H. Chan School of Public Health विभाग में ये स्टडी हुई, जिसके नतीजे साइंस मैगजीन में आए. ये उस रिसर्च के एकदम उलट है, जिसके मुताबिक गर्मी के साथ कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा और दुनिया सामान्य हो सकेगी. ये दूसरी रिसर्च White House के तहत काम कर रहे वैज्ञानिकों ने की थी. वहीं हार्वर्ड की स्टडी में साफ बताया गया है कि जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती, थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद लगातार अगले 2 सालों तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना पड़ सकता है. इसके बाद भी अगर वायरस खत्म होता लगे तो भी नजर रखनी होगी क्योंकि कभी भी ये वायरस दोबारा हमला कर सकता है.
कयास ये है कि साल 2024 के आखिर तक SARS-CoV-2 का दोबारा हमला हो सकता है. इस हमले का डर तब और ज्यादा हो जाता है अगर हममें कोरोना के लिए विकसित इम्युनिटी लंबे समय तक के लिए टिकाऊ न हो.
स्टडी में शामिल हार्वर्ड के प्रोफेसर Dr. Marc Lipsitch मानते हैं कि अगर हम सोशल डिस्टेंसिंग का तरीका रुक-रुककर अपनाना चाहते हैं तो भी हमें इसे कई सालों तक करना होगा. माना जा रहा है कि जैसे ही प्रतिबंध हटेंगे और सड़कों, दफ्तरों, बाजारों में भीड़ होने लगेगी, वायरस का हमला दोबारा होगा. चूंकि अब तक ये पता नहीं चल सका है कि एक बार कोरोना पॉजिटिव होने के बाद दोबारा कितने महीनों, या सालों तक शरीर में एंटीबॉडी रह सकती हैं, इसलिए लापरवाह नहीं हुआ जा सकता.
मिलेगा इम्युनिटी सर्टिफिकेट?
वैसे इस स्टडी के पहले भी ये बात चल चुकी है कि जो लोग इम्यून हो चुके हों, उनके लिए इम्युनिटी सर्टिफिकेट जारी हो जाए ताकि वे बाहर निकल सकें. लेकिन क्योंकि फिलहाल इसका कोई प्रमाण नहीं है कि एक बार से बाद दोबारा ये वायरस हमला नहीं करता है. एक खतरा ये भी है कि लोग नॉर्मल जिंदगी में लौटने के लिए खुद के लिए फर्जी सर्टिफिकेट भी बनवा सकते हैं. University of East Anglia के प्रोफेसर Paul Hunter मानते हैं कि इस स्कीम के आने के बाद ये भी हो सकता है कि लोग जानबूझकर खुद को संक्रमित करने की कोशिश करें ताकि ठीक होने के बाद वे सामान्य जिंदगी जी सकें. लिहाजा, फिलहाल कोई भी देश इम्युनिटी सर्टिफिकेट जारी नहीं कर रहा है.
फिलहाल जैसे हालात बन चुके हैं, उनमें सोशल डिस्टेंसिंग ही अकेला रास्ता रह जाता है
अमेरिका में फिलहाल जैसे हालात बन चुके हैं, उनमें सोशल डिस्टेंसिंग ही अकेला रास्ता रह जाता है. खुद Centers for Disease Control and Prevention के डायरेक्टर Robert Redfield के मुताबिक इस वक्त इस अनजान वायरस से बचने का यही सबसे मजबूत तरीका है. कुछ दिनों पहले ही Robert Redfield ने कहा था कि हम जितनी दूर रहेंगे, वायरस का खतरा भी उतना ही कम होता जाएगा. इस बीच दवा या टीका खोजे जा सकने की उम्मीद जताई जा रही है.
कड़ी सजा का प्रावधान
अमेरिका के लगभग सभी स्टेट्स में स्टे-एट-होम ऑर्डर आ चुका है. इसे तोड़ने वाले को 6 महीने की जेल और लगभग 75000 रुपयों का जुर्माना भरना पड़ सकता है. इसे तोड़ने वालों पर किसी किस्म की नरमी नहीं बरती जा रही. फ्लोरिडा में ही पिछले महीने एक चर्च के पादरी को जेल हो गई क्योंकि उसने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी का नियम तोड़ा था.
नियम तोड़ने वाले पर किसी किस्म की नरमी नहीं बरती जा रही
स्पेनिश फ्लू भी 3 चरणों में आया था
लंदन के Imperial College में भी कोरोना पर रिस्पॉन्स टीम ने अनुसार कोरोना भी चरणों में आ सकता है, जैसे दूसरी महामारियां आई थीं. स्पेनिश फ्लू भी साल 1918 से 1920 के बीच 3 बार आया और 5 करोड़ से भी ज्यादा जानें लीं. यही ट्रेंड कोरोना का भी हो सकता है. ऐसे में पहली बार “flatten the curve” के तरीके से काम करते हुए जिन देशों के नागरिक सुरक्षित हैं, वे दूसरे या तीसरे कहर में संक्रमित हो सकते हैं. यीह वजह है कि अगले कम से कम 2 सालों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग रखा जानी जरूरी है. अलग-अलग देशों में अंतराल पर सोशल डिस्टेंसिंग रखी जा सकती है, जो सालभर में 25 प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत हो सकती है.
माना जा रहा है कि वुहान ने सोशल डिस्टेंसिंग खत्म की है तो वहां भी वायरस अगस्त में आ सकता है जो अक्टूबर में अपने सबसे खतरनाक रूप में होगा.