Coronavirus: न्यूयॉर्क में लगा लाशों का ढेर, दूसरे स्टेट में दफनाने की तैयारी

न्यूयॉर्क (New York) में कोरोना (corona) का कहर बढ़ने के साथ ही अब वहां मृतकों का अंतिम संस्कार (last ritual) स्टेट से बाहर करने की तैयारी हो रही है. इसी बीच ये अफवाह भी उड़ी थी कि कब्रिस्तानों (graveyards) की कमी के कारण पार्कों में लाशें दफनाई जा सकती हैं.

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कोरोना वायरस (coronavirus) से अब तक दुनियाभर में 1 लाख 97 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं, इनमें से 52217 लोग अमेरिका से ही हैं. खासतौर पर न्यूयॉर्क (New York) की हालत खस्ता है, जहां मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ने के कारण हालात इतने खराब हैं कि अस्थायी मुर्दाघरों में लाशों के ढेर लग चुके हैं जो अंतयेष्टि के इंतजार में हैं. इसी के मद्देनजर स्थानीय प्रशासन मृतकों का अंतिम संस्कार स्टेट से बाहर करने की पहल कर रहा है.

क्या हैं हालात
पॉलिटिको में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक Funeral Directors Association इस बारे में प्रशासन के साथ मिलकर काम कर सकता है. इस बारे में शवदाह गृह चलाने वाला एक शख्स Anthony Cassieri कहता है कि हमारे यहां लाशें वेटिंग लिस्ट में हैं ताकि उनका अंतिम संस्कार हो सके. ये अच्छे हालात नहीं. यही वजह है कि बुधवार 22 अप्रैल को फ्यूनरल एसोसिएशन ने अपने पड़ोसी स्टेट्स के एसोसिएशन की मीटिंग बुलाई ताकि मृतकों के अंतिम संस्कार में मदद मिल सके. कॉल ऑफ एक्शन के बारे में खुद New York State Funeral Directors Association के डायरेक्टर माइक लनोटे का कहना है कि पिछले 30 या 40 सालों से इस काम में लगे लोगों ने भी ऐसे हालात नहीं देखे थे. लाशों का ढेर लगा हुआ है और फिर भी लाशें आ रही हैं. गुरुवार को अकेले न्यूयॉर्क में 1562 लोगों की कोरोना ने जान ले ली.

न्यूयॉर्क में शवदाह गृहों की स्थिति
स्टेट में कुल 4 शवदाह गृह हैं. अब वे चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. कम से कम 45 मोबाइल मुर्दाघर तैयार किए गए हैं, ताकि लाशें अस्पताल से निकलने के बाद अंतिम संस्कार तक संभालकर रखी जा सकें. यहां तक कि न्यूयॉर्क का U.S. Department of Defense भी कथित तौर पर इसमें मदद कर रहा है और दर्जनों अफसर भेजे जा चुके हैं जो लाशों की हैंडलिंग कर सकें. या नए मुर्दाघर तैयार करवा सकें.

क्या कहते हैं संचालक
इसके बाद भी स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि खुद शवदाह गृहों के मालिक काम संभाल नहीं पा रहे. इसपर बोलते हुए ब्रुकलिन में शवगृह के संचालक Anthony Cassieri ने कहा कि अगर अगले 6 महीनों तक एक भी मौत न हो तो भी हमें वर्तमान मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए लगातार 6 से 8 महीने तक काम करते रहना होगा. अब शवगृहों में अपॉइंटमेंट ली जा रही है और हफ्तों बाद नंबर आता है.

ये द्वीप हो सकता है नया ठिकाना
अब चूंकि शहर के चारों ही शवदाह गृह भर चुके हैं, लिहाजा लाशों के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें न्यूयॉक से बाहर दफनाने या जलाने की व्यवस्था पर बात हो रही है. फिलहाल स्टेट के हार्ट आइलैंड (Hart Island) में लाशें लाई जाने लगी हैं. ये वो द्वीप है, जहां 19वीं सदी से ऐसी लाशें दफनाई जा रही हैं, जिनका कोई रिश्तेदार या जाननेवाला नहीं होता. या फिर जिनके परिवार अंतिम संस्कार का खर्च नहीं उठा सकते. इसके अलावा संक्रामक मानी जाने वाली बीमारी जैसे H.I.V./aids और सिफलिस जैसे यौनरोग से हुई मौत में शवों को यहां दफनाया जाता रहा है.

लाशें हो सकती है खराब
अकेले न्यूयॉर्क शहर में अब तक 11,544 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. यही वजह है कि यहां लाशों को दफनाने के लिए अस्थायी मुर्दाघरों की तलाश जोरों पर है. बता दें कि फिलहाल कोरोनावायरस के हुई मौत में शव को मुर्दाघर में 6 दिन और रेफ्रिजरेटेड ट्रक में 14 दिनों से ज्यादा वक्त तक नहीं रखा जा सकता है. इससे ज्यादा वक्त होने पर लाशों के खराब होने का डर भी रहता है.

उड़ चुकी है अफवाहें भी 
मुर्दाघरों के लिए नई जमीन की तलाश के बीच ये खबर आई थी कि शहर के ही पार्कों में लाशें दफनाई जा सकती हैं. यहां तक कि मैनहट्टन के काउंसिल मैन Mark Levine ने इस बारे में ट्वीट भी कर दिया था. बाद में ये ट्वीट हटा लिया गया. इसके बाद शहर के मेयर Bill de Blasio ने पार्कों को कब्रगाह बनाने की बात को अफवाह बताते हुए साफ किया कि हार्ट आइलैंड में अस्थायी तौर पर ये काम शुरू हो चुका है. न्यूयॉर्क में 2008 में तैयार हुए Pandemic Influenza Surge Plan के अनुसार अगर शहर में कोल्ड स्टोरज यूनिट लाशें रखने के लिए कम पड़ जाएं तो Hart Island में लाशें रखी जा सकती हैं.

द्वीप में ऐसे दफनाए जा रहे शव
यहां लाशें दफनाई जा रही हैं लेकिन इस तरीके से कि कोरोना का कहर शांत होने के बाद परिवार अगर अपने परिजन का शव देखना और उसका अंतिम संस्कार करना चाहें तो लाशें निकाली जा सकें. कोरोना के मरीज की मौत के बाद उसे आइसोलेशन वार्ड या मुर्दाघर से इस द्वीप तक ले जाने तक एक खास प्रक्रिया अपनाई जा रही है. इसमें मृत शरीर को लीक-पूफ्र बॉडी बैग में रखकर लकड़ी के कॉफिन में रखा जा रहा है. हर कॉफिन के ऊपर मृतक का नाम बड़े-बड़े अक्षरों में खुदा होता है ताकि अगर कभी किसी वजह से लाश निकालनी पड़े तो आसानी हो. चूंकि शहर के पूर्व में बसे इस द्वीप पर नाव के जरिए ही पहुंचा जा सकता है इसलिए सैकड़ों, हजारों की संख्या में लाशों को अस्थायी तौर पर भी दफनाया जाए तो किसी तरह की महामारी फैलने का डर कम से कम रहेगा.

लाशों को चूंकि अस्थायी तौर पर दफनाया जा रहा है इसलिए मशीनों से पहले ही लंबी लंबी-लंबी संकरी खाइयां खोदी जा रही हैं और उनमें ये कॉफिन रखे जा रहे हैं. संकरा रखने के पीछे ये वजह है कि बहुत सी लाशें आएं तो दफनाने के लिए जगह कम न पड़े. ठेका मजदूर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट पहनकर काम कर रहे हैं ताकि किसी भी तरह से उन्हें संक्रमण न फैले. हालांकि फ्यूनरल संचालकों का कहना है कि कर्मचारियों में भी कोरोना संक्रमण फैलने लगा है.

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