जन्मदिन: किसानों के नेता प्रकाश सिंह बादल, जो 5 बार बने पंजाब के मुख्यमंत्री

किसान आंदोलन (farmers' protest) के समर्थन में पंजाब के 93 वर्षीय नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) ने पद्म विभूषण सम्मान वापस कर दिया.

चंडीगढ़। पंजाब में भाजपा-अकाली दल का प्रमुख चेहरा प्रकाश सिंह बादल ऐसे अकेले नेता हैं, जो 5 बार पंजाब के मुख्‍यमंत्री बने. हाल ही में किसान आंदोलन के सपोर्ट में 93 साल के बादल एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. कृषि कानूनों के विरोध में उन्होंने पद्म विभूषण सम्मान लौटा दिया. बता दें कि आपातकाल के दौरान विरोध प्रदर्शन के लिए पंजाब के ये सम्माननीय नेता जेल भी जा चुके हैं. आज इन्हीं प्रकाश सिंह बादल का जन्मदिन है.

पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसम्बर 1927 को पंजाब के छोटे से गांव अबुल खुराना के जाट सिख परिवार में हुआ था. ये हिस्सा अब पाकिस्तान में है. लाहौर के क्रिश्चियन कॉलेज में उन्होंने शिक्षा पाई. इसी दौरान एक सामाजिक कार्यकर्ता की तरह उन्होंने राजनीति की शुरुआत कर दी थी. इसी दौरान वे गांव के नेता बने और अगले दस सालों में कांग्रेस के सदस्य के तौर पर पंजाब विधानसभा में शामिल हो गए.

कुछ ही सालों के भीतर बादल ने विचारधारा में अंतर को देखते हुए पार्टी छोड़ दी और शिरोमणि अकाली दल का हिस्सा बन गए. साल 1967 में विधानसभा चुनावों में उनकी हार हुई लेकिन दो सालों के भीतर ही दोबारा वे मुख्यधारा में आए और इस बार सीधे पंजाब के मुख्यमंत्री बन गए. साल 1970 से 1971 तक ही ये मुख्यमंत्री काल चल सका. उन्हें मुख्य्मंत्री पद त्यागना पड़ा और वे लोकसभा के लिए निर्वाचित होकर केन्द्र में कृषि और सिंचाई मंत्री बने. साल 1977 में बादल को फिर पंजाब का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला.

शानदार काम के चलते बादल को साल 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया

महत्वाकांक्षी और स्थानीय लोगों ने लोकप्रिय बादल साल 1969 से 2012 तक बार-बार पंजाब विधानसभा के लिए चुने जाते रहे. ये मामला केवल एक बार ही उल्टा हुआ, वो भी तब, जब अकाली दल ने राज्य चुनावों का बहिष्कार कर दिया था. इससे ही बादल की लोकप्रियता का अंदाजा लग जाता है.

पंजाब के इस बेहद जुझारू नेता की ख्याति के काफी कारण भी थे. खेती-किसानी के परिवार से आने वाले इस नेता ने पंजाब में किसानों के लिए काफी काम किए. पशुपालन और खेती से जुड़े डेयरी उद्योग में किसानों को काफी रियायतें दीं ताकि खेती को बढ़ावा मिल सके. पंचायतीराज पर भी बादल ने खूब काम किया ताकि स्थानीय स्तर पर ही व्यवस्था मजबूत हो सके.

इंदिरा गांधी के कार्यकाल में आपातकाल के दौरान जिन नेताओं ने इसका विरोध किया, उसमें बादल भी शामिल हैं. साल 1975 से 1977 के दौरान वे जेल भी गए. मुख्यधारा राजनीति में होने के बाद भी बादल हमेशा ही जमीन पर सक्रिय नेता बने रहे. इसी वजह से वे अस्सी के दशक में भी जेल गए. तब हुआ ये कि वे पंजाब से नदियों के पानी को हरियाणा डायवर्ट करने का विरोध कर रहे थे, जबकि ये खुद केंद्र सरकार की योजना थी.

एक बार संविधान की कॉपी फाड़ने के कारण भी बादल को जेल की हवा खानी पड़ी थी. हालांकि बाद में उन्होंने देश के संविधान का अपमान करने की माफी मांग ली थी. इस तरह से वे जीवन के लगभग सत्रह साल जेल में बिता चुके हैं.

शुरुआती दौर में कांग्रेस के साथ जुड़कर फिर लगातार अकाली दल में बने रहे बादल साल 2007 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े. इस दौरान राज्य का चुनाव था और अकाली दल व भाजपा का गठबंधन बन चुका था. भारी मतों से जीतकर वे एक बार फिर मुख्यमंत्री बने. साल 2012 में भी यही कहानी दोहराई गई. तब प्रकाश सिंह बादल देश के सबसे उम्रदराज सीएम हो चुके थे. मजेदार बात ये है कि पहली बार सीएम बनने पर बादल सबसे कमउम्र के सीएम थे.

पंजाब की राजनीति के बेहद सम्माननीय वरिष्ठ नेता के तौर पर जाने गए इस नेता का पूरा राजनैतिक करियर लगभग बेदाग रहा. सिर्फ एक ही बार उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था, उसमें भी आगे चलकर वे निर्दोष साबित हुए.

पंजाब की जनता और खासकर किसानों के लिए शानदार काम के चलते बादल को साल 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. अब किसानों के समर्थन में उन्होंने यही सम्मान लौटा दिया था. सम्मान वापसी की बात करते हुए लिखी चिट्ठी में बादल ने लिखा कि मैं इतना गरीब हूं कि मेरे पास किसानों के लिए त्यागने को कुछ नहीं है. लिहाजा मैं ये सम्मान दे रहा हूं. अगर किसानों का अपमान हो तो किसी तरह के सम्मान का कोई फायदा नहीं.

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